
राज्यसभा की कार्यवाही 20 सितंबर की सुबह 11:00 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "संविधान में राज्यसभा की परिकल्पना उच्च सदन के रूप में की गई है। संविधान निर्माताओं का यह आशय रहा है। यह सदन राजनीति की आपाधापी से ऊपर उठकर गंभीर बौद्धिक विचार विमर्श का केंद्र बनेगा और देश को दिशा देने का सामर्थ्य देगा। राज्यसभा में हमारे पास बहुमत नहीं था, लेकिन हमें भरोसा था कि राज्यसभा राजनीतिक सोच से ऊपर उठकर देश के हित में फैसले लेगी। ये भरोसा सांसदों की परिपक्वता के कारण था। हम कठिन निर्णय लेने में सक्षम हुए।"
प्रधानमंत्री मोदी अब राज्यसभा को संबोधित कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "आज का दिन यादगार और ऐतिहासिक है। ये सदन देश को नई दिशा देने का काम करेंगे। नई संसद सिर्फ नई बिल्डिंग नहीं नई शुरुआत है। काम की रफ्तार में बदलाव लाना है।"
अधीर रंजन ने कहा, "आज सुबह हम जिस सदन में एकत्रित हुए थे, उसे अब 'संविधान सदन' नाम से जाना जाएगा। लोकसभा की कार्यवाही कल सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित की जाती है।"
मेघवाल ने कहा, "आज हर क्षेत्र में महिलाएं नेतृत्व कर रही हैं। आज हम मोदी जी के नेतृत्व में नारी शक्ति वंदन विधेयक पेश कर उन्हें लाभ देने जा रहे हैं।" इसके बाद मेघवाल ने बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर का महिलाओं को लेकर एक विचार सुनाया। मेघवाल ने कहा, "प्रधानमंत्री आए तो जन धन आया, पीएम आवास आया, शौचालय आया, गैस आया, नल से जल आया, मुद्रा योजना आई। ये विधेयक महिलाओं को दिशा देगा। 2047 तक अमृतकाल में विकसित भारत के निर्माण में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाएगा।"
मेघवाल ने कहा, "आर्टिकल 330A के माध्यम से महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा। आर्टिकल 332 के माध्यम से विधानसभा में 33 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा। 334A के माध्यम से महिला आरक्षण की अवधि 15 साल होगी। संसद को इसे बढ़ाने का अधिकार होगा। अभी 543 लोकसभा सीट है। वर्तमान में लोकसभा में 82 महिलाएं हैं, जो कानून बनने के बाद बढ़कर 181 हो जाएगाी। सबसे पहले ये विधेयक सितंबर 1996 में देवगौड़ा जी के समय आया। वाजपेयी की सरकार में आया। 13वीं लोकसभा में फिर आया। मनमोहन सिंह के समय जो बिल आया वो लोकसभा में नहीं राज्यसभा में आया। 9 मार्च 2010 में राज्यसभा ने पारित किया। 15वीं लोकसभा भंग हुई तो ये विधेयक लेप्स हो गया।"
केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने नारी शक्ति वंदन अधिनियम संसद में पेश किया। इस दौरान खूब हंगामा हुआ। मेघवाल ने कहा, "ये महिला सशक्तिकरण से संबंधित है। इसके माध्यम से हम संविधान में संशोधन करेंगे। इसके माध्यम से 33 प्रतिशत सीटें NCR में महिलाओं के लिए होगी।"
अधीर रंजन ने कहा, "प्रधानमंत्री सदन की गरिमा की बात करते हैं, लेकिन सरकार ने कभी नहीं सोचा कि सदन में स्पीकर है. लेकिन डिप्टी स्पीकर नहीं है। ऐसा पहली बार हुआ है। मैं कहना चाहता हूं कि महिला आरक्षण 1989 में राजीव जी ने निकाय चुनाव में सुनिश्चित किया था। इसके बाद कांग्रेस सरकार ने सुनिश्चित किया कि विधेयक पास हो। मनमोहन और नरसिम्हा की सरकार ने इसे पारित कराने का प्रयास किया। कभी कहीं पास होता कहीं गिर जाता। मनमोहन की सरकार में जो बिल आया, वो आज तक जीवित है। सोनिया गांधी ने भी इस संबंध में प्रधानमंत्री को पत्र भी लिखा था।"
अधीर ने कहा, "हमारे लिए संविधान गीता, कुरआन और बाइबिल से कम नहीं है। संविधान में सत्यमेव जयते लिखा हुआ है। हम भी चाहते हैं कि सत्य के मार्ग पर हम आगे निकले। संविधान की प्रस्तावना में लिखा है कि 'हम भारत के लोग।' इसका मतलब सारे देश ने सब मिलकर ये शपथ ली थी। 395 आर्टिकल इसमें शामिल किए गए थे। पहले आर्टिकल में लिखा गया कि भारत और इंडिया में कोई अंतर नहीं है। हम किसी बहाने इसमें दरार पैदा करने की कोशिश न करें। ये मुद्दा हमारे देश के लिए ठीक नहीं होगा।"
