महाराष्ट्र स्पीकर के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे उद्धव ठाकरे
क्या है खबर?
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे शिवसेना मामले में विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं।
उद्धव गुट ने स्पीकर के आदेश पर अस्थायी रोक लगाने और शिंदे गुट के विधायकों को महाराष्ट्र विधानसभा की कार्यवाही में भाग लेने से रोकने के लिए अंतरिम राहत की मांग की है।
बता दें कि विधानसभा स्पीकर नार्वेकर ने अपने फैसले में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे समेत उनके 16 विधायकों की सदस्यता बरकरार रखी थी।
मामला
क्या है मामला?
2022 में शिवसेना से अलग होकर शिंदे गुट के 40 विधायकों के साथ भाजपा के साथ सरकार बनाई थी।
शिंदे गुट की बगावत के बाद उद्धव ठाकरे के गुट ने स्पीकर से दल-बदल कानून के तहत शिंदे और बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग की थी, लेकिन स्पीकर ने अपने फैसले में शिंदे गुट को असली शिवसेना माना। और सदस्यता रद्द करने से इनकार कर दिया।
स्पीकर ने कोर्ट और चुनाव आयोग के फैसलों के आधार पर फैसला सुनाया।
गैरकानूनी
उद्धव गुट ने स्पीकर के फैसले को बताया गैरकानूनी
उद्धव गुट ने अपनी याचिका में कहा कि स्पीकर का आदेश गैरकानूनी और गलत है और उन्होंने संविधान की 10वीं अनुसूची के विपरीत फैसला दिया है।
संविधान की 10वीं अनुसूची को आमतौर पर 'दल-बदल विरोधी कानून' के रूप में जाना जाता है। यह सुनिश्चित करता है कि निर्वाचित प्रतिनिधि व्यक्तिगत लाभ के लिए पार्टी न बदलें।
उद्धव गुट ने सुप्रीम कोर्ट से याचिकाओं के लंबित रहने तक शिंदे गुट के विधायकों की सदस्यता निलंबित करने की मांग की है।
याचिका
उद्धव गुट ने याचिका में और क्या कहा?
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, उद्धव गुट द्वारा दायर याचिका में कहा गया है, "स्पीकर का फैसला शिवसेना के संविधान के अनुरूप नहीं है, बल्कि पूरी तरह से गलत है।"
इसमें कहा गया, "स्पीकर ने यह नहीं माना कि इन विधायकों की भाजपा के साथ मिलीभगत थी और ये इससे स्पष्ट है कि एकनाथ शिंदे भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री बने।"
बता दें, कोर्ट ने पिछले साल स्पीकर को याचिकाओं पर शीघ्रता से निर्णय लेने का निर्देश दिया था।
कारण
स्पीकर ने शिंदे गुट के पक्ष में फैसला क्यों सुनाया था?
स्पीकर ने अपने फैसले में कहा था कि 2022 के विद्रोह के दौरान उद्धव के पास शिवसेना के किसी भी नेता को पार्टी से हटाने का अधिकार नहीं था।
उन्होंने कहा था कि शिंंदे गुट के पास 55 में से 37 विधायकों का समर्थन है और वही असली शिवसेना थी।
इसके अलावा स्पीकर ने 2018 में किये गए पार्टी के संविधान में संशोधन को असंवैधानिक करार दिया था और 1999 के संविधान को सही ठहराया था।