
#BirthdaySpecial: घर छोड़ गुरुद्वारे में रहे, लेकिन नहीं छोड़ा क्रिकेट, ऐसी है संघर्ष की कहानी
क्या है खबर?
भारतीय क्रिकेट टीम के युवा विकेटकीपर बल्लेबाज़ ऋषभ पंत आज अपना 22वां जन्मदिन मना रहे हैं।
2016 में अंडर-19 विश्व कप खेलने वाले पंत ने बहुत कम समय में ही तीनों फॉर्मेट में भारत का प्रतिनिधित्व कर लिया।
4 अक्टूबर, 1997 को उत्तराखंड के रुड़की में जन्में ऋषभ पंत के लिए लोग अक्सर कहते हैं कि उन्हें वक्त से पहले बड़ा नाम और शोहरत मिल गई, लेकिन आज पंत के जन्मदिन पर हम आपको बताते हैं उनके संघर्ष की कहानी।
सपना
संघर्षों को मात देकर सपने को हकीकत में बदलने वाले व्यक्ति हैं ऋषभ पंत
हम सभी बचपन में सपना देखते हैं कि बड़ा होकर हमें यह बनना है, लेकिन जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं संघर्ष से बचने के लिए हम उस सपने से दूर हो जाते हैं।
हालांकि, कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो अपने सपने को पूरा करने के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं और उसे हकीकत में बदलकर ही दम लेते हैं।
ऐसे ही कहानी है पंत की, जिन्होंने कड़ी मेहनत के बाद अपने सपने को साकार किया।
शुरुआत
क्रिकेटर बनने के लिए 12 साल की उम्र में छोड़ना पड़ा घर
उत्तराखंड के रुड़की में पैदा हुए पंत के क्रिकेटर बनने के सपने को सच करने का रास्ता आसान नहीं था।
जिस वक्त वह क्रिकेट सीख रहे थे, उस समय उत्तराखंड में क्रिकेट का कोई भविष्य नहीं था।
ऐसे में क्रिकेट के गुर सीखने के लिए पंत को महज़ 12 साल की उम्र में उत्तराखंड से दिल्ली आना पड़ा। जहां पंत शिखर धवन, आकाश चोपड़ा और आशीष नेहरा जैसे सरीखे क्रिकेटरों के गुरु रहे तारक सिन्हा की शरण में आएं।
जानकारी
घर के साथ-साथ क्रिकेट के लिए पिता से भी दूर हो गए थे पंत
पंत ने जब क्रिकेट के लिए दिल्ली का आने का फैसला किया, तो उन्हें अपने घर के साथ-साथ पिता से भी दूर होना पड़ा। जहां पंत की मां उनके साथ दिल्ली आई, तो वहीं उनके पिता बहन के साथ रुड़की में ही रहे।
संघर्ष
गुरुद्वारे में रहे और खाया लंगर का खाना
पंत जब दिल्ली आए तो उनके पास न तो रहने का ठिकाना था और न ही खाने के लिए पैसे। उनके पास था, तो बस एक मज़बूत इरादा। इरादा ऐसा जो लोहे को भी मात दे दे।
पंत हर हाल में अपने सपने को हकीकत में बदलना चाहते थे। इसलिए जब उन्हें कहीं आसरा नहीं मिला तो उन्होंने मोतीबाग के गुरुद्वारे में रहने का फैसला किया।
पंत की मां गुरुद्वारे में सेवा करती और दोनों लंगर का ही खाना खाते।
अभ्यास
लंगर का खाना खाकर प्रैक्टिस करने जाते थे पंत
कई महीनों तक पंत अपनी मां के साथ मोतीबाग के गुरुद्वारे में ही रहे। पंत रोज़ लंगर का खाना खाकर प्रैक्टिस के लिए जाते थे।
वक्त बीतता गया और पंत क्रिकेट में पूरी तरह से रम गए, इसके बाद उन्होंने दिल्ली में ही एक छोटा सा कमरा किराए पर ले लिया।
हालांकि, पंत में प्रतिभा की कोई कमी नहीं थी, लेकिन फिर भी उन्हें सफलता नहीं मिल रही थी। फिर भी वह डटे रहे और हार नहीं मानी।
सम्मान
राजस्थान में नहीं मिला सम्मान
दिल्ली में कंपटीशन बहुत ज्यादा था, तो कोच सिन्हा की सलाह पर पंत राजस्थान चले गए।
राजस्थान में ही उन्होंने अंडर-14 और अंडर-16 स्तर के टूर्नामेंट खेले, लेकिन बाहरी होने के कारण उन्हें अकादमी से बाहर कर दिया गया।