अधीर रंजन चौधरी ने कहा, "हम सब मिलकर देश को आगे ले जाएंगे। देश की ताकत को मजबूत करेंगे। हम मानकर चलते हैं कि 'मंजिल को पार कर नया मंजिल तलाश कर, तुझे अगर दरिया मिल जाए तो समुंदर की तलाश कर।' देश की आजादी के लिए खून-पसीना बहाने वाले उन सभी को नमन करता हूं। ये आप लोगों की ही विरासत है। मैं जब पहली बार इसके अंदर आते ही किसी ने पूछा कि एक बार देख लेते हैं तो मैंने कहा कि नहीं सीधा कार्यवाही में ही जाएंगे। पूर्व लोकसभा संसद मीरा कुमार जी ने ये मुद्दा पहले उठाया था। लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने भी नए भवन की गुहार लगाई थी। अच्छा हुआ हमें नया संसद मिला है। ये संसद सबका है। जवाहरलाल नेहरू कहते थे कि देश में व्यक्ति पूजा का नहीं होना चाहिए। ये संसद हिंदुस्तान के हर नागरिक का है। अटल जी कहते थे कि होने और न होने का क्रम चलता रहेगा, हम रहेंगे ये भ्रम भी सदा पलता रहेगा। हम यहां हों या न हों, ये परंपरा चलती रहेगी।"
मोदी ने कहा, "हम इस विधेयक को कानून बनाने के लिए संकल्पबद्ध हैं। मैं इस सदन में सभी साथियों से आग्रह करता हूं कि सर्वसम्मति से जब ये विधेयक कानून बनेगा तो इसकी ताकत अनेक गुना बढ़ जाएगी। मैं सभी सांसदों से इसे पारित करने की प्रार्थना करते हुए आभार व्यक्त करता हूं।"
मोदी ने कहा, "नए सदन के प्रथम सत्र के प्रथम भाषण में मैं बड़े विश्वास से कह रहा हूं कि आज का दिन इतिहास में नाम दर्ज करने वाला है। कई सालों से महिला आरक्षण के संबंध में बहुत चर्चाएं हुई हैं। संसद में पहले भी कुछ प्रयास हुए। 1996 में इससे जुड़ा बिल पहली बार पेश हुआ था। अटल जी के कार्यकाल में कई बार महिला आरक्षण का बिल पेश हुआ, लेकिन उसे पार कराने के लिए आंकड़े नहीं जुटे और वो सपना अधूरा रह गया। हमारी सरकार ने इस दिशा में कदम बढ़ाया है। आज की तारीख इतिहास में अमृतत्व को प्राप्त करने जा रही है। जरूरी है कि नीति निर्धारण में हमारी माता-बहनें महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं। सदन की पहली कार्यवाही के रूप में हमारी सरकार आज एक प्रमुख संविधान संशोधन विधेयक प्रस्तुत कर रही है। इसका लक्ष्य लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं की भागीदारी का विस्तार करना है। नारी शक्ति बंधन अधिनियम के माध्यम से हमारा लोकतंत्र और मजबूत होगा। मैं देश की मातओं-बहनों-बेटियों को बधाई देता हूं।"
मोदी ने कहा, "हर क्षेत्र में दुनिया भारतीय महिलाओं की ताकत देख रही है। दुनिया समझ रही है कि सिर्फ महिलाओं के विकास की बात पर्याप्त नहीं है। जरूरी है कि महिला आधारित विकास को हम बल दें। महिला सशक्तिकरण की हमारी हर योजना ने बहुत सार्थक कदम उठाए हैं। जन-धन योजना में अधिकतम महिला लाभार्थी हैं। MUDRA योजना का लाभ सबसे ज्यादा महिलाओं ने उठाया। प्रधानमंत्री आवास योजना की रजिस्ट्री महिलाओं के नाम ज्यादा हुई।"
मोदी ने कहा, "वेदों में कहा गया है हम सब एकमत होकर एक समान संकल्प लेकर कल्याणकारी सार्थक संवाद करें। हमारे विचार अलग हो सकते हैं, लेकिन हमारे संकल्प एकजुट ही रहते हैं। हमारी संसद ने राष्ट्रहित के तमाम बड़े अवसरों पर इसी भावना से काम किया है। मुझे आशा है कि नई शुरुआत के साथ संवाद के वातावरण में हम उस भावना को मजबूत करेंगे। संसदीय परंपराओं की लक्ष्मणरेखा का पालन करेंगे।"
