कब और कैसे शुरु हुआ वनडे क्रिकेट? जानें इसका संपूर्ण इतिहास
अनिश्चितताओं का खेल कहे जाने वाले क्रिकेट ने समय के साथ-साथ काफी बदलाव देखे हैं। भले ही टेस्ट क्रिकेट को सबसे कठिन फॉर्मेट माना जाता है, लेकिन सफेद गेंद वाले फॉर्मेट ने इस खेल को लोकप्रिय बनाने का काम किया है। सफेद गेंद की क्रिकेट आज भी फैंस की फेवरिट है और इसने लगातार खेल को आगे बढ़ाने का काम किया है। एक नजर डालते हैं वनडे क्रिकेट के इतिहास पर।
वनडे क्रिकेट का शुरुआती इतिहास
टेस्ट क्रिकेट की सफलता को देखते हुए 1951 में लिमिटेड ओवर्स के क्रिकेट की अवधारणा को लाया गया था जहां हर पारी के लिए ओवरों की संख्या निर्धारित थी। ऐसा माना जाता है कि इस फॉर्मेट को अस्तित्व में लाने के पीछे एक भारतीय केवी केलाप्पन थम्पूरन का हाथ था। हालांकि, पहला वनडे मैच 5 जनवरी, 1971 को ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड में खेला गया था।
किस तरह अस्तित्व में आई वनडे क्रिकेट की अवधारणा?
क्रिकेट फैंस को वनडे क्रिकेट देखने का मौका अचानक से तब मिला था जब ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच तीसरे टेस्ट के पहले तीन दिन बारिश की वजह से रद्द हो गए थे। ऑफिशियल्स ने मैच को रद्द करने का निर्णय लिया, लेकिन दोनों टीमों ने वनडे मैच खेलने का निर्णय लिया और 40-40 ओवरों का मैच खेला गया। हालांकि, यह मुकाबला टेस्ट की तरह ही सफेद कपड़ों और लाल गेंद के साथ खेला गया था।
पहले वनडे में ही ऑस्ट्रेलिया ने साबित किया अपना दबदबा
टेस्ट क्रिकेट की ही तरह ऑस्ट्रेलिया ने एक बार फिर अपनी क्लास दिखाई और पहला वनडे मुकाबला पांच विकेट से जीतकर दिखाया कि वे दुनिया की सबसे मजबूत टीमों में से एक हैं। इंग्लैंड ने पहले बल्लेबाजी की और जॉन एड्रिच के 82 रनों की पारी के बावजूद वे 40 ओवरों में केवल 190 रन ही बना सके। जवाब में ऑस्ट्रेलिया ने इयान चैपल के 60 रनों की पारी के बदौलत 35 ओवरों में ही लक्ष्य हासिल कर लिया।
पहले वनडे मैच के कुछ दिलचस्प आंकड़े
एक नजर पहले वनडे मैच में बनने वाले कुछ बढ़िया स्टैट्स पर। मुकाबले में एक ओवर आठ गेंदों का था और इस हिसाब से यह मैच 320 गेंदों का हुआ था। उस समय एक 12वां खिलाड़ी भी होता था। ऑस्ट्रेलिया ने इसके लिए जॉन ग्लेसन को नामित किया जबकि इंग्लैंड ने कोई 12वां खिलाड़ी नहीं रखा। मैच में कुल 46,006 लोग पहुंचे थे और लगभग 34 हजार डॉलर की कमाई टिकट बिक्री से हुई थी।
वर्ल्ड क्रिकेट सीरीज़ की शुरुआत
भले ही वनडे क्रिकेट अपनी पहचान बना रहा था, लेकिन 1977 में केरी पेकर द्वारा वर्ल्ड क्रिकेट सीरीज़ लाने के बाद फॉर्मेट ने काफी तेजी के साथ आगे की ओर कदम बढ़ाया। इससे विपक्ष में इंटरनेशनल क्रिकेट को बढ़ावा मिलावा और इसमें ऑस्ट्रेलिया इलेवन, वेस्टइंडीज इलेवन और वर्ल्ड इलेवन ने हिस्सा लिया। टूर्नामेंट ने क्रिकेटर को इस खेल को फुल टाइम प्रोफेशन के रूप में अपनाकर पैसे कमाने और जीवन बनाने का मौका दिया।
वर्ल्ड सीरीज़ आने के बाद खेल में होने वाले बदलाव
वर्ल्ड सीरीज़ के आने से वनडे क्रिकेट में हुए ये बदलाव: सफेद कपड़ों को रंगीन कपड़ों से बदला गया। मैचों का आयोजन लाइट के नीचे सफेद गेंद से कराया जाने लगा। डार्क साइट स्क्रीन को उपयोग में लाया जाने लगा। कई तरह के कोण के साथ अधिक कैमरों के साथ टेलीविजन पर मैच दिखाया जाने लगा। आपको बता दें कि इन बदलावों को हर क्रिकेट बोर्ड ने अपनाया।
वनडे क्रिकेट टूर्नामेंट की शुरुआत
वनडे क्रिकेट की बढ़ती लोकप्रियता को देखकर कई ग्लोबल टूर्नामेंट्स को अस्तित्व में लाया गया और इसकी शुरुआत 1975 में विश्व कप के साथ हुई। 1998 में ICC चैंपियन्स ट्रॉफी के रूप में एक और टूर्नामेंट शुरु किया गया जिसे मिनी विश्व कप भी माना जाता है। ऑस्ट्रेलिया वनडे क्रिकेट की सबसे सफल टीम है और उन्होंने सबसे ज़्यादा पांच बार विश्व कप पर अपना कब्जा जमाया है।
वर्तमान समय की वनडे क्रिकेट के कुछ मुख्य नियम
आइए आपको बताते हैं माडर्न वनडे क्रिकेट के कुछ मुख्य नियम। अधिकतम 50 ओवर्स का खेल होता है जिसमें एक ओवर में छह गेंदें फेंकी जाती हैं (पहले 40, 45 और 60 ओवर के वनडे मैच भी खेल जा चुके हैं)। पहले 10 ओवरों में क्षेत्ररक्षण पर कुछ रोक लगी होती है और इसमें केवल दो खिलाड़ी ही 30 गज के दायरे से बाहर रह सकते हैं। एक गेंदबाज अधिकतम 10 ओवर की ही गेंदबाजी कर सकता है।
वनडे क्रिकेट के रिकॉर्ड्स
सबसे ज़्यादा जीत- ऑस्ट्रेलिया (573/942) सर्वोच्च स्कोर- 481/6 (इंग्लैंड) सबसे ज़्यादा रन- सचिन तेंदुलकर (18,426) सर्वोच्च व्यक्तिगत स्कोर- रोहित शर्मा (264) सबसे ज़्यादा शतक- तेंदुलकर (49) सर्वाधिक बल्लेबाजी औसत (वर्तमान)- विराट कोहली (60.31) सबसे तेज शतक- एबी डिविलियर्स (31 गेंद) सबसे तेज दोहरा शतक- क्रिस गेल (138 गेंद) सबसे ज़्यादा विकेट- मुथैय्या मुरलीधरन (534) सबसे बढ़िया गेंदबाजी स्पेल- चमिंडा वास (8/19)