इसके बाद राजस्थान में उनके खेलने की संभावनाएं पूरी तरह से खत्म हो गई, जबकि राजस्थान में उन्होंने महिपाल लोमरोर (राजस्थान के मौजूदा कप्तान) के साथ काफी रन बनाए और इन दोनों की जोड़ी को उस वक्त 'जय-वीरु' का नाम मिला।
अंडर-19 विश्व कप
अंडर-19 विश्व कप से सुर्खियों में आए थे पंत
राजस्थान से निराशा हाथ लगने के बाद पंत वापस दिल्ली आए और घऱेलू स्तर की क्रिकेट खेलने लगे। लेकिन कहते हैं न कि मेहनत करने वाले की कभी हार नहीं होती, पंत के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ।
लगातार अच्छे प्रदर्शन के कारण जल्द ही उन्हें अंडर-19 विश्व कप के लिए भारतीय टीम में जगह मिली और राहुल द्रविड़ के रूप में नया कोच।
इस टूर्नामेंट में पंत ने सबसे तेज़ अर्धशतक लगाया और रातों-रात सुर्खियों में आ गए।
IPL
IPL से बदली किस्मत, दिल्ली ने पंत पर दिखाया भरोसा
अंडर-19 विश्व कप में अपनी विस्फोटक बल्लेबाज़ी से एक अलग पहचान बनाने वाले पंत को IPL 2016 में दिल्ली ने खरीदा।
10 लाख की बेस प्राइज वाले ऋषभ पंत को दिल्ली ने 1.9 करोड़ रुपये में अपनी टीम में शामिल किया।
IPL 2016 में पंत ने 130.26 के स्ट्राइक रेट से 198 और IPL 2017 में 165.61 के स्ट्राइक रेट से 366 रन बनाए। इसके बाद 2018 में दिल्ली ने पंत को 15 करोड़ रुपये में रिटेन किया।
रणजी ट्रॉफी
रणजी ट्रॉफी में लगाई ट्रिपल सेंचुरी और सबसे तेज़ शतक
पंत ने 2015 में ही रणजी खेलना शुरु कर दिया था, लेकिन 2016-17 का सीजन उनकी जिंदगी बदलने वाला रहा। इस सीज़न में पंत ने सिर्फ आठ मैचों में 81 की औसत से 972 रन बनाए।
इस सीज़न में ही महाराष्ट्र के खिलाफ पंत ने तिहरा शतक लगाया और प्रथम श्रेणी क्रिकेट में ऐसा करने वाले तीसरे सबसे युवा खिलाड़ी बने।
वहीं झारखंड के खिलाफ उन्होंने सिर्फ 48 गेंदो में शतक लगा दिया, जो रणजी का सबसे तेज़ शतक है।
पिता का निधन
2017 में हुआ पंत के पिता का निधन
एक तरफ जहां पंत अपने सपने का साकार करने के बेहद करीब थे, तभी उन्हें जिंदगी का सबसे बड़ा झटका लगा। IPL के दौरान ही उनके पिता की रुड़की में दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई।
पंत फौरन उत्तराखंड के लिए रवाना हुए, लेकिन क्रिकेट के जुनून और अपने सपने को हकीकत में बदलने के लिए पंत सिर्फ दो ही दिन बाद वापस खेलने आ गए और RCB के खिलाफ सिर्फ 33 गेंदो में शानदार अर्धशतक लगा दिया।
अंतर्राष्ट्रीय डेब्यू
2017 में सच हुआ सपना
IPL और घरेलू क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन का इनाम पंत को फरवरी, 2017 में मिला, जब इंग्लैंड के खिलाफ टी-20 मैच में उन्हें भारत का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला।
इसके बाद अगस्त, 2018 में पंत ने टेस्ट और अक्टूबर, 2018 में वनडे में भी भारत का प्रतिनिधित्व कर लिया।
हालांकि, पंत अभी तक सीमित ओवर की क्रिकेट में ज्यादा कमाल नहीं कर सके, लेकिन टेस्ट क्रिकेट के अपने छोटे से करियर में वह कई कीर्तिमान स्थापित कर चुके हैं।
करियर
ऋषभ पंत का अंतर्राष्ट्रीय करियर
भारतीय टेस्ट टीम से बाहर चल रहे पंत ने 11 टेस्ट मैचों में 44.35 की औसत से 754 रन बनाए हैं। टेस्ट में उन्होंने इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में शतक भी लगाया है।
इसके साथ ही वनडे क्रिकेट के 12 मैचों में पंत के नाम 22.90 की औसत से 229 रन हैं। वहीं टी-20 अंतर्राष्ट्रीय के 20 मैचों में पंत ने 121.72 के स्ट्राइक रेट से 325 रन बनाए हैं।
IPL के 54 मैचों में पंत के नाम 1,736 रन हैं।