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उपराष्ट्रपति के अपने कार्यकाल के बीच में इस्तीफा देने के बाद क्या होता है?
जगदीप धनखड़ ने बीच कार्यकाल दिया अपने पद से इस्तीफा

उपराष्ट्रपति के अपने कार्यकाल के बीच में इस्तीफा देने के बाद क्या होता है?

Jul 22, 2025
10:59 am

क्या है खबर?

जगदीप धनखड़ ने सोमवार देर रात अचानक उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने स्वास्थ्य सेवा को प्राथमिकता देने और चिकित्सीय सलाह का पालन करने के लिए यह कदम उठाया है। इससे देश के दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद पर एक दुर्लभ मध्यावधि चुनाव की स्थिति पैदा हो गई। उनके अचानक दिए इस इस्तीफे की राजनीतिक गलियारों में खासी चर्चा हो रही है। आइए जानते हैं कि उपराष्ट्रपति के बीच कार्यकाल इस्तीफा देने पर क्या प्रक्रिया होती है।

रिकॉर्ड

कार्यकाल के बीच पद छोड़ने वाले तीसरे उपराष्ट्रपति

धनखड़ भारत के इतिहास में अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले इस्तीफा देने वाले केवल तीसरे उपराष्ट्रपति हैं। इससे पहले वीवी गिरि और आर वेंकटरमन ने राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए बीच कार्यकाल अपना पद छोड़ दिया था। उनके बाद क्रमशः गोपाल स्वरूप पाठक और शंकर दयाल शर्मा ने पदभार संभाला था। अब केंद्र सरकार ने धनखड़ के इस कदम के बाद मानसून सत्र में राज्यसभा के संचालन के लिए कार्यवाहक उपराष्ट्रपति नियुक्त करने की तैयारी शुरू कर दी है।

जानकारी

उपराष्ट्रपति के कर्तव्यों का अब कौन करेगा निर्वहन?

भारतीय संविधान में कार्यवाहक उपराष्ट्रपति का प्रावधान नहीं है। हालाकि, चूंकि उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति भी होता है। ऐसे में वर्तमान में उपसभापति की भूमिका निभा रहे हरिवंश नारायण सिंह ही धनखड़ की अनुपस्थिति में सदन की अध्यक्षता करेंगे।

चुनाव

कब होंगे नए उपराष्ट्रपति के लिए चुनाव?

संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति के रिक्त हुए पद को 6 महीने के भीतर भरना आवश्यक है, लेकिन उपराष्ट्रपति पद के लिए ऐसी कोई निश्चित समय-सीमा नहीं है। केवल यह आवश्यक है कि पद रिक्त होने के बाद जल्द से जल्द चुनाव कराए जाएं। चुनाव आयोग कार्यक्रम की घोषणा करेगा। यह चुनाव राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव अधिनियम, 1952 के तहत आयोजित होगा। परंपरा के अनुसार, संसद के किसी भी सदन के महासचिव को बारी-बारी से निर्वाचन अधिकारी नियुक्त किया जाता है।

समय

नए उपराष्ट्रपति का कार्यकाल और चुनाव की प्रक्रिया

निर्वाचित उम्मीदवार धनखड़ के कार्यकाल का शेष भाग पूरा करने की जगह पदभार ग्रहण करने की तिथि से पूरे 5 वर्ष का कार्यकाल पूरा करेगा। उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के सदस्यों और मनोनीत सदस्यों से बने एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है। राष्ट्रपति चुनाव के विपरीत, इसमें राज्य विधानमंडल भाग नहीं लेते हैं। मतदान आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार गुप्त मतदान द्वारा एकल संक्रमणीय प्रणाली से होता है।

जीत

चुनाव में कैसे होती है उपराष्ट्रपति की जीत?

प्रत्येक सांसद उम्मीदवारों को वरीयता क्रम में रखकर वोट डालता है। सभी मतों का मूल्य समान होता है। निर्वाचित घोषित होने के लिए किसी उम्मीदवार को आवश्यक न्यूनतम मतों की संख्या प्राप्त करनी होती है, जिसे कोटा कहा जाता है। इसकी गणना कुल वैध मतों की संख्या को 2 से भाग देकर और एक जोड़कर की जाती है। पहले दौर में किसी भी उम्मीदवार कोटा पार न करने पर सबसे कम वरीयता वाले उम्मीदवार को बाहर कर दिया जाता है।

जानकारी

कोटा पार करने तक जारी रहती है प्रक्रिया

सबसे कम वरीयता वाले उम्मीदवार के बाहर होने के बाद उनके मत द्वितीय वरीयता के आधार पर शेष उम्मीदवारों को हस्तांतरित कर दिए जाते हैं। यह प्रक्रिया तब तक जारी रहती है जब तक कि एक उम्मीदवार कोटा पार नहीं कर लेता।

योग्यता

उम्मीदवारों के लिए पात्रता मानदंड क्या हैं?

उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ने वाले व्यक्ति को भारत का नागरिक होना चाहिए और उसकी उम्र कम से कम 35 वर्ष होनी चाहिए। इसी तरह वो राज्यसभा के लिए निर्वाचित होने के योग्य होना चाहिए और उसके पास इलेक्टोरल कॉलेज के 20 प्रस्तावक और 20 अनुमोदक भी होना जरूरी है। उन्हें राष्ट्रपति, राज्यपाल या मंत्री जैसे पदों को छोड़कर केंद्र या राज्य सरकारों के अधीन किसी भी लाभ के पद पर आसाीन नहीं होना चाहिए।