
ट्रंप प्रशासन ने नासा को क्यों ये सैटेलाइट बंद करने का दिया आदेश?
क्या है खबर?
ट्रंप प्रशासन ने नासा को 2 प्रमुख कार्बन मॉनिटरिंग सैटेलाइट बंद करने का आदेश दिया है। ये ऑर्बिटिंग कार्बन ऑब्जर्वेटरीज सैटेलाइट पृथ्वी के वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की निगरानी करते हैं। यह कदम जलवायु परिवर्तन पर निगरानी के प्रयासों को प्रभावित कर सकता है। वैज्ञानिकों और पर्यावरण विशेषज्ञों ने इस पर चिंता जताई है, क्योंकि इन सैटेलाइट्स से मिलने वाला डाटा खेती, ऊर्जा और मौसम से जुड़े फैसलों के लिए बेहद उपयोगी होता है।
वजह
क्यों लिया गया इन्हें बंद करने का फैसला?
रिपोर्टों के मुताबिक, ट्रंप प्रशासन के अधिकारी नासा से इन सैटेलाइट्स को समाप्त करने की योजना तैयार करने को कह चुके हैं। माना जा रहा है कि यह निर्णय राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के जलवायु परिवर्तन से इनकार और पर्यावरण विज्ञान में कटौती की नीति से जुड़ा है। प्रशासन के प्रस्तावित 2026 बजट में विज्ञान अभियानों में कटौती की बात की गई है, जिससे नासा के मौजूदा मिशन भी खतरे में पड़ सकते हैं।
मिशन
क्यों जरूरी हैं ये सैटेलाइट मिशन?
अगर इन सैटेलाइट्स को समय से पहले बंद किया गया, तो कीमती डाटा एकत्र करने की प्रक्रिया रुक जाएगी। इनमें से एक सैटेलाइट अंतरिक्ष स्टेशन से जुड़ा है और दूसरा स्वतंत्र रूप से काम कर रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ये वेधशालाएं अभी वर्षों तक कार्य कर सकती हैं और जो डाटा वे भेज रही हैं, वह बेहद उच्च गुणवत्ता का है, जिससे उत्सर्जन और मौसम संबंधी प्रभावों की बेहतर समझ मिलती है।
प्रतिक्रिया
वैज्ञानिकों और सांसदों की तीखी प्रतिक्रिया
नासा के पूर्व वैज्ञानिकों ने मिशनों को बंद करने को आर्थिक रूप से गलत बताया है, क्योंकि इनका रखरखाव लागत एजेंसी के कुल बजट का बहुत ही छोटा हिस्सा है। कई अमेरिकी सांसदों ने भी इसका विरोध किया है। उनका कहना है कि ऐसा कदम अमेरिका की अंतरिक्ष नेतृत्व क्षमता को नुकसान पहुंचा सकता है। कुछ सांसदों ने कटौती को गैरकानूनी भी बताया है और नासा के विज्ञान बजट को बचाने के लिए वैकल्पिक प्रस्ताव लाने की बात कही है।