ISRO का चंद्रयान-3 एक बार फिर पहुंचा चंद्रमा के करीब, मिला यह वैज्ञानिक डाटा
क्या है खबर?
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल ने 2 साल बाद एक बार फिर चंद्रमा के पास पहुंचकर नया रिकॉर्ड बनाया है। यह मॉड्यूल 2023 में लैंडर और रोवर की सफल सॉफ्ट लैंडिंग के बाद चंद्र कक्षा में ही मौजूद था। हाल ही में यह कई फ्लाईबाई के दौरान चंद्रमा के प्रभाव क्षेत्र में दोबारा प्रवेश करता हुआ दिखा। इस गतिविधि को अंतरिक्ष विशेषज्ञ बेहद महत्वपूर्ण मान रहे हैं और इसे अनोखी उपलब्धि बताया जा रहा है।
वापसी
मॉड्यूल चंद्रमा के पास कैसे लौटा?
चंद्रयान-3 को जुलाई, 2023 में LVM3 रॉकेट के जरिए लॉन्च किया गया था और अगस्त 2023 में लैंडर-रोवर ने सफल लैंडिंग की थी। इसके बाद प्रोपल्शन मॉड्यूल चंद्र कक्षा में घूमता रहा। फिर अक्टूबर, 2023 में किए गए ट्रांस-अर्थ इंजेक्शन ने इसे पृथ्वी की ऊंचा कक्षा में भेज दिया। वहीं, आगे के प्राकृतिक गुरुत्वाकर्षण प्रभाव और कक्षीय बदलावों से यह मॉड्यूल 2025 में फिर से चंद्रमा के पास जा पहुंचा।
फ्लाईबाई
फ्लाईबाई के दौरान क्या देखने को मिला?
चंद्रयान-3 का इस बार पहला फ्लाईबाई 6 नवंबर, 2025 को करीब 3,740 किलोमीटर की दूरी पर हुआ, लेकिन यह भारतीय डीप स्पेस नेटवर्क की पहुंच से बाहर था। दूसरा फ्लाईबाई 11 नवंबर को 4,537 किलोमीटर की दूरी पर हुआ, जिससे मॉड्यूल की सटीक निगरानी संभव हो सकी। इन फ्लाईबाई के बाद इसकी कक्षा काफी बढ़ गई और झुकाव भी बदल गया। इन परिवर्तनों ने मॉड्यूल की स्थिति और व्यवहार पर नई जानकारी दी।
महत्व
इस फ्लाईबाई का महत्व क्या है?
इन नजदीकी उड़ानों के दौरान ISTRAC नेटवर्क ने मॉड्यूल की कक्षा, गति और सुरक्षा पर लगातार नजर रखी। ये अध्ययन इसरो के लिए बेहद मूल्यवान माने जा रहे हैं क्योंकि ऐसे संचालन भविष्य के गहरे अंतरिक्ष मिशनों में मार्गदर्शन देंगे। विशेषज्ञों के अनुसार मॉड्यूल अभी भी स्थिर अवस्था में है और यह घटना दिखाती है कि ISRO लैंडिंग के बाद भी अंतरिक्ष यान को सुरक्षित ढंग से संचालित करने की उन्नत क्षमता हासिल कर चुका है।