भारत की गेमिंग इंडस्ट्री को खत्म कर सकती है 28 प्रतिशत GST, ये हैं आशंकाएं
ऑनलाइन गेमिंग भारत में सबसे तेजी से बढ़ते इंटरनेट बिजनेस में से एक है। हाल में ही केंद्र सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग पर अप्रत्यक्ष कर बढ़ाने का फैसला लिया है। सरकार का यह फैसला बढ़ते ऑनलाइन गेमिंग बिजनेस की स्पीड पर ब्रेक लगा सकता है। गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) परिषद ने गेमिंग फर्मों द्वारा एकत्र किए गए धन पर 28 प्रतिशत GST लगाने का फैसला लिया है। जान लेते हैं इस फैसले का गेमिंग इंडस्ट्री पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
गेमिंग इंडस्ट्री के लिए अप्रत्याशित है सरकार का फैसला
GST परिषद की 50वीं बैठक में गेमिंग, कैसिनो और हॉर्स रेसिंग (घुड़दौड़) पर GST लगाने पर सहमति जताई गई थी। बता दें कि बीते कुछ वर्षों में ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री में लगातार वृद्धि देखी गई है और कई कंपनियों ने मुनाफा भी कमाया है। अब सरकार का फैसला गेमिंग इंडस्ट्री के लिए अप्रत्याशित और झटका देने वाला है। भारत की ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री लगभग 16,000 करोड़ रुपये का राजस्व बनाने के रास्ते पर थी।
2022 में 35 प्रतिशत बढ़ा था ऑनलाइन गेमिंग का रेवेन्यू
बीते 5 वर्षों में भारतीय गेमिंग इंडस्ट्री ने घरेलू और वैश्विक निवेशकों से लगभग 23,000 करोड़ रुपये जुटाए हैं। वर्ष 2022 में अकेले ऑनलाइन गेमिंग का रेवेन्यू 35 प्रतिशत बढ़ गया था और 2025 तक इसके 16,000 करोड़ रुपये का आंकड़ा पार करने की उम्मीद थी। पहले के 18 प्रतिशत के मुकाबले अब 28 प्रतिशत GST से गेमिंग इंडस्ट्री की यह रफ्तार धीमी हो सकती है और 2025 के लिए लगाया गया अनुमान भी गलत साबित हो सकता है।
ग्राहकों पर पड़ेगा GST का बोझ
GST की नई दर गेमिंग इंडस्ट्री को कई तरह से प्रभावित करेगी। इसको ऐसे समझिए कि गेमिंग कंपनियां गेमर्स या यूजर्स से पैसा लेती हैं। अब ऑनलाइन गेम पर 28 प्रतिशत GST लगने से कंपनियां गेम की कीमत बढ़ाएंगी और अंतत: इसका बोझ ग्राहकों पर पड़ेगा। गेम की कीमत महंगी होने से काफी लोग प्रभावित होंगे और कई यूजर्स ऑफशोर या अवैध गेमिंग प्लेटफॉर्म को अपना सकते हैं। अवैध प्लेटफॉर्म सरकार को टैक्स भी नहीं देते हैं।
विदेशी कंपनियां निकल जाएंगी आगे
ऑनलाइन गेमिंग पर लगने वाली GST प्लेटफॉर्म की फीस और जीतने पर लगने वाले TDS के अतिरिक्त है। यह भारत में ऑनलाइन गेमिंग को प्रभावित कर सकता है। ऐसे में दूसरे देशों से काम करने वाली विदेशी गेमिंग कंपनियां भारतीय कंपनियों से आगे निकलने और उनके द्वारा भारतीय कंपनियों के अधिग्रहण की आशंका भी बढ़ जाएगी। गेमिंग कंपनियों को खुद को बचाए रखने के लिए रणनीति भी बदलनी होगी। गेमिंग इंडस्ट्री से जुड़ी नौकरियों में छंटनी भी हो सकती है।