
वैज्ञानिकों ने क्रोनिक फटीग सिंड्रोम के लिए विकसित किया ब्लड टेस्ट, इलाज होगा आसान
क्या है खबर?
वैज्ञानिकों ने मायल्जिक एंसेफेलोमाइलाइटिस या क्रोनिक फटीग सिंड्रोम (ME/CFS) के उपचार के लिए दुनिया का पहला ब्लड टेस्ट विकसित कर लिया है। इस स्थिति के लिए वर्तमान में कोई परीक्षण उपलब्ध नहीं है और रोगियों का निदान आमतौर पर लक्षणों के आधार पर किया जाता है। इस कारण कई रोगियों में सालों तक इसका इलाज नहीं हो पाता है। कुछ विशेषज्ञों ने इसे उपयोग में लेने से पहले सावधानी बरतने का आग्रह किया है।
ME/CFS
क्या है ME/CFS बीमारी?
प्रमुख शोधकर्ता ईस्ट एंग्लिया विश्वविद्यालय (UEA) नॉर्विच मेडिकल स्कूल के प्रोफेसर दिमित्री शेजेत्स्की ने कहा कि ME/CFS एक गंभीर और अक्सर अक्षम करने वाली बीमारी है। उन्होंने बताया कि इस बीमारी का लक्षण अत्यधिक थकान है, जो आराम करने से भी कम नहीं होती। कुछ मरीजों ने शोधकर्ताओं को बताया है कि उन्हें नजरअंदाज किया गया और उनकी बीमारी को दिमाग की उपज बताया। जांच के बिना कई मरीजों का सालों तक निदान नहीं हो पाया या गलत हुआ।
शोध
टेस्ट में ऐसे चला बीमारी का पता
UEA और ऑक्सफोर्ड बायोडायनामिक्स (OBD) के वैज्ञानिकों ने इस स्थिति से पीड़ित रोगियों में DNA के मुड़ने के तरीके का अध्ययन किया, जिससे ME/CFS के स्पष्ट संकेत मिल सकते हैं। उन्होंने गंभीर बीमारी से पीड़ित 47 रोगियों और 61 स्वस्थ वयस्कों के रक्त के नमूनों की जांच की। टीम ने एक अनोखा पैटर्न खोजा जो ME/CFS से पीड़ित लोगों में लगातार दिखाई देता है, जो स्वस्थ लोगों में नहीं देखा जाता, जिससे उन्हें यह परीक्षण विकसित करने में मदद मिली।