#NewsBytesExplainer: चांद पर जाने के लिए देशों के बीच क्यों लगी है होड़?
क्या है खबर?
भारत का चांद मिशन चंद्रयान-3 चांद की सतह पर लैंडिंग के करीब पहुंच रहा है। दूसरी तरफ रूस का चांद मिशन लूना-25 का लैंडर बीते दिन तकनीकी खामी के कारण नष्ट हो गया।
भारत और रूस के अलावा अमेरिका, चीन, इजराइल और जापान सहित कुछ अन्य देश भी चांद पर पहुंचने की दौड़ में शामिल हैं।
आइये जानते हैं कि ये देश चांद पर जाने की होड़ में क्यों लगे हुए हैं।
अंतरिक्ष
देशों की अंतरिक्ष एजेंसियां और उनके चांद मिशन
सभी देशों की अपनी अंतरिक्ष एजेंसियां और उनके अपने चांद मिशन हैं।
अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा है और इसके चांद मिशन का नाम आर्टिमिस है।
भारत की अंतरिक्ष एजेंसी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) है और इसके चांद मिशन का नाम चंद्रयान है।
चीन के अंतरिक्ष एजेंसी का नाम राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रशासन है और यह चांग-ई नाम से चांद मिशन लॉन्च करती है।
रूस की अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस लूना नाम से अपने चांद मिशन लॉन्च करती है।
अभियान
दक्षिणी ध्रुव पर कठिन है लैंडिंग
सभी देश चांद के दक्षिणी ध्रुव पर अपने अंतरिक्ष अभियानों को अंजाम देने पर जोर दे रहे हैं।
चांद के दक्षिणी ध्रुव में चांद मिशनों की लैंडिंग काफी जटिल है, लेकिन उसके बाद भी वहां मौजूद संभावनाओं के चलते सभी देश इस इलाके में एक-दूसरे से पहले पहुंचना चाहते हैं।
चांद की सतह पर अब तक अमेरिका, रूस और चीन ने लैंडिंग तो की है, लेकिन दक्षिणी ध्रुव पर आज तक कोई नहीं उतर पाया है।
संभावना
दक्षिणी ध्रुव पर हैं ये संभावनाएं
चांद के दक्षिणी ध्रुव के कई क्षेत्रों में करोड़ों वर्षों से सूर्य की रोशनी नहीं पहुंची है, जिसके चलते ये इलाके बहुत ठंडे हैं। इन ठंडे इलाकों में पानी और बर्फ की उम्मीद है।
अंतरिक्ष एजेंसियांं बर्फ का उपयोग अंतरिक्ष यात्रियों को पीने का पानी उपलब्ध कराने के साथ ही भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों को आसान बनाने के लिए करना चाहती हैं।
बर्फ से ऑक्सीजन बनाने और रॉकेट के लिए ईंधन बनाने तक की योजना है।
उम्मीद
पता चल सकते हैं चांद से जुड़े रहस्य
दक्षिणी ध्रुव के क्षेत्र ठंडे होने की वजह से यहां की मिट्टी में जमा चीजें लाखों सालों से सुरक्षित हो सकती हैं और उनकी जांच से कई जानकारी प्राप्त की जा सकती हैं।
दक्षिणी ध्रुव में जमी बर्फ के अणुओं की पड़ताल से सौर परिवार का जन्म, चंद्रमा और पृथ्वी के जन्म का रहस्य, चंद्रमा का निर्माण कैसे हुआ और इसके निर्माण के दौरान क्या स्थितियां थीं, आदि रहस्यों का पता लगाया जा सकता है।
पानी
अभी तक भूमध्य रेखीय क्षेत्र में लॉन्च किए जाते रहे हैं मिशन
चांद पर पानी मिलने और उससे ऑक्सीजन बनाने की क्षमता हासिल करने पर वहां मानव जीवन की संभावनाओं को तलाशा जा सकता है।
कई देश चांद पर इंसानों को बसाने के लिए वहां मानव जीवन के अनुकूल वातावरण की तलाश में लंबे समय से लगे हुए हैं।
विभिन्न चांद मिशनों के जरिए अब तक कई जानकारी इकट्ठा की गई हैं, लेकिन अभी तक के सारे मिशन भूमध्य रेखीय क्षेत्र के किए लॉन्च किए जाते रहे हैं।
अमेरिका
अमेरिका और चीन की तैयारी
अमेरिका वर्ष 2025 में आर्टिमिस-3 मिशन के जरिए चांद पर मनुष्यों को पहुंचाने की तैयारी में है।
नासा मंगल ग्रह से जुड़े अपने मिशनों के लिए भी चांद को एक पड़ाव के रूप में भी देखती है और उसने वहां 4G नेटवर्क स्थापित करने के लिए नोकिया के साथ एक करार भी किया है।
चीन वर्ष 2030 तक चांद पर एक क्रू मिशन भेजने और वहां बेस बनाने की तैयारी में है।
जानकारी
नासा के प्रशासक नहीं चाहते कि चीन दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचे
एक रिपोर्ट के मुताबिक, नासा के प्रशासक बिल नेल्सन नहीं चाहते कि चीन पहले इंसानों के साथ दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचे। नेल्सन का कहना है कि उन्हें चिंता है कि अगर चीन पहले वहां पहुंचता है तो वह इस क्षेत्र पर दावा कर सकता है।
आसान
टेक्नोलॉजी के विकास के बाद भी आसान नहीं है चांद की राह
टेक्नोलॉजी के विकास से अंतरिक्ष मिशनों की लागत और खतरों के कुछ हद तक कम होने और इस क्षेत्र में प्राइवेट कंपनियों के लिए रास्ता खोले जाने से भी मिशनों में तेजी आई है। हालांकि, इसके बाद भी चांद पर पहुंचना आसान नहीं है।
वर्ष 2019 में भारत का चंद्रयान-2 लैंडिंग में सफल नहीं रहा। इजरायल का लैंडर भी 2019 में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इसी तरह इस साल अप्रैल में जापान को भी असफलता का सामना करना पड़ा था।
जानकारी
चंद्रयान-3 की लैंडिंग से दक्षिणी ध्रुव में उतरने वाला पहला देश होगा भारत
चांद मिशनों के इतिहास की बात करें तो रूस चांद पर अपना यान भेजने वाला पहला देश था, लेकिन अमेरिका चांद पर कदम रखने वाला पहला देश बना। अब भारत का चंद्रयान-3 सॉफ्ट लैंडिग करता है तो दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश होगा।