मीठे पानी के स्तर में तेजी से हो रही गिरावट, नासा के सैटेलाइट से हुआ खुलासा
वैज्ञानिकों ने नासा और जर्मन सैटेलाइट्स से पता लगाया है कि 2014 से पृथ्वी पर मीठे पानी की मात्रा अचानक घट गई है और अब भी कम बनी हुई है। 2015-2023 के बीच मीठे पानी का स्तर 2002-2014 के औसत से 1,200 क्यूबिक किलोमीटर कम था। यह कमी झील एरी के पानी का ढाई गुना है। शोधकर्ताओं का मानना है कि यह बदलाव दिखाता है कि पृथ्वी के महाद्वीप लगातार शुष्क स्थिति में जा रहे हैं।
भूजल लगातार हो रहा कम
मीठे पानी की कमी के कारण बारिश और बर्फ उसे फिर से नहीं भर पा रही हैं, जिससे अधिक भूजल खींचा जा रहा है। इससे किसानों और समुदायों पर दबाव बढ़ता है और अकाल, गरीबी और संघर्ष हो सकते हैं। लोग दूषित पानी पीने को मजबूर हो सकते हैं, जिससे बीमारियां फैल सकती हैं। GRACE सैटेलाइट्स ने यह पाया है कि पृथ्वी के पानी के स्तर में वैश्विक कमी आई है, जिसका पता गुरुत्वाकर्षण में बदलाव से चला है।
दक्षिण अमेरिका शुरू हुई मीठे पानी में गिरावट
दक्षिण अमेरिका में सूखे के कारण मीठे पानी में गिरावट शुरू हुई, जिसके बाद दुनियाभर में सूखा फैल गया। 2014 और 2016 के बीच समुद्र का तापमान बढ़ा, जिससे वर्षा के पैटर्न में बदलाव आया। सूखे के बाद पानी का स्तर फिर से बढ़ने में विफल रहा। शोधकर्ता मानते हैं कि ग्लोबल वॉर्मिंग भी इसमें भूमिका निभा सकती है, क्योंकि गर्मी से जल वाष्प बढ़ती है, जिससे अधिक वर्षा होती है। शोध 'सर्वे इन जियोफिजिक्स' में प्रकाशित हुआ है।