गूगल ने नया AI ब्राउजर 'डिस्को' किया पेश, जानिए इसकी खासियत
क्या है खबर?
गूगल की क्रोम टीम ने एक नया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) ब्राउजर 'डिस्को' पेश किया है, जो यूजर के प्रॉम्प्ट के आधार पर खुद ही उपयोगी टैब खोलता है और एक कस्टम ऐप बना देता है। इसे सर्च लैब्स में प्रयोग के रूप में शुरू किया गया है। यूजर इससे ट्रैवल टिप्स मांगें और यह प्लानर ऐप बनाता है और पढ़ाई में मदद मांगें तो फ्लैशकार्ड तैयार कर देता है। यह तरीका वेब ब्राउजिंग को नई दिशा देने की कोशिश है।
असर
जेनटैब्स और जेमिनी तकनीक का मिला-जुला असर
डिस्को का मुख्य फीचर जेनटैब्स है, जो गूगल के जेमिनी मॉडल से तैयार इंटरैक्टिव पेज होते हैं। यह सिर्फ लिंक देने के बजाय यूजर के लिए छोटा वेब ऐप बनाता है। क्रोम टीम की मानिनी रॉय ने डेमो में जापान ट्रिप प्लान करने का उदाहरण दिखाया, जहां सिस्टम ने तुरंत कई टैब खोलकर एक इंटरैक्टिव प्लानर तैयार किया। यूजर जैसे-जैसे नई साइटें खोलते हैं, जेनटैब्स उन्हीं स्रोतों से नई जानकारी लेकर खुद को अपडेट करता रहता है।
अनुभव
वेब ब्राउजिंग और AI का नया अनुभव
डिस्को यूजर्स को सिर्फ चैट पर भरोसा करने के बजाय असली वेबसाइटें खोलने और खुद रिसर्च करने के लिए प्रोत्साहित करता है। शुरुआती डाटा में देखा गया कि लोग अब पहले से ज़्यादा लिंक खोलकर असली जानकारी पढ़ रहे हैं। इसी कारण डिस्को टूल AI की मदद से यूजर के साथ मिलकर काम करता है। यह तरीका उन सिस्टमों से अलग है जो सब कुछ खुद करते हैं, क्योंकि इसमें यूजर की भागीदारी सबसे ज्यादा अहम होती है।
उपयोग
भविष्य में डिस्को और जेनटैब्स का उपयोग कैसा होगा?
सबसे बड़ा सवाल यह है कि जेनटैब्स अस्थायी रहेंगे या स्थायी ऐप बन सकते हैं, जिन्हें साझा भी किया जा सके। गूगल फिलहाल दोनों संभावनाओं पर विचार कर रही है। टीम मानती है कि भविष्य में जेनटैब्स को डॉक्स, शीट्स या वर्क जैसे अन्य टूल्स से जोड़ना उपयोगी हो सकता है। गूगल चाहता है कि डिस्को एक ऐसा मॉडल बने जो AI और वेब ब्राउजर का नया संयोजन पेश करे।