प्रशांत किशोर ने कांग्रेस के EAG में शामिल होने के प्रस्ताव को क्यों ठुकराया?
चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने मंगलवार को कांग्रेस के एमपॉवर्ड एक्शन ग्रुप (EAG) में शामिल होने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया। इसके साथ ही उनकी कांग्रेस में शामिल होने की उम्मीदें भी खत्म हो गई है। इतना ही नहीं यह कांग्रेस के पिछले एक महीने से उन्हें अपने साथ जोड़कर फिर से मजबूती हासिल करने के प्रयासों के लिए बड़ा झटका है। आइये जानते हैं कि आखिर प्रशांत किशोर ने कांग्रेस के इस प्रस्ताव को क्यों ठुकराया है।
पार्टी को मुझसे ज्यादा सामूहिक इच्छाशक्ति की जरूरत- प्रशांत किशोर
प्रशांत किशोर ने भी मामले पर ट्वीट करते हुए कहा, 'मैंने EAG के सदस्य के तौर पर पार्टी में शामिल होने और चुनावों की जिम्मेदारी लेने का कांग्रेस का प्रस्ताव ठुकरा दिया है। मेरी विनम्र राय है कि परिवर्तनकारी सुधारों के जरिए गहरी संगठनात्मक समस्याओं को दूर करने के लिए पार्टी को मुझसे ज्यादा नेतृत्व और सामूहिक इच्छाशक्ति की जरूरत है।' उनके इस ट्वीट के बाद उनकी कांग्रेस के प्रस्ताव को लेकर कई तरह की चर्चा हो रही है।
सुधारों के लिए खुली छूट चाहते थे प्रशांत किशोर
NDTV के अनुसार, प्रशांत किशोर के कांग्रेस का प्रस्ताव ठुकराने के पीछे सबसे बड़ा कारण पूर्ण आजादी नहीं मिलना है। वह कांग्रेस में बड़े और प्रभावी सुधार के लिए खुली छूट चाहते थे, लेकिन कांग्रेस उन्हें यह छूट देने के लिए सहज नहीं नजर आ रही थी। कांग्रेस ने उन्हें 2024 आम चुनावों के लिए रणनीति बनाने वाले EAG में एक तय जिम्मेदारी के साथ पार्टी में शामिल होने का न्योता दिया था, लेकिन उन्हें यह मंजूर नहीं था।
प्रशांत किशोर की मांग पर कांग्रेस में हुए मतभेद
कांग्रेस सूत्रों की माने तो पार्टी में बड़े सुधार के लिए खुली छूट मांगने को लेकर पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी और महासचिव पिय्रंका गांधी ने प्रशांत किशोर का समर्थन किया था, लेकिन राहुल गांधी उन्हें यह छूट देने के लिए तैयार नहीं थे। इसी तहर अन्य मुद्दों पर भी राहुल गांधी की राय अलग रही थी। यही कारण रहा कि कांग्रेस ने उन्हें खुली छूट देने की जगह एक पद के साथ पार्टी में काम करने का प्रस्ताव दिया।
प्रशांत पर भरोसे को लेकर भी आशंकित थी कांग्रेस
सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस नेताओं के एक धड़े ने तेलंगाना की सत्तारूढ़ पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) के राजनीतिक सलाहकार इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी (IPAC) के साथ एक अहम समझौता की ओर इशारा करते हुए प्रशांत किशोर में वैचारिक प्रतिबद्धता की कमी का हवाला दिया था। यही कारण रहा कि कांग्रेस ने उन्हें खुली छूट नहीं दी। बता दे कि प्रशांत पूर्व में IPAC का नेतृत्व कर चुके हैं, लेकिन वर्तमान में उनका इससे कोई संबंध नहीं है।
पूर्ण भरोसा नहीं कर पाना भी प्रमुख कारण
कांग्रेस और प्रशांत किशोर के बीच बात नहीं बनने के पीछे पूर्ण भरोसा नहीं बन पाना भी कारण रहा है। कांग्रेस के मन में कहीं न कहीं उनके 2014 के आम चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए प्रचार अभियान चलाने की बात थी।
कई दिग्गजों ने किया था बड़े बदलाव का विरोध
सूत्रों की माने तो कांग्रेस के कई बड़े दिग्गज नेता पार्टी में बड़े बदलाव किए जाने के खिलाफ थे। कांग्रेस को दोबारा से मजबूत करने के लिए प्रशांत किशोर की योजनाओं में स्पष्ट रूप से नेतृत्व में बड़ा सुधार करना भी शामिल था, जिसके तहत प्रमुख नेताओं को छोड़कर सभी को दरकिनार किए जाने की संभावना थी। जिसमें पार्टी की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था कांग्रेस कार्यसमिति CAC सहित प्रमुख टीमों के अधिकांश नेता शामिल होते।
पिछले एक महीने से चल रही थी कांग्रेस और प्रशांत किशोर के बीच बातचीत
बता दें कि पिछले लगभग एक महीने से प्रशांत किशोर और कांग्रेस के बीच बातचीत चल रही थी और उन्होंने कम से कम तीन बार गांधी परिवार के सदस्यों के साथ बैठक की थी। पार्टी के महत्वपूूर्ण नेताओं की उपस्थिति में हुई एक बैठक में उन्होंने कांग्रेस को फिर से जिंदा करने और उसे 2024 लोकसभा चुनाव के लिए तैयार करने का ब्लूप्रिंट पेश किया था। एक समिति ने इस ब्लूप्रिंट का विश्लेषण किया और इसकी रिपोर्ट सोनिया को सौंपी।
दूसरा बार असफल हुई है कांग्रेस और प्रशांत की बातचीत
यह दूसरी बार है जब प्रशांत किशोर और कांग्रेस की बातचीत असफल हुई है। पिछले साल जुलाई-अगस्त में भी प्रशांत और कांग्रेस के बीच साथ आने की बातचीत असफल रही थी। उसके बाद प्रशांत ने कई बार गांधी परिवार पर सवाल उठाए थे।