दक्षिण अफ्रीका में भारत की टेस्ट सीरीज हार से क्या निष्कर्ष निकले?
भारतीय क्रिकेट टीम को दक्षिण अफ्रीका में टेस्ट सीरीज में 2-1 से हार मिली है। अनुभवी भारतीय टीम को युवा दक्षिण अफ्रीका ने इतिहास बनाने से रोका है। केपटाउन में खेले गए आखिरी टेस्ट में मेजबान टीम ने 212 रनों के लक्ष्य को सात विकेट शेष रहते हासिल कर लिया। मेहमान टीम ने पहला टेस्ट जीता था, लेकिन फिर लगातार दो मैच हार गए। आइए जानते हैं इस सीरीज से क्या निष्कर्ष निकले।
इस तरह दक्षिण अफ्रीका ने जीता आखिरी टेस्ट
भारत ने पहली पारी में विराट कोहली (79) की बदौलत 223 रन बनाए थे जिसके जवाब में दक्षिण अफ्रीका ने पीटरसन (72) की बदौलत पहली पारी में 210 रन बनाए। दूसरी पारी में ऋषभ पंत (100*) की शानदार पारी के बावजूद भारत 198 पर सिमट गया। दक्षिण अफ्रीका ने पीटरसन (82) और रासी वान डर डूसेन (41*) की बदौलत 212 रनों का लक्ष्य हासिल कर लिया। मार्को जेंसन और कगीसो रबाडा ने सात-सात विकेट लिए।
सीरीज की खोज साबित हुए हैं पीटरसन
दक्षिण अफ्रीका के टॉप ऑर्डर बल्लेबाज कीगन पीटरसन इस सीरीज की खोज साबित हुए और उन्होंने मैन ऑफ द सीरीज का अवार्ड भी हासिल किया। उन्होंने जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद शमी जैसे गेंदबाजों के खिलाफ अच्छा फुटवर्क दिखाया। उन्होंने तीन मैचों में 46 की औसत के साथ 276 रन बनाए जिसमें तीन बार उन्होंने 50 से अधिक रनों की पारी खेली। एबी डिविलियर्स जैसे दिग्गज ने भी उनकी जमकर तारीफ की है।
लगातार जारी है रहाणे का खराब प्रदर्शन
अनुभवी भारतीय बल्लेबाज अजिंक्या रहाणे का खराब प्रदर्शन जारी रहा। रहाणे ने अपनी पिछली 50 टेस्ट पारियों में 33.23 की औसत के साथ 2,659 रन बनाए हैं। इस दौरान उन्होंने चार शतक और 16 अर्धशतक लगाए हैं। दक्षिण अफ्रीका दौरे पर रहाणे ने तीन मैचों में 22.67 की औसत के साथ 136 रन बनाए और एक भी अर्धशतक नहीं लगा सके। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या उन्हें एक और मौका मिलता है या नहीं।
भारत ने गंवाया दक्षिण अफ्रीका में पहली टेस्ट सीरीज जीतने का मौका
भारत के पास दक्षिण अफ्रीका में पहली टेस्ट सीरीज जीतने का शानदार मौका था। सीरीज शुरु होने से पहले ही एनरिच नोर्खिया के चोटिल होने से भारत को एक बड़ा लाभ भी मिला था। भारत ने पहला टेस्ट जीतकर सीरीज की शानदार शुरुआत भी की थी। पहले टेस्ट के बाद क्विंटन डि कॉक ने टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कहकर दक्षिण अफ्रीका की परेशानी बढ़ाई थी। हालांकि, अगले दो टेस्ट हारकर उन्होंने यह शानदार मौका हाथ से जाने दिया।