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ऑनलाइन गेमिंग खतरे में डाल रही बच्चों का स्वास्थ्य, रिपोर्ट में खुलासा 
ऑनलाइन गेमिंग बच्चों के लिए कई खतरे पैदा कर रहा है (तस्वीर: अनस्प्लैश)

ऑनलाइन गेमिंग खतरे में डाल रही बच्चों का स्वास्थ्य, रिपोर्ट में खुलासा 

Nov 10, 2025
04:02 pm

क्या है खबर?

ऑनलाइन गेमिंग उद्योग के विकास ने बच्चों के बीच ऑनलाइन गेमिंग के प्रति जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ लत और शोषण को लेकर चिंताएं भी बढ़ाई हैं। साइबरपीस की एक रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि बच्चों को इन बढ़ते जोखिमों से बचाने के लिए एक व्यवस्थित नीतिगत हस्तक्षेप की आवश्यकता है। ऑनलाइन गेम के शुरुआती दौर में संपर्क से छोटे बच्चों के विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

मोटापा 

इसने कैसे बढ़ाया मोटापा?

शारीरिक विकास को लेकर रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि अध्ययनों से पता चला है कि लंबे समय तक गेमिंग विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़ा हुआ है। एक अध्ययन में पाया कि स्क्रीन पर ज्यादा समय बिताने वाले बच्चों का बॉडी मास इंडेक्स (BMI) ज्यादा होता है और उनका वजन बढ़ने की संभावना अधिक होती है। अत्यधिक गेमिंग एक जगह बैठे रहने की जीवनशैली को बढ़ावा देती है, जिससे मोटापा और उससे जुड़ी स्वास्थ्य समस्याएं पैदा होती हैं।

असर 

गेमिंग से ये भी हुए असर 

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि लगातार गेमिंग से कार्पल टनल सिंड्रोम जैसी बार-बार होने वाली तनाव संबंधी चोटें हो सकती हैं, क्योंकि लगातार माउस क्लिक करने या कंट्रोलर के इस्तेमाल से हाथों और कलाईयों पर दबाव पड़ता है। ऑनलाइन गेमिंग की लत नींद की आदतों को भी बिगाड़ सकती है। इसके अलावा अत्यधिक गेमिंग हृदय संबंधी समस्याओं से भी जुड़ी है। साथ ही यह लत भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव डालती है।

सुझाव 

सुरक्षा के लिए दिए ये सुझाव 

साइबरपीस ने इन जोखिमों को कम करने के लिए कई उपाय सुझाए हैं। इसने आयु सत्यापन के लिए एक स्पष्ट कार्यप्रणाली की मांग की है। डिजिटल व्यक्तिगत डाटा संरक्षण अधिनियम, 2023 ऐसी जांचों को अनिवार्य तो करता है, लेकिन कार्यान्वयन पर स्पष्टता का अभाव है। इसने हिंसा, कामुकता और वयस्क विषयों के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देशों के साथ कंटेंट विनियमन का भी सुझाव दिया और कहा कि भारत में कंटेंट बेंचमार्किंग के लिए PEGI के समकक्ष कोई मानक नहीं है।