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बिहार में रिकॉर्ड मतदान से सत्ता बदलने की आहट, क्या कहते हैं पिछले आंकड़े?
बिहार में पहले चरण में रिकॉर्ड 64.46 प्रतिशत मतदान हुआ है (फाइल तस्वीर)

बिहार में रिकॉर्ड मतदान से सत्ता बदलने की आहट, क्या कहते हैं पिछले आंकड़े?

लेखन आबिद खान
Nov 07, 2025
01:23 pm

क्या है खबर?

बिहार में कल हुए पहले चरण के चुनाव में मतदान ने सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। कल 121 सीटों पर 64.46 प्रतिशत मतदान हुआ, जो पिछली बार से 8.3 प्रतिशत ज्यादा है और राज्य के इतिहास का अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है। मतदाताओं के इस उत्साह को राज्य में सत्ता पलट के संकेत जैसा माना जा रहा है, क्योंकि ऐतिहासिक तौर पर जब-जब मतदान बढ़ा है, सत्ता भी बदली है।

आंकड़े

जब-जब मतदान 5 प्रतिशत घटा-बढ़ा, बदल गई सरकार 

बिहार का चुनावी इतिहास बताता है कि जब भी मतदान 5 प्रतिशत ज्यादा या कम हुआ, तो सरकार बदल गई। पहली बार 1967 के चुनाव में मतदान में 7 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी। तब कांग्रेस राज्य की सत्ता से बाहर हुई और गैर-कांग्रेसी पार्टियों का गठबंधन सत्ता में आया। 1980 में भी मतदान 6.8 प्रतिशत बढ़ा था और राज्य की सत्ता दोबारा कांग्रेस के हाथों में आ गई।

सत्ता परिवर्तन

1990 और 2005 में भी बढ़े मतदान ने बदली सत्ता

1990 में 5.8 प्रतिशत ज्यादा मतदान हुआ तो कांग्रेस की सत्ता से विदाई हो गई और लालू यादव मुख्यमंत्री बने। कांग्रेस की सीट 196 से कम होकर केवल 71 पर आ गई। इसके बाद कांग्रेस कभी राज्य की सत्ता में नहीं आ पाई। 2005 में मतदान 16.1 प्रतिशत कम हुआ और नीतीश कुमार पहली बार मुख्यमंत्री बने। लालू यादव के शासन का अंत हो गया। तब से नीतीश ही राज्य के मुख्यमंत्री बने हुए हैं।

तेजस्वी

तो क्या तेजस्वी के लिए ये अच्छी खबर है?

राज्य में पिछले 40 सालों में जब-जब 60 प्रतिशत से ज्यादा मतदान हुआ है, तब-तब राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सत्ता में आने में कामयाब रही है। अगर इस बार भी यही ट्रेंड रहा तो तेजस्वी यादव के मुख्यमंत्री बनने का सपना पूरा हो सकता है। हालांकि, अभी दूसरे चरण का मतदान बाकी है और राजनीतिक जानकार बढ़ते हुए मतदान को सीधे-सीधे सत्ता बदलने से भी जोड़कर नहीं देख रहे हैं।

मतदान

जानकार मतदान बढ़ने के पीछे क्या वजह बता रहे हैं?

विशेषज्ञों का मानना है कि मतदान बढ़ने के पीछे महिलाओं से किए गए वादे, मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR), प्रशांत किशोर की जन सुराज की एंट्री और त्योहारी छुट्टियां भी जिम्मेदार है। दोनों गठबंधनों ने महिलाओं के लिए कई वादे किए हैं, जिससे महिलाओं ने बंपर वोटिंग की। SIR में 65 लाख लोगों के नाम कटने से मतदान प्रतिशत बढ़ गया है। छठ पर्व मनाने आए लोग भी मतदान के चलते रुक गए हैं।

नीतीश

नीतीश कुमार के लिए क्या है खुशखबरी?

वोट वाइब के संस्थापक अमिताभ तिवारी ने दैनिक भास्कर से कहा, "नीतीश के कोर-वोटर्स ने बड़ी तादाद में वोट दिया है। ये उनकी तरफ से नीतीश कुमार के लिए विदाई जैसा है।" वहीं, वरिष्ठ पत्रकार राकेश प्रवीर ने कहा, "मतदान बढ़ने से सरकार के जाने की संभावना कम है। जमीन पर नीतीश के प्रति कोई खास नाराजगी नहीं है। लोगों में उनको हटाने को लेकर भी उतावलापन नहीं दिख रहा। ऐसे में नीतीश दमदारी से वापसी कर सकते हैं।"