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    धरती की ओर बढ़ रहा था विशालकाय उल्का पिंड, वैज्ञानिकों ने खोज निकाला 'पूरा सच'
    खतरनाक उल्का पिंड के धरती की ओर बढ़ने की बात सामने आई थी।

    धरती की ओर बढ़ रहा था विशालकाय उल्का पिंड, वैज्ञानिकों ने खोज निकाला 'पूरा सच'

    लेखन प्राणेश तिवारी
    Jul 01, 2022
    06:28 pm

    क्या है खबर?

    पिछले साल 28 अगस्त को एरिजोना के टक्सन में मौजूद माउंट लेमॉन ऑब्जर्वेटरी ने अंतरिक्ष में एक उल्का पिंड का पता लगाया।

    पहली नजर में तो इसमें कुछ भी असामान्य नहीं लगा, लेकिन अगले कुछ महीनों में इसने सभी की चिंता बढ़ा दी।

    सामने आया था कि यह उल्का पिंड धरती से टकरा सकता है और खतरनाक हो सकता है।

    इसके बाद से 2021 QM1 नाम के उल्का पिंड को प्राथमिकता देते हुए इसका रास्ता समझा जा रहा था।

    खतरा

    इस साल धरती से टकरा सकता था उल्का पिंड

    शुरुआत में सामने आया कि 2021 QM1 उल्का पिंड ना सिर्फ धरती की ओर बढ़ रहा है, बल्कि इससे टकरा भी सकता है।

    कैल्कुलेशंस के हिसाब से करीब 50 मीटर आकार वाला यह पिंड धरती साल 2052 में धरती से टकराने वाला था।

    दरअसल, यह पिंड तेजी से सूरज की ओर बढ़ रहा था और इस दौरान रास्ते में यह धरती के बेहद करीब से या फिर इससे टकराते हुए नीले ग्रह को नुकसान पहुंचा सकता था।

    बयान

    बड़ा खतरा बनता जा रहा था उल्का पिंड

    यूरोपियन स्पेस एजेंसी में हेड ऑफ प्लैनेटरी डिफेंस रिचर्ड मॉइसल ने कहा, "हम इस उल्का पिंड का फ्यूचर पाथ सूरज के आसपास देख सकते थे और साल 2052 में यह धरती के पास आ सकता था।"

    रिचर्ड ने बताया कि जितना ज्यादा वैज्ञानिकों ने इस उल्का पिंड को ऑब्जर्व किया गया, इससे जुड़ा खतरा उतना ही साफ होता गया।

    बता दें, अंतरिक्ष में उल्का पिंडों का पता चलने के बाद उन्हें रिस्क लिस्ट के हिसाब से कैटलॉग किया जाता है।

    परेशानी

    कुछ महीने बाद ट्रैक करना हो गया मुश्किल

    शुरू में उल्का पिंड का जो रास्ता दिखा था, उसे ट्रैक और कन्फर्म करने अगले कुछ महीनों में मुश्किल हो गया।

    ऐसा सूरज की लपटों और चमक के चलते हो रहा था और मौजूदा कक्षा में धरती से दूर जाने का मतलब यह होगा कि उल्का पिंड को ट्रैक करना कहीं ज्यादा मुश्किल हो जाता।

    ESA के नियर-अर्थ ऑब्जेक्ट कॉर्डिनेशन सेंटर से जुड़े अंतरिक्ष वैज्ञानिक मैक्रो मिचेली ने कहा, "हमें केवल इंतजार करना था।"

    मौका

    जेम्स वेब टेलीस्कोप से ऑब्जर्वेशन का मौका मिला

    पिछले महीने जेम्स वेब टेलीस्कोप इस उल्का पिंड के ऑब्जर्वेशन के लिए तैयार हुआ।

    यूरोपियन साउदर्न ऑब्जर्वेटरी के वेरी लार्ज टेलीस्कोप (VLT) को भी इस काम में लगा दिया गया और इस उल्कापिंड के सूरज की लपटों से दूर होते ही वैज्ञानिक इसके ऑब्जर्वेशन में जुट गए।

    ESO में वैज्ञानिक ओलिवियर हेनॉट ने बताया, "खतरनाक उल्का पिंड की पहचान करने के लिए हमारे पास बहुत छोटी टाइम विंडो थी और वह हजारों तारों की चमक में गुम हो सकता था।"

    कामयाबी

    सितारों की चमक के बावजूद दिखा उल्का पिंड

    टेलीस्कोप ने अपनी क्षमता के जरिए उल्का पिंड खोजने में वैज्ञानिकों को सफलता दिलाई।

    VLT ने बैकग्राउंड में हजारों सितारों वाले खगोलीय नजारे की ढेरों तस्वीरें कैप्चर कीं, जिन्हें बाद में रिफाइन करने के बाद सबसे कम चमक वाले उल्का पिंड को पहचाना जा सका।

    बता दें, यह उल्कापिंड आंखों से दिखने वाले किसी सबसे कम चमकीले सितारे के मुकाबले 25 करोड़ गुना कम चमक वाला था, जिसके चलते काले धब्बे के तौर पर इसकी पहचान हुई।

    राहत

    रिस्क लिस्ट से हटाया गया 2021 QM1

    नए ऑब्जर्वेशन की सफलता के बाद की गईं कैल्कुलेशंस राहत देने वाली हैं और इसके महत्व को दर्शाती हैं।

    इनमें बताया गया है कि साल 2052 में इसके पृथ्वी से टकराने की संभावना नहीं है और इसे ESA की रिस्क लिस्ट से हटा दिया गया है।

    हालांकि, 1377 उल्का पिंड अब भी इस लिस्ट में शामिल हैं, जिन्हें ऑब्जर्व किया जा रहा है।

    यूरोपियन स्पेस एजेंसी की मानें तो सोलर सिस्टम में 10 लाख से ज्यादा उल्का पिंड मौजूद हैं।

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