अब माउंट एवरेस्ट पर मिलेगा 5G नेटवर्क, ये कंपनियां लगा रही टावर

चीनी टेलीकॉम कंपनी चाइना मोबाइल हुवाई के साथ मिलकर दुनिया के सबसे ऊंचे माउंट एवरेस्ट पर 5G टेक्नोलॉजी बेस स्टेशन बना रही है। यह प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद यह 5G कनेक्टिविटी वाली दुनिया की सबसे ऊंची जगह होगी। अभी तक दुनिया के सबसे ऊंचे पहाड़ के दो कैंपों पर सिस्टम सेटअप हो चुका है। 25 अप्रैल तक 6,500 मीटर की ऊंचाई वाले फॉरवर्ड कैंप पर भी काम पूरा हो जाएगा। यहां से शिखर तक 5G कवरेज पहुंचेगी।
चाइना मोबाइल ने बताया कि माउंट एवरेस्ट के दो कैंप पर काम पूरा कर लिया गया है। इनमें से एक बेस कैंप 5,300 मीटर और दूसरा ट्रांजिशन कैंप 5,800 मीटर की ऊंचाई पर है। तीसरे कैंप पर काम शनिवार तक पूरा हो जाएगा।
इतनी ऊंचाई पर 5G कवरेज पहुंचाने के लिए कंपनी ने 150 कर्मचारियों को निर्माण और मरम्मत कार्य पर लगाया है। इसके लिए आठ टन वजन वाले निर्माण और दूसरे उपकरण पहाड़ पर ले जाए गए हैं। नेटवर्क कवरेज प्रदान करने वाले उपकरणों का निर्माण हुवाई ने किया है। पूरे प्रोजेक्ट के लिए 25 किलोमीटर तक ऑप्टिकल फाइबर केबल भी बिछाया गया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस नेटवर्क पर 1Gbps की डाउनलोडिंग स्पीड मिलेगी।
हुवाई द्वारा तैयार किए गए उपकरण छोटे और बेहद हल्के हैं, जिस कारण उन्हें आसानी से पहाड़ों में इंस्टॉल किया जा सकता है। चाइना मोबाइल ने इस प्रोजेक्ट की लागत की जानकारी नहीं दी है, लेकिन जानकारों का कहना है कि माउंट एवरेस्ट पर एक 5G बेस स्टेशन बनाने की लागत लगभग 1.6 करोड़ रुपये आती है। वही चीन के किसी शहर में 5G बेस स्टेशन लगाने का खर्च लगभग 32-42 लाख रुपये आता है।
माउंट एवरेस्ट के बेस कैंप पर सबसे पहले अक्टूबर, 2010 में पहला 3G कनेक्शन लगाया गया था। इसके जरिये वीडियो कॉल की जा सकती थी। कुछ महीनों बाद 2011 में मोबाइल नेटवर्क के जरिये माउंट एवरेस्ट से पहला ट्वीट किया गया है। हालांकि, इससे पहले एवरेस्ट की चोटी से सैटेलाइट के जरिये 2010 में ट्वीट किया गया था। 2013 में चाइना मोबाइल ने बेस कैंप पर 4G टावर शुरू कर इसके जरिये HD क्वालिटी में लाइव वीडियो स्ट्रीम किया था।
चाइना टेलीकॉम ने भी 5,145 मीटर की ऊंचाई पर स्थित कैंप पर 5G बेस स्टेशन बनाने का ऐलान किया था। इसकी अपलोड और डाउनलोड स्पीड क्रमश: 700 Mbps और 223 Mbps होगी। इसके अलावा चाइना यूनिकॉम ने भी माउंट एवरेस्ट पर ऐसे ही दो बेस स्टेशन बनाने का ऐलान किया था। अब आपके मन में सवाल आ रहा होगी कि माउंट एवरेस्ट पर 5G कनेक्टिविटी क्यों दी जा रही है? तो इसका जवाब भी बता देते हैं।
8,848 मीटर ऊंचे माउंट एवरेस्ट पर 5G कवरेज से पर्वतारोहियों को काफी मदद मिलेगी। अब वो पहले से बेहतर तरीके से कम्युनिकेट कर सकेंगे। इसके अलावा यह कवरेज बचाव अभियान चलाने के लिए राहत कर्मियों और रिसर्चर को भी मदद पहुंचाएगी।