
स्पेस शटल से कैसे अलग होता है स्पेस कैप्सूल, जिससे सुनीता विलियम्स आईं वापस?
क्या है खबर?
भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स बीते दिन स्पेस-X के 'ड्रैगन' स्पेस कैप्सूल में बैठकर सुरक्षित पृथ्वी पर लौटीं।
इससे पहले, कल्पना चावला 2003 में स्पेस शटल कोलंबिया से लौट रही थीं, लेकिन उनका यान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसमें 7 अंतरिक्ष यात्रियों की मौत हो गई थी।
इस हादसे के बाद स्पेस शटल पर सवाल उठे और इसे बंद कर दिया गया। अब स्पेस कैप्सूल का ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है, क्योंकि यह ज्यादा सुरक्षित माना जाता है।
स्पेस शटल
स्पेस शटल 2011 में हुआ बंद
स्पेस शटल 1981-2011 तक इस्तेमाल किया गया। यह बड़े विमान जैसा दिखता था और रनवे पर उतर सकता था। इसका उपयोग अंतरिक्ष में वैज्ञानिक उपकरण और यात्री भेजने के लिए किया जाता था।
यह बहुत महंगा था और इसके जटिल डिजाइन की वजह से हादसों की संभावना ज्यादा थी।
1986 में 'चैलेंजर' और 2003 में 'कोलंबिया' स्पेस शटल दुर्घटनाग्रस्त हो गए, जिससे कई अंतरिक्ष यात्रियों की मौत हुई। सुरक्षा कारणों से 2011 में स्पेस शटल प्रोग्राम बंद कर दिया गया।
स्पेस कैप्सूल
स्पेस कैप्सूल: सुरक्षित और आधुनिक तकनीक
स्पेस कैप्सूल छोटे और गोल आकार के होते हैं। ये वायुमंडल में प्रवेश करते समय गर्मी सह सकते हैं और पैराशूट की मदद से समुद्र या जमीन पर उतरते हैं।
1960 के दशक से नासा ने अपोलो मिशनों में इन्हीं का इस्तेमाल किया था। आज रूस की सोयुज, स्पेस-X का क्रू ड्रैगन और बोइंग का स्टारलाइनर जैसे यान इसी तकनीक पर बनाए गए हैं।
विलियम्स भी स्पेस-X के ड्रैगन कैप्सूल में बैठकर लौटीं, जो सुरक्षित तरीके से वापस आया।
उपयोग
शटल और कैप्सूल में अंतर और वर्तमान उपयोग
स्पेस शटल के विपरीत, स्पेस कैप्सूल रनवे पर नहीं उतरते, बल्कि पैराशूट की मदद से समुद्र या जमीन पर लैंड करते हैं।
शटल को कई बार उपयोग किया जा सकता था, लेकिन इसकी लागत और सुरक्षा चिंताओं के कारण इसे बंद कर दिया गया।
स्पेस कैप्सूल का इस्तेमाल अपोलो युग से लेकर अब तक हो रहा है। स्पेस-X के क्रू ड्रैगन जैसे नए कैप्सूल आधुनिक मिशनों में उपयोग किए जा रहे हैं, क्योंकि वे ज्यादा सुरक्षित, सस्ते और प्रभावी हैं।