रिलायंस जियो ने अपने 5G नेटवर्क से किया कनेक्टेड रोबोटिक्स का सफल ट्रायल
भारत में बड़ी टेलिकॉम कंपनियां 5G ट्रायल्स पूरे कर रही हैं और अगले साल के आखिर तक 5G रोलआउट शुरू हो सकता है। रिलायंस जियो ने कनेक्टेड रोबोटिक्स से जुड़ा ट्रायल इसके 5G नेटवर्क पर पूरा किया है। कंपनी ने भारत में तैयार किए इसके 5G रेडियो ऐक्सेस नेटवर्क (RAN) और 5G स्टैंडअलोन (SA) कोर नेटवर्क पर ये ट्रायल्स किए। ट्रायल्स की जानकारी 5G नेटवर्क्स, AIoT आधारित प्लेटफॉर्म और ब्लॉकचेन आधारित ऐप्लिकेशंस तैयार कर रहे सीनियर जियो कर्मचारी ने दी।
लिंक्डइन पोस्ट में दी ट्रायल्स की जानकारी
रिलायंस जियो के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट आयुष भटनाकर ने लिंक्डइन पोस्ट में लिखा, "यह 5G स्टैंडअलोन नेटवर्क्स की असली क्षमता को दिखाता है और इसके असली जिंदगी में इस्तेमाल के तरीके समझे जा सकते हैं।" उन्होंने बताया, "जियो 5G रोबोटिक्स अलग-अलग तरह की ढेरों सेवाएं दे सकता है, जिनमें भारी सामान उठाने और वेयरहाउस में मैन्युफैक्चरिंग से लेकर मेडिकल स्टाफ की मदद करने वाले रोबोट्स तक और रिमोट अल्ट्रासाउंड सेवा से इंडस्ट्रियल ऑटोमेशन रोबोट्स तक शामिल होंगे।"
इंडस्ट्री 4.0 से जुड़ी संभावनाओं की तलाश
जियो ने कहा है कि यह 5G नेटवर्क डिवेलपमेंट इंडस्ट्री 4.0 में वैल्यू क्रिएशन की संभावनाओं से जुड़ा है। यह पहली बार नहीं है जब टेलिकॉम कंपनी ने 5G कनेक्टिविटी से जुड़े अपने ट्रायल्स और उनमें मिली सफलताओं की जानकारी दी है। इसी महीने की गई एक और पोस्ट में कंपनी ने बताया था कि इसने अपने 5G नेटवर्क के साथ कनेक्टेड ड्रोन्स की मदद से सफल ट्रायल्स पूरे किए हैं।
5G की मदद से ड्रोन्स पर नियंत्रण
कनेक्टेड ड्रोन और जियो के 5G नेटवर्क ट्रायल्स से जुड़ी जानकारी देते हुए किए गए पोस्ट में जियो वाइस प्रेसिडेंट ने लिखा, "ऐसे ट्रायल्स के लिए 5G के साथ सभी ड्रोन्स को कमांड देने और ठीक से कंट्रोल करना जरूरी है और इसके लिए क्लाउड में फ्लीट मैनेजमेंट सिस्टम इस्तेमाल किया जाता है। इसमें कई तरह के टास्क जैसे- इमेज रेकग्निशन, ट्रैक-एंड-ट्रेस, डिस्क्रीट पेलोड पिकअप एंड डिलिवरी, ड्रोन रूट सॉर्टीज, वीडियो इमेजरी और रियल-टाइम ड्रोन कंट्रोल शामिल हैं।"
गूगल, फेसबुक और माइक्रोसॉफ्ट के साथ पार्टनरशिप
भारत में 5G सॉल्यूशंस लाने के लिए रिलायंस जियो ने गूगल, फेसबुक और माइक्रोसॉफ्ट के साथ पार्टनरशिप की घोषणा की है। कंपनी नए 5G सॉल्यूशंस में गूगल क्लाउड की कटिंग-एज टेक्नोलॉजी इस्तेमाल कर सकती है। माइक्रोसॉफ्ट के साथ साझेदारी में कंपनी जियो-अज्यूर क्लाउड डाटा सेंटर्स की 10MW कैपेसिटी इस्तेमाल कर सकेगी। इसके अलावा जियो 5G सॉल्यूशंस के साथ 1Gbps तक की टेस्टिंग स्पीड मिलने की बात भी सामने आई है।
लंबा हो सकता है 5G रोलआउट का इंतजार
भारत में 5G नेटवर्क के रोलआउट का इंतजार स्मार्टफोन यूजर्स के लिए और लंबा हो सकता है। सरकार ने पहले संकेत दिए थे कि 5G कनेक्टिविटी के लिए स्पेक्ट्रम ऑक्शंस अगले साल की पहली तिमाही में हो सकते हैं, वहीं अब सामने आ रहा है कि इसमें देरी की गुंजाइश है। दरअसल, पूरी तरह इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार ना होने के चलते टेलीकॉम कंपनियों ने डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशंस (DoT) से मई, 2022 तक का वक्त मांगा है।
एयरटेल से होगी जियो की टक्कर
रिलायंस जियो के अलावा भारती एयरटेल भी 5G टेक्नोलॉजी पर काम कर रही है और दोनों ही कंपनियां सफलतापूर्वक ट्रायल कर चुकी हैं। रिपोर्ट्स की मानें तो सरकार की ओर से स्पेक्ट्रम मिलते ही यूजर्स को 5G सेवाएं मिलना शुरू हो सकती हैं।