अंतरिक्ष मौसम में तेजी से होता बदलाव एयरलाइन कंपनियों के लिए क्यों है खतरा?
क्या है खबर?
अंतरिक्ष मौसम में तेजी से बदलाव हो रहा है और इसी कारण दुनिया भर की एयरलाइन कंपनियों में चिंता बढ़ गई है। हाल ही में सूरज ने एक्स-रे जैसी बहुत तेज चमक छोड़ी, जिसने धरती के ऊपर सोलर तूफान का असर बढ़ा दिया। वैज्ञानिकों का कहना है कि सूरज अभी अपने सोलर मैक्सिमम दौर में है, जिससे इन तूफानों की संख्या और ताकत दोनों बढ़ सकती है। ऐसे में हवाई उड़ानों के लिए जोखिम पहले से ज्यादा बढ़ गया है।
चेतावनी
वैज्ञानिकों ने रेडिएशन बढ़ने पर दी चेतावनी
यूनाइटेड किंगडम (UK) के सरे स्पेस सेंटर ने अध्ययन में बताया कि हाल ही में आए सौर तूफान से रेडिएशन में असामान्य रूप से तेजी आई। यह रेडिएशन इतना ज्यादा था कि उसे जमीन से भी मापा गया, जो लगभग 20 साल में पहली बार हुआ है। वैज्ञानिकों ने बताया कि दिसंबर, 2006 के बाद इतनी तेज घटना नहीं देखी गई थी। उनका कहना है कि आने वाले महीनों में ऐसे और भी बड़े सौर तूफान हो सकते हैं।
असर
अंतरिक्ष मौसम के बिगड़ने से उड़ानों पर बढ़ सकता है असर
11 नवंबर को सोलर फ्लेयर के धरती से टकराने के बाद मौसम विभाग ने विशेष बैलून भेजकर रेडिएशन मापा। लगभग 40,000 फीट की ऊंचाई पर रेडिएशन सामान्य स्तर से 10 गुना अधिक पाया गया। यह वही ऊंचाई है, जहां बिजनेस जेट और बड़ी हवाई उड़ानें चलती हैं। वैज्ञानिकों ने बताया कि इन रीडिंग ने पहली बार यह साफ तस्वीर दी है कि सोलर तूफान एयरस्पेस में प्रभाव डाल सकता है और आने वाले महीनों में ऐसी घटनाएं बढ़ सकती हैं।
खतरा
एयरलाइंस के लिए क्यों बन रहा है यह बड़ा खतरा?
विशेषज्ञों का कहना है कि तेज सोलर तूफान हवाई जहाजों के इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम को खराब कर सकते हैं। इनमें वह तकनीक शामिल है जो उड़ान के दौरान नेविगेशन, संचार और कंट्रोल सिस्टम को संभालती है। अगर रेडिएशन बहुत बढ़ गया, तो विमान के सेंसर गलत डाटा दे सकते हैं और उड़ान संचालन खतरे में पड़ सकता है। ऐसी स्थिति लंबे रूट वाली अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए ज्यादा खतरनाक है, क्योंकि वे इसी ऊंचाई पर कई घंटे उड़ती हैं।
नुकसान
सौर तूफान से क्या हो सकता है नुकसान?
वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि अगर कैरिंगटन इवेंट जैसा बड़ा सोलर तूफान आया, तो एयरलाइंस को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। 1859 में आए तूफान ने यूरोप और अमेरिका में टेलीग्राफ सिस्टम बंद कर दिए थे। आज अगर ऐसा दोबारा हुआ, तो विमान संचार बाधित हो सकता है, GPS काम करना बंद कर सकता है और उड़ान मार्ग बदलने पड़ सकते हैं। इसलिए वैज्ञानिक लगातार कह रहे हैं कि एयरलाइन कंपनियों को अभी से तैयारियां शुरू करनी होंगी।