प्रधानमंत्री ने कहा, "मैं इस अवसर पर 140 करोड़ देशवासियों की तरफ से श्रमिकों का अभिनंदन करता हूं। हमारे यहां कहा है कि हमारा भाव जैसा होता है वैसे ही कुछ गठित होता है। भवन बदला है, मैं चाहूंगा कि भाव और भावना भी बदलनी चाहिए। संसद राष्ट्र सेवा का सर्वोच्च स्थान है। ये संसद दलहित के लिए नहीं, बल्कि देशहित के लिए है। नए भवन में हम सभी अपनी वाणी, विचार और आचार से संविधान की भावना को लेकर चलेंगे। हमारा पूरा प्रयास रहेगा अध्यक्ष जी आपकी आशा पर खरे उतरें, अनुशासन का पालन करें। "
प्रधानमंत्री ने कहा, "आजादी की पहली किरण का साक्षी सेंगोल भी यहां है। ये वो सेंगोल है, जिसे पंडित नेहरू का स्पर्श हुआ था। ये सेंगोल बहुत महत्वपूर्ण अतीत के साथ हमें जोड़ता है। ये सेंगोल आज हम सबकी प्रेरणा का कारण बन रहा है। नए संसद भवन की महिमा आधुनिक भारत को भी मंडित करती है। हमारे श्रमिकों का पसीना इसमें लगा है। कोरोनाकाल में मैं उनसे मिलने आता था। मैं चाहूंगा कि हम सब उन श्रमिकों का धन्यवाद करें। 30,000 से ज्यादा श्रमिक बंधुओं ने इसे बनाने में मेहनत की है। ये बहुत बड़ा योगदान है। इस सदन में एक डिजिटल बुक रखी गई है, जिसमें उन सभी श्रमिकों का परिचय रखा गया है।"
आजादी के आंदोलन में लोकमान्य तिलक ने गणेश उत्सव को प्रस्थापित किया। स्वराज्य की अलख जगाने का माध्यम बनाया। उसी प्रकार से आज ये गणेश चतुर्थी का पर्व पर हम समृद्ध भारत की प्रेरणा के साथ आगे बढ़ रहे हैं। सभी देशवासियों को बधाई देता हूं। आज संवत्सरि का भी पर्व है। इसे क्षमावाणी भी कहते हैं। ये पर्व मन से, कर्म से, वचन से जाने-अनजाने दुख पहुंचाने की क्षमायाचना का अवसर है। मेरी तरफ से भी पूरी विनम्रता के साथ, पूरे ह्रदय से सभी को 'मिच्छामी दुक्कड़म'। हमें अतीत की कडवाहट को भूलकर आगे बढ़ना है। हमारे आचरण, वाणी और संकल्पों से जो भी करेंगे. वो देश के लिए प्रेरणा का कारण बनना चाहिए। यहां सबकुछ नया है, लेकिन यहां पर कल और आज को जोड़ती हुई एक विरासत का प्रतीक भी मौजूद है, वो नया नहीं है। वो आजादी की पहली किरण का स्वयं साक्षी रहा है।"
प्रधानमंत्री ने कहा, "नए संसद भवन का ये प्रथम और ऐतिहासिक सत्र है। मैं सभी सांसदों और देशवासियों को शुभकामनाएं देता हूं। इस नए भवन में मैं आप सभी माननीय सांसदों का स्वागत करता हूं। ये अवसर कई मायनों में अभूतपूर्व है। आजादी के अमृतकाल का ये उषाकाल है। भारत अनेक सिद्धियों के साथ नए संकल्प लेकर नए भवन में अपना भविष्य तय करने के लिए आगे बढ़ रहा है। चंद्रयान-3 की सफलता हर देशवासी को गर्व से भर रही है। भारत की अध्यक्षता में G-20 का आयोजन विश्व में इक्षित प्रभाव डालने में अद्वितीय उपलब्धि हासिल करने का अवसर बना। गणेश जी शुभता, विवेक, ज्ञान और सिद्धि के देवता हैं। हमारा ये शुभारंभ संकल्प से सिद्धि की और नए विश्वास के साथ यात्रा को आरंभ करने का है।"
बिरला ने कहा, "सदन के सुचारु संचालन में सभी सदस्यों का सहयोग मिलता रहा है। मुझे आशा है कि नए भवन में भी आप मुझे सहयोग करेंगे और सदन को नियमों से चलाएंगे। ये भवन हमारी विरासत और आधुनिकता का मिलन है। मैं भवन के निर्माण में लगे सभी लोगों को बधाई देता हूं।"
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा, "आज ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण दिन है जब हम नए संसद भवन में पहली कार्यवाही शुरू कर रहे हैं। मैं सभी को शुभकामनाएं देता हूं। मैं सभी को गणेश चतुर्थी की शुभकामनाएं देता हूं। मैं उन सभी महापुरुषों को नमन करता हूं, जिन्होंने हमें संविधान दिया। हम इस नए भवन में अच्छी परंपराओं को आगे बढ़ाएंगे। हम संसद की उच्च मर्यादा कायम करेंगे। हम नए भवन में नए विचारों के साथ लोकतंत्र की संस्कृति और चर्चा की परंपरा को कायम करेंगे। हम शालीनता के साथ अपने विचार व्यक्त करें। हमारा सदन स्वस्थ संवाद का केंद्र बने। मुझे आशा है कि इस सदन में हम पुरानी परंपराओं का निर्वहन करेंगे।"