#NewsBytesExplainer: राहुल रायबरेली से क्यों आजमा रहे किस्मत और चुनावी मैदान से क्यों दूर रहीं प्रियंका?
कांग्रेस ने गांधी परिवार की पारंपरिक सीट मानी जाने वाली अमेठी और रायबरेली पर उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है। अमेठी से गांधी परिवार के विश्वासपात्र किशोरी लाल शर्मा को मैदान में उतारा गया है तो रायबरेली से राहुल गांधी भाजपा को चुनौती देंगे। पहले चर्चा थी कि राहुल अमेठी और प्रियंका गांधी रायबरेली से चुनाव लड़ सकती हैं। आइए जानते हैं इस फैसले के पीछे संभावित वजह क्या है।
राहुल ने रायबरेली सीट को क्यों चुना?
अमेठी की तुलना में रायबरेली को गांधी परिवार के लिए ज्यादा सुरक्षित सीट माना जाता है। 2019 के लोकसभा चुनावों में जब कांग्रेस को पूरे उत्तर प्रदेश में एक भी सीट नहीं मिली, तब सोनिया गांधी ने यहां से 55.8 प्रतिशत वोट पाकर जीत दर्ज की थी। यहां से फिरोज गांधी, इंदिरा गांधी, सोनिया गांधी, अरुण नेहरू और शीला कौल भी सांसद रह चुके हैं। इस लिहाज से अमेठी की तुलना में रायबरेली ज्यादा सुरक्षित सीट है।
कांग्रेस ने उपचुनाव का भी रखा ध्यान
राहुल वायनाड से चुनाव लड़ रहे हैं। अगर वे अमेठी से भी चुनाव लड़ते और जीत जाते तो उन्हें कोई सी एक सीट छोड़नी पड़ती। अगर वे वायनाड सीट छोड़ते तो इससे गलत संदेश जाता। पार्टी का मानना है कि दक्षिण में गांधी परिवार के किसी एक सदस्य का रहना जरूरी है। अगर अमेठी छोड़ते तो यहां उपचुनाव में स्मृति ईरानी कड़ी टक्कर दे सकती थी। वहीं, रायबरेली में उपचुनाव जीतना पार्टी के लिए इतना मुश्किल नहीं होगा।
उत्तर-दक्षिण संतुलन साधने की कोशिश
कांग्रेस का मानना है कि सोनिया के राज्यसभा जाने के बाद यह जरूरी है कि कोई शीर्ष नेता उत्तर भारत का प्रतिनिधित्व करे। फिलहाल पार्टी के संगठन में बड़े पदों पर दक्षिण भारत के लोग हैं। अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे कर्नाटक से, संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल केरल से और मुख्य प्रवक्ता जयराम रमेश कर्नाटक से हैं। उत्तर-दक्षिण संतुलन को साधने के लिए जरूरी था कि उत्तर से कोई एक बड़ा नेता मैदान में रहे।
केरल विधानसभा चुनावों पर भी नजरें
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, राहुल ने कहा था कि वे किसी भी हाल में वायनाड सीट नहीं छोड़ना चाहते। राहुल के वायनाड से चुनाव लड़ने के चलते पिछले चुनावों में पार्टी को यहां 7 सीटों का फायदा हुआ था और उसके 16 में से 15 उम्मीदवारों को जीत मिली थी। केरल में 2026 में विधानसभा चुनाव भी होना है। अगर राहुल वायनाड छोड़ते तो आशंका थी कि इन चुनावों में पार्टी को नुकसान उठाना पड़ता।
चुनावी मैदान से क्यों दूर रहीं प्रियंका?
प्रियंका का मानना था कि अगर वे भी चुनाव लड़ती हैं तो भाजपा को परिवारवाद के मुद्दे पर कांग्रेस को घेरने का मौका मिलेगा। फिलहाल सोनिया राज्यसभा सदस्य हैं और राहुल भी सांसद हैं, इसलिए प्रियंका ने संसदीय राजनीति से दूर रहने का फैसला लिया। कई नेताओं ने कहा कि प्रियंका ने प्रचार की जिम्मेदारी का हवाला देते हुए चुनाव नहीं लड़ने की इच्छा जताई। अगर वे चुनाव लड़ती तो प्रचार से गांधी परिवार का एक सदस्य दूर हो जाता।
अमेठी-रायबरेली से भाजपा ने किसे दिया टिकट?
भाजपा ने अमेठी से वर्तमान सांसद ईरानी को टिकट दिया है। ईरानी ने पिछले लोकसभा चुनावों में राहुल को हराया था। वे कई बड़े नेताओं की मौजूदगी में नामांकन भी दाखिल कर चुकी हैं। दूसरी ओर, रायबरेली से भाजपा ने दिनेश प्रताप सिंह पर भरोसा जताया है। पिछले चुनावों में वे सोनिया से 1.67 लाख वोटों से हार चुके हैं, लेकिन उन्होंने 2014 के मुकाबले हार का अंतर काफी कर दिया था।