राजस्थान कांग्रेस में फिर घमासान, गहलोत सरकार के खिलाफ अनशन पर बैठेंगे सचिन पायलट
राजस्थान में सचिन पायलट और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बीच गुटबाजी एक बार फिर खुलकर सामने आ गई है। पायलट ने गहलोत पर भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों में भाजपा नेताओं को बचाने का आरोप लगाया है। पायलट ने कहा कि वे 11 अप्रैल को अपनी ही सरकार के खिलाफ एक दिन के अनशन पर बैठेंगे। ये अनशन उन कामों के लिए होगा, जो अब तक राज्य सरकार ने नहीं किए हैं।
पायलट ने गहलोत पर लगाया वसुंधरा राजे से मिलीभगत का आरोप
पायलट ने गहलोत पर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के साथ मिलीभगत का आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस के विपक्ष में रहने के दौरान जितने भी घोटाले हुए वो सब दबा दिए। पायलट ने कहा, "कांग्रेस ने वादा किया था कि सत्ता में आएगी तो भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करेंगे। मगर सारे मामले दबा दिए गए। हमारी विश्वसनीयता तब होगी, जब विपक्ष में रहते हुए हमने जो आरोप लगाए थे, उन पर कार्रवाई की जाए।"
गहलोत को 2 पत्र लिखे, नहीं आया जवाब- पायलट
पायलट ने कहा कि उन्होंने इस मामले की जांच को लेकर गहलोत को 2 बार पत्र लिखे, लेकिन कोई जवाब नहीं आया। पायलट ने कहा, "मैंने 28 मार्च, 2022 को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा था, लेकिन कोई जवाब नहीं आया। इसके बाद फिर 2 नवंबर, 2022 को पत्र लिखकर भ्रष्टाचार के मामलों पर कार्रवाई करने की मांग की। ये मामले मैंने और गहलोत जी ने विपक्ष में रहते हुए उठाए थे।"
45,000 करोड़ रुपये के घोटाले दबाने का आरोप
पायलट ने गहलोत पर वसुंधरा राजे कार्यकाल के दौरान हुए 45,000 करोड़ रुपये के घोटाले दबाने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि साढ़े चार साल बाद भी मामले को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को नहीं सौंपा गया। पायलट ने कहा, "भ्रष्टाचार को लेकर कांग्रेस की जो जीरो टॉलरेंस नीति है, उसे कार्रवाई करके जताएं।" कांग्रेस नेता ने गहलोत के विपक्ष में रहते हुए बयानों के वीडियो भी दिखाए। इसमें गहलोत वसुंधरा सरकार पर आरोप लगा रहे हैं।
पहले भी सरकार पर सवाल उठा चुके हैं पायलट
बीते दिनों पुलवामा शहीदों की पत्नियों के साथ हुई बदसलूकी को लेकर भी पायलट ने गहलोत को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की थी। वे पेपर लीक पर भी अपनी ही सरकार को घेर चुके हैं। उन्होंने कहा था कि अगर बार-बार पेपर लीक हो रहे हैं तो इसकी जवाबदारी तय होनी चाहिए। पायलट ने कहा था कि विधानसभा चुनाव में कुछ ही महीने बचे हैं, अगर सभी को सम्मान दिया जाए तो कांग्रेस 2023 की लड़ाई जीत सकती है।
दोनों के बीच विवादों का रहा है इतिहास
पायलट और गहलोत के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा है। पिछले साल जब कांग्रेस आलाकमान ने पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की कोशिश की तो गहलोत समर्थित 81 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया था। इस मामले में सबसे बड़ा मोड़ जुलाई, 2020 में आया था। तब पायलट 18 विधायकों के साथ मानेसर के एक होटल में चले गए थे। इससे गहलोत सरकार पर संकट खड़ा हो गया था। हालांकि, बाद में पायलट ने सरेंडर कर दिया था।