न्यूरालिंक ब्रेन चिप का इंसानी ट्रायल छह महीनों में शुरू होने की उम्मीद- एलन मस्क
क्या है खबर?
अमेरिकी अरबपति एलन मस्क ने बुधवार को वायरलेस ब्रेन चिप को लेकर बड़ा ऐलान किया है।
उन्होंने कहा कि उनकी कंपनी न्यूरालिंक अगले छह महीनों में ब्रेन चिप का इंसानों पर ट्रायल शुरू कर देगी। हालांकि, कंपनी उनकी पहले से तय की गई एक समयसीमा पार कर चुकी है।
बता दें कि कंपनी पिछले काफी समय से जानवरों पर इसके ट्रायल कर रही है। उसने इंसानी ट्रायल के लिए अमेरिका की नियामक संस्था से मंजूरी मांगी है।
जानकारी
क्या है वायरलेस ब्रेन चिप?
एलन मस्क की कंपनी न्यूरालिंक ऐसी वायरलेस ब्रेन चिप बनाने की कोशिश कर रही है, जिसकी मदद से दिव्यांग व्यक्ति हलचल और बातचीत कर सकेंगे।
मस्क का कहना है कि इस बार चिप के जरिये नेत्रहीन लोगों को दृष्टि वापस लौटाने के लिए काम किया जा रहा है। इस चिप की मदद से इंसान अपने दिमाग में सोचने भर से डिवाइसेज को कमांड दे सकेगा।
2016 में इस कंपनी की शुरुआत हुई थी।
बयान
एलन मस्क ने क्या बताया?
मस्क ने कहा, "इंसान में चिप लगाने से पहले हम बहुत सावधानी और निश्चितता के साथ आगे बढ़ना चाहते हैं। ऐसे में शुरुआत बहुत धीमी लग सकती है, लेकिन हम इसके समांतर चीजों को बड़े स्तर पर लाने की कोशिश कर रहे हैं।"
इस्तेमाल
क्या होंगे न्यूरालिंक डिवाइस के पहले इस्तेमाल?
न्यूरालिंक अपने पहले डिवाइस का इस्तेमाल नेत्रहीनों को दृष्टि वापस लौटाने और हिलने-डुलने में अक्षम लोगों को इसके सक्षम बनाने के लिए करेगी।
मस्क ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि अगर कोई व्यक्ति जन्म से ही दृष्टिबाधित है, तब भी न्यूरालिंक डिवाइस की मदद से उसकी दृष्टि लौटाई जा सकेगी।
बता दें कि न्यूरालिंक को 2020 के अंत तक नियामकीय मंजूरी मिलने की उम्मीद थी, लेकिन यह समयसीमा से काफी पीछे चल रही है।
जानकारी
बंदर ने दिमाग से खेला था वीडियो गेम
पिछले साल अप्रैल में न्यूरालिंक ने एक वीडियो शेयर किया था, जिसमें अपने दिमाग से सिग्नल भेजकर एक बंदर वीडियो गेम खेलता दिख रहा था। यह बंदर न्यूरालिंक टेक्नोलॉजी के साथ अपने दिमाग की मदद से गेमिंग कर रहा था।
विवाद
ट्रायल के दौरान हुई थी बंदरों की मौत
इस साल फरवरी में खबर आई थी कि न्यूरालिंक चिप के ट्रायल के दौरान 15 बंदरों की मौत हो गई थी।
रिपोर्ट्स के अनुसार, साल 2017 से 2020 के बीच न्यूरालिंक चिप की टेस्टिंग के लिए यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया डेविस में 23 बंदरों को लाया गया था। दावा है कि न्यूरालिंक चिप इंप्लांट के बाद टेस्टिंग के दौरान इनमें से कम से कम 15 बंदरों की मौत हो चुकी थी।
इसके बाद न्यूरालिंक विवादों में आ गई थी।
न्यूरालिंक
ये होंगे इस टेक्नोलॉजी के फायदे
मस्क ने पिछले साल एक इंटरव्यू में बताया कि न्यूरालिंक प्रोडक्ट की मदद से पैरालिसिस का शिकार हुआ कोई व्यक्ति अपनी उंगलियों की मदद से फोन इस्तेमाल कर रहे किसी व्यक्ति के मुकाबले अपने दिमाग की मदद से ज्यादा तेजी से स्मार्टफोन इस्तेमाल कर सकेगा।
इस टेक्नोलॉजी के अगले वर्जन में ब्रेन सिग्नल्स की मदद से दूसरे डिवाइसेज को कंट्रोल करने जैसे काम किए जा सकेंगे, जिसका फायदा गंभीर बीमारियों से जुड़े लोगों को मिलेगा।