
माइक्रोप्लास्टिक से फसलों को हो रहे नुकसान से बढ़ेगी भुखमरी, अध्ययन में किया दावा
क्या है खबर?
माइक्रोप्लास्टिक को खाद्यान्न उत्पादन के लिए नुकसानदायक बताया है। इससे वैश्विक खाद्य सुरक्षा गंभीर रूप से खतरे में है। हाल ही में किए गए एक अध्ययन में इसको लेकर दावा किया गया है।
माइक्रोप्लास्टिक पौधों की प्रकाश संश्लेषण क्षमता पर बुरा असर डालते हैं, जिसके कारण मक्का, चावल और गेहूं जैसी महत्वपूर्ण फसलें खत्म हो रही हैं।
विशेषज्ञों का अनुमान है कि बढ़ते प्रदूषण के कारण इन प्रमुख फसलें 4 से 14 फीसदी तक नष्ट हो रही हैं।
असर
कितने लोग होंगे प्रभावित?
गार्जियन ने इस अध्ययन के आधार पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की है, जिसमें शोधकर्ताओं ने सुझाव दिया है कि माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण संभावित रूप से 2040 तक अतिरिक्त 40 करोड़ लोगों को भुखमरी के खतरे में डाल सकता है।
इससे पहले से ही भयावह भोजन संकट और भी बदतर हो जाएगा, जिसने 2022 में 70 करोड़ लोगों को प्रभावित किया है।
निष्कर्ष चिंताजनक हैं, लेकिन विशेषज्ञों ने डाटा की पुष्टि के लिए और अध्ययनों की आवश्यकता पर जोर दिया है।
नुकसान
माइक्रोप्लास्टिक्स से पौधों को क्या हो रहा नुकसान?
माइक्रोप्लास्टिक्स पौधों को कई तरह से सूरज की रोशनी का उपयोग करने से रोकते हैं और मिट्टी को नुकसान पहुंचाने से लेकर जहरीले रसायनों को ले जाते हैं।
ये कण माउंट एवरेस्ट की चोटी से लेकर महासागरों की गहराई में पहुंच गए हैं।
शोधकर्ताओं ने कहा कि माइक्रोप्लास्टिक के कारण होने वाली वार्षिक फसल हानि हाल के दशकों में जलवायु संकट के कारण होने वाली हानि के समान ही हो सकती है।
इससे खाद्यान्न उत्पादन की चुनौती और बढ़ जाएगी।