भारतीय वैज्ञानिकों ने जेम्स वेब टेलीस्कोप की मदद से खोजी चमकती हुई नई आकाशगंगा
क्या है खबर?
अंतरिक्ष के रहस्यों को समझने के लिए वैज्ञानिक लगातार अध्ययन कर रहे हैं। इसी क्रम में भारतीय शोधकर्ताओं ने एक बहुत पुरानी आकाशगंगा खोजी है, जो तब बनी थी जब ब्रह्मांड सिर्फ 1.5 अरब साल पुराना था। इतनी शुरुआती आकाशगंगा का साफ-सुथरा और बिल्कुल सही आकार होना वैज्ञानिकों को हैरान कर रहा है। यह गैलेक्सी मिल्की वे जैसी दिखती है, जबकि उम्मीद की जाती थी कि उस समय आकाशगंगाएं अस्त-व्यस्त रूप में होती थीं।
नाम
क्या है इस आकाशगंगा का नाम?
पुणे के शोधकर्ताओं ने इस नई खोजी गई आकाशगंगा का नाम 'अलकनंदा' रखा है, जो हिमालय की प्रसिद्ध नदी पर आधारित है। यह आकाशगंगा 12 अरब प्रकाश-वर्ष दूर है और इसमें दो सुंदर स्पाइरल भुजाएं हैं, जो इसके चमकीले केंद्र के चारों ओर बनी हुई हैं। इसका आकार लगभग 30,000 प्रकाश-वर्ष है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इतनी शुरुआती ब्रह्मांड में इस तरह की साफ संरचना का मिलना बहुत आश्चर्यजनक है।
टेलीस्कोप
जेम्स वेब टेलीस्कोप ने दिखाई इतनी दूर की यह शानदार तस्वीर
यह खोज नासा के जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप की मदद से की गई, जो ब्रह्मांड की सबसे पुरानी वस्तुओं को देखने में सक्षम है। यह टेलीस्कोप 2021 में लॉन्च हुआ था और अब तक कई पुरानी गैलेक्सियों की जानकारी दे चुका है। शोधकर्ताओं का कहना है कि अलकनंदा जैसी स्पष्ट संरचना बताती है कि शुरुआती ब्रह्मांड पहले सोचे गए से ज्यादा विकसित था और बड़े आकार की गैलेक्सियां बहुत जल्दी बनना शुरू हो गई थीं।
अन्य
आगे का अध्ययन बताएगी कि स्पाइरल संरचना कैसे बनी
अब वैज्ञानिक इस आकाशगंगा में गैस और तारों की गति को मापने की तैयारी कर रहे हैं ताकि पता लगाया जा सके कि इसकी स्पाइरल भुजाएं कैसे बनीं। आगे के अध्ययन जेम्स वेब टेलीस्कोप और चिली में मौजूद ALMA टेलीस्कोप की मदद से होंगे। वैज्ञानिक यह भी समझना चाहते हैं कि क्या अलकनंदा जैसी आकाशगंगाएं शुरुआती ब्रह्मांड में बनने के किसी अलग तरीके का संकेत देती हैं, जो अब तक हमारी समझ से बाहर रहा है।