
वैज्ञानिक बना रहे हैं पाउडर जैसा नकली खून, आपात स्थिति में बचाई जा सकेगी जान
क्या है खबर?
दुनियाभर में हर साल कई लोग अस्पताल पहुंचने से पहले ही खून बहने से मर जाते हैं, क्योंकि समय पर खून नहीं मिल पाता। एम्बुलेंस या हेलीकॉप्टर में रक्त रखना मुश्किल होता है, क्योंकि वह जल्दी खराब हो जाता है। इसी वजह से वैज्ञानिक ऐसा आर्टिफिशियल रक्त विकसित करने में लगे हैं, जिसे पाउडर के रूप में लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सके और जरूरत पड़ने पर मौके पर ही इस्तेमाल किया जा सके।
निर्माण
कैसे तैयार हो रहा है आर्टिफिशियल रक्त?
अमेरिका में यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड स्कूल ऑफ मेडिसिन के वैज्ञानिक इस रक्त को बनाने के लिए हीमोग्लोबिन नामक प्रोटीन का उपयोग कर रहे हैं। ये प्रोटीन शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करता है। शोधकर्ता एक्सपायर हो चुके रक्त से हीमोग्लोबिन निकालकर उसे वसा के छोटे बुलबुले में बंद कर देते हैं, जिससे आर्टिफिशियल लाल रक्त कोशिकाएं बनती हैं। यही तकनीक पिछले प्रयासों में हुई समस्याओं को दूर करने में मदद कर रही है।
उपयोग
आपातकालीन और युद्ध जैसे हालात में होगा उपयोग
यह आर्टिफिशियल रक्त पाउडर के रूप में होगा, जिसे पानी में घोलकर मिनटों में इस्तेमाल किया जा सकेगा। इससे सड़क हादसों, आपातकालीन स्थितियों और युद्ध क्षेत्र में घायल लोगों की जान बचाई जा सकेगी। अमेरिकी रक्षा विभाग भी इस परियोजना को समर्थन दे रहा है और सैकड़ों करोड़ रुपये की सहायता कर रहा है, ताकि इसे सेना और नागरिक चिकित्सा दोनों में उपयोग किया जा सके। इसका उद्देश्य रक्त की कमी से होने वाली मौतों को कम करना है।
परीक्षण
अभी बाकी है मानव परीक्षण का चरण
अब तक खरगोशों पर किए गए परीक्षणों में आर्टिफिशियल रक्त प्रभावी और सुरक्षित दिखा है। वैज्ञानिकों का दावा है कि यह अस्पताल से बाहर घायल लोगों की देखभाल के तरीके को पूरी तरह बदल सकता है। हालांकि, अभी मानव परीक्षण बाकी हैं। डॉक्टरों को उम्मीद है कि 2 साल के भीतर इंसानों पर परीक्षण शुरू किया जा सकेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि यह एक कठिन क्षेत्र है, इसलिए अंतिम सफलता क्लिनिकल परीक्षणों के बाद ही तय होगी।