
सरकार सैटेलाइट ब्रॉडबैंड के लिए सीमित कर सकती है ग्राहक संख्या, जानिए वजह
क्या है खबर?
केंद्र सरकार भारत में स्टारलिंक, अमेजन कुइपर, यूटेलसैट वनवेब और जियो-SES जैसे सैटेलाइट ब्रॉडबैंड ऑपरेटर्स के लिए ग्राहकों की संख्या सीमित करने पर विचार कर रही है। यह कदम दूरसंचार कंपनियों की इस चिंता के बीच उठाया गया है कि सैटकॉम कंपनियां ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी के लिए अपने मौजूदा लाइसेंस का इस्तेमाल बड़ा यूजर बेस हासिल करने के लिए कर सकती हैं। इससे दूरसंचार कंपनियों काे मुख्य राजस्व स्रोत प्रभावी रूप से कम होने का डर सता रहा है।
नियम
क्या है नए नियम का उद्देश्य?
प्रस्तावित नियम सभी सैटेलाइट ब्रॉडबैंड कंपनियों पर लागू होंगे, जिसका उद्देश्य इन कंपनियों को उनके लाइसेंस के माध्यम से खुदरा मोबाइल ब्रॉडबैंड क्षेत्र में प्रवेश करने से रोकना है। इससे मौजूदा दूरसंचार कंपनियों के मुख्य राजस्व स्रोत को संभावित रूप से खतरा हो सकता है। ऐसा कहा जा रहा है कि दूरसंचार विभाग (DoT) ऐसे नियमों पर विचार कर रहा है, जिनके तहत क्षमता विस्तार की इच्छुक कंपनियों को नई अनुमति लेनी होगी।
क्षमता
कंपनियों को जारी करनी होगी क्षमता
दूरसंचार विभाग ऐसे नियमों पर भी विचार कर रहा है, जो ग्राहकों की क्षमता को जारी किए गए परिचालन लाइसेंस से जोड़ेंगे। सैटकॉम कंपनियों को अपनी क्षमता और प्रति यूजर स्पीड की घोषणा पहले ही करनी होगी और ग्राहकों की अधिकतम सीमा उसी डाटा के आधार पर तय की जाएगी। अगर, कोई कंपनी इस सीमा को पार कर जाती है तो उसे नई अनुमति लेनी होगी और संशोधित स्पेक्ट्रम मूल्य निर्धारण सहित नई शर्तें स्वीकार करनी होंगी।
प्रतिस्पर्धा
कंपनियों में बढ़ेगी प्रतिस्पर्धा
जियो, एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया जैसे ऑपरेटर्स के लिए यह मुश्किल स्थिति है, जब सैटेलाइट कंपनियां अपने लाइसेंस का लाभ उठाकर स्पेक्ट्रम शुल्क और उन नियामक शर्तों को दरकिनार कर देती हैं जिनका पालन स्थलीय वाहकों को करना पड़ता है। उभरती हुई डायरेक्ट-टू-मोबाइल (D2M) सैटेलाइट तकनीक के साथ यह खतरा अब काल्पनिक नहीं लगता है। स्टारलिंक और अन्य कंपनियां सीधे स्मार्टफाेन पर इंटरनेट सेवाएं प्रसारित कर सकती हैं, जिससे मोबाइल ऑपरेटर्स के साथ सीधी प्रतिस्पर्धा हो सकती है।