
नासा का लूनर ट्रेलब्लेजर मिशन आधिकारिक रूप से बंद, क्या था इसका उद्देश्य?
क्या है खबर?
अंतरिक्ष एजेंसी नासा का लूनर ट्रेलब्लेजर मिशन अब आधिकारिक रूप से बंद कर दिया गया है। यह मिशन 26 फरवरी को लॉन्च हुआ था, लेकिन अगले ही दिन अंतरिक्ष यान से संपर्क टूट गया। इसके बाद लगातार कई महीनों तक संपर्क बहाल करने की कोशिश की गई, लेकिन अंत में 31 जुलाई को इसे पूरी तरह से समाप्त घोषित कर दिया गया। यह मिशन चंद्रमा पर पानी की खोज के लिए भेजा गया था।
उद्देश्य
मिशन का उद्देश्य और खासियतें
इस छोटे सैटेलाइट का मकसद चंद्रमा की सतह पर पानी के नक्शे तैयार करना था। यह यह जानने की कोशिश करता कि पानी किस रूप में है, कितना है और उसमें समय के साथ क्या बदलाव होते हैं। यह जानकारी भविष्य के मानव और रोबोटिक मिशनों के लिए उपयोगी होती। इसके अलावा, यह उपकरण वायुहीन पिंडों पर जल चक्र को समझने में भी मदद करते, जो वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अहम है।
वजह
संपर्क क्यों टूटा और मिशन क्यों फेल हुआ?
अंतरिक्ष यान से संपर्क टूटने के कारण मिशन सफल नहीं हो सका। अनुमान लगाया गया कि यान के सोलर पैनल सूरज की तरफ ठीक से नहीं मुड़े थे, जिससे बैटरी पूरी तरह खत्म हो गई। टीम यान के थ्रस्टर भी नहीं चला सकी और कोई दिशा सुधार संभव नहीं हो पाया। दुनियाभर के वैज्ञानिकों ने संपर्क बहाल करने की हरसंभव कोशिश की, लेकिन रेडियो संकेत धीरे-धीरे बेहद कमजोर हो गए और मिशन को बचाना पूरी तरह नामुमकिन हो गया।
उपयोग
तकनीक का भविष्य में उपयोग होगा
भले ही यह मिशन असफल रहा हो, लेकिन इससे मिली तकनीक भविष्य के मिशनों में काम आ सकती है। इसके HVM3 और LTM जैसे वैज्ञानिक उपकरण उच्च गुणवत्ता वाले और बेहद उन्नत तकनीक से लैस थे। यह तकनीक भविष्य में चंद्रमा पर बेहतर अध्ययन और खोज के लिए उपयोगी होगी। इस परियोजना में नासा, कैलटेक, JPL, ऑक्सफोर्ड और यूनाइटेड किंगडम (UK) स्पेस एजेंसी जैसे संस्थानों ने मिलकर काम किया, जो अंतरिक्ष अनुसंधान में वैश्विक सहयोग का एक मजबूत उदाहरण है।