
सेना किस तकनीक से धराली के मलबे में दबी जिंदगियों का लगा रही पता?
क्या है खबर?
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में मंगलवार (5 अगस्त) को बादल फटने से तबाही आ गई। इससे मलबे में दबे जिंदगियाें की तलाश का एक बेचैन माहौल पीछे छूट गया। राहत और बचाव कार्य में सेना, ITBP, NDRF, SDRF, राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन के 800 से अधिक सदस्यों की टीम जुटी हुई है। इसमें उच्च तकनीक वाला उपकरण अहम भूमिका निभा रहा है। आइये जानते हैं इस अभियान में कौनसी तकनीक काम ली जा रही है।
तकनीक
इस तकनीक का हो रहा इस्तेमाल
सेना मलबे से जीवित बचे लोगों को निकालने के लिए उच्च तकनीक वाले पेनिट्रेटिंग या रेको (RECCO) का उपयोग कर रही है। इससे खुदाई किए बगैर ही मलबे में दबे लोगों का पता लगाया जा सकता है। यह जमीन के नीचे एक हाई फ्रीक्वेंसी रेडियो तरंग भेजता है, जहां यह मिटटी, पत्थर, धातु और हड्डियों को अलग-अलग रंगों के जरिए बताता है। इसके जरिए जमीन के नीचे 20-30 फीट तक फंसे लोगों या शवों की पहचान की जा सकती है।
उपयोग
हिमस्खलन के लिए किया गया था डिजाइन
रेको रडार एक ग्राउंड-पेनिट्रेटिंग डिडेक्शन सिस्टम है, जिसे बर्फ या मलबे में दबे लोगों का पता लगाने के लिए डिजाइन किया गया है। यह मूल रूप से हिमस्खलन बचाव के लिए विकसित किया गया है, जो जैकेट, हेलमेट और बैकपैक जैसी विभिन्न व्यक्तिगत वस्तुओं में लगे रेको रिफ्लेक्टरों का पता लगाकर काम करता है। यह रडार 20 मीटर गहराई तक स्कैन कर सकता है और संभावित मानवीय उपस्थिति के बारे में तेज और सटीक जानकारी देता है।
फायदा
तकनीक से टीमों को क्या हुआ फायदा?
धराली में 7 टीमों ने रेको रडार सिस्टम का उपयोग किया है। इसने संभावित जीवित बचे लोगों की पहचान करने की उनकी क्षमता में उल्लेखनीय सुधार किया है। यह खासकर उन क्षेत्रों में ज्यादा उपयोगी रहा है, जहां हाथ से खुदाई करना बहुत खतरनाक है। इस रडार सिस्टम का उपयोग पहले केरल के कोच्चि में भूस्खलन के दौरान प्रभावी ढंग से किया गया था, लेकिन हिमालय क्षेत्र में इस पैमाने पर पहले कभी इस तकनीक का इस्तेमाल नहीं किया गया।
घटना
कब हुई थी घटना?
उत्तरकाशी जिले के धराली में 5 अगस्त को दोपहर 1:45 बजे बादल फट गया था। खीर गंगा नदी में बाढ़ आने से 34 सेकेंड में धराली गांव जमींदोज हो गया। अब तक 5 मौतों की पुष्टि हो चुकी है। 100-150 लोग लापता हैं और मलबे में दबे हो सकते हैं। इनमें 9 सेना के जवान भी शामिल हैं। गंगोत्री और अन्य इलाकों में फंसे 450 से ज्यादा पर्यटकों को सुरक्षित जगहों पर भेजा गया है।