अगले सप्ताह मोदी मंत्रीमंडल की तीन दिवसीय बैठक, बचे हुए कार्यकाल को लेकर बनेगी रणनीति
प्रधानमंत्री मोदी अगले सप्ताह अपने मंत्रीमंडल के साथ बड़ी बैठक करने जा रहे हैं। तीन दिनों तक चलने वाली इस बैठक में सरकार के बचे हुए कार्यकाल के लिए योजना बनाई जाएगी। 2014 में पहली बार सत्ता में आने के बाद से मोदी सरकार के लिए पिछले कुछ महीनों बेहद चुनौतीपूर्ण रहे हैं और वह कोरोना महामारी, महंगाई और किसानों से जुड़े मुद्दों समेत कई मामलों पर कड़ी आलोचनाओं का सामना कर रही है।
कामकाज की समीक्षा के बाद तय किए जाएंगे नए लक्ष्य
NDTV ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि मंगलवार शाम से मोदी मंत्रीमंडल के सदस्य संसद परिसर में बैठक के लिए जुटने शुरू होंगे और सरकार के बचे हुए तीन साल के कार्यकाल की रणनीति तैयार करेंगे। बैठक में नए और पुराने मंत्रियों के कामकाज की समीक्षा और उनके अगले लक्ष्य तय किए जाएंगे। नए मंत्रियों को भी इस बारे में विस्तार से बताया जाएगा और उनसे सरकार की उम्मीदों पर चर्चा की जाएगी।
प्रधानमंत्री मोदी करेंगे बैठक की अध्यक्षता
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, संसद भवन के ऑडोटोरियम में केंद्रीय मंत्रीमंडल की यह बैठक होगी, जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। यह बैठक 10-12 अगस्त तक रोजाना शाम छह बजे शुरू होगी और रात तक चलेगी। इसमें तमाम मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।
मोदी की छवि बेहतर करने की कोशिश में भाजपा और RSS
अगले साल कई राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव और 2024 के आम चुनावों को देखते हुए भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रधानमंत्री मोदी की छवि पर आ रही आंच को लेकर चिंतित हैं। पश्चिम बंगाल में पार्टी प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर वोट पाने में असफल रही और उसे हार का सामना करना पड़ा था। इसी वजह से भाजपा ने मंत्रीमंडल विस्तार से लेकर कई राज्यों में नेतृत्व परिवर्तन जैसे कदम उठाए हैं।
मंत्रीमंडल बदलाव भी उसी कोशिश का नतीजा
बीते महीने मोदी सरकार ने मंत्रीमंडल में बदलाव और विस्तार किया था। इस फेरबदल में प्रकाश जावड़ेकर, रविशंकर प्रसाद और डॉ हर्षवर्धन जैसे वरिष्ठ मंत्रियों को बाहर होना पड़ा और कई नए चेहरों को मंत्रीमंडल में शामिल किया गया था।
महामारी के बाद से बढ़ रही सरकार की आलोचना
2019 में दूसरी बार सत्ता में लौटने के बाद मोदी सरकार ने अपने दो बड़े वादे पूरे कर दिए हैं। 2019 में सरकार ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त कर दिया और 2020 में राम मंदिर का निर्माण शुरू कर दिया। हालांकि, महामारी की शुरुआत के बाद से मोदी सरकार की आलोचना बढ़ रही है। लॉकडाउन के दौरान प्रवासी संकट, वैक्सीन की कमी और महामारी की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन संकट के चलते सरकार की किरकिरी हुई है।
महामारी, किसान आंदोलन और मंहगाई ने सरकार को परेशान किया
महामारी की दूसरी लहर के दौरान भारत में इंतजामों की कमी की चर्चा पूरी दुनिया में हुई थी। कई अंतरराष्ट्रीय समाचार पत्रों ने गंगा किनारे दफन किए गए शव, समूहों में जलती चिताओं और अस्पतालों के बाहर दम तोड़ते मरीजों की तस्वीरें पहले पन्ने पर छापी थीं। पिछले साल से चल रहा किसान आंदोलन भी सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहा है। तेल और गैस की महंगी कीमतों से मध्यम वर्ग में भी सरकार के प्रति नाराजगी है।