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महाराष्ट्र सरकार ने क्यों उठाई 'नॉन-क्रीमी लेयर' सीमा बढ़ाने की मांग और क्या है चुनावी संबंध? 
महाराष्ट्र सरकार OBC समुदाय को लेकर बड़े कदम उठा रही है

महाराष्ट्र सरकार ने क्यों उठाई 'नॉन-क्रीमी लेयर' सीमा बढ़ाने की मांग और क्या है चुनावी संबंध? 

लेखन आबिद खान
Oct 12, 2024
03:24 pm

क्या है खबर?

महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से पहले राज्य सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की कैबिनेट ने अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की नॉन-क्रीमी लेयर सीमा बढ़ाने का प्रस्ताव पारित किया है। इस प्रस्ताव में नान-क्रीमी लेयर की सीमा मौजूदा 8 लाख से बढ़ाकर 15 लाख करने की मांग की गई है। माना जा रहा है कि चुनावों से पहले केंद्र सरकार इसे मंजूरी दे सकती है। आइए इस कदम के सियासी मायने जानते हैं।

नॉन-क्रीमी लेयर

क्या होती है नॉन-क्रीमी लेयर?

OBC आरक्षण का लाभ हासिल करने के लिए नॉन-क्रीमी लेयर प्रमाण पत्र की जरूरत होती है। अगर किसी OBC परिवार की आय निश्चित सीमा से ज्यादा होती है तो उसे क्रीमी लेयर में माना जाता है और उसे ये प्रमाण पत्र नहीं मिलता है और वो आरक्षण का लाभ नहीं उठा पाता है। यानी OBC आरक्षण का लाभ लेने के लिए किसी परिवार का नान-क्रीमी लेयर में होना जरूरी है।

हरियाणा चुनाव

भाजपा ने हरियाणा चुनाव से लिया सबक?

हरियाणा में भाजपा को मिली जीत के पीछे OBC और दलित समुदाय का हाथ माना जा रहा है। हरियाणा में भी नायब सिंह सैनी की सरकार ने जून में OBC की नॉन क्रीमी लेयर की सीमा सालाना 6 लाख रुपये से बढ़ाकर 8 लाख रुपये कर दी थी। माना जाता है कि 10 साल की सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही भाजपा की जीत में इस कदम ने अहम भूमिका निभाई है।

अहमियत

क्यों अहम है OBC समुदाय?

महाराष्ट्र में 351 समुदायों का नाम OBC सूची में शामिल हैं। ये राज्य की कुल आबादी का 52 प्रतिशत है। इनमें से 291 समुदाय केंद्र की OBC सूची का भी हिस्सा हैं। इस लिहाज से देखा जाए तो ये एक बड़ा वोटबैंक भी है। लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में भाजपा को बड़ा झटका लगा था। मुस्लिम, मराठा और दलित वोट उससे छिटक गए थे। ऐसे में भाजपा OBC वोटों को साधना चाहती है।

दूसरे कदम

OBC को लेकर सरकार ने ये कदम भी उठाया

इसके अलावा राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) ने महाराष्ट्र के 7 समुदायों को केंद्रीय OBC सूची में शामिल करने की सिफारिश की है। रणनीति है कि इससे विदर्भ, उत्तरी महाराष्ट्र, मराठवाड़ा और पश्चिमी महाराष्ट्र में अहम OBC समुदायों को साधा जा सकेगा। जिन समुदायों को सूची में शामिल करने की सिफारिश की गई है, वे करीब 130 विधानसभा क्षेत्रों में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। सरकार ने अनुसूचित जाति आयोग को संवैधानिक दर्जा देने वाले अध्यादेश को भी मंजूरी दी है।