नीतीश से केजरीवाल तक, वाराणसी से मोदी को चुनौती दे सकते हैं INDIA के ये नेता
विपक्षी गठबंधन INDIA की बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके लोकसभा क्षेत्र वाराणसी में चुनौती देने के लिए कई चेहरों पर विचार किया गया। इस सूची में प्रियंका गांधी, नीतीश कुमार और अरविंद केजरीवाल के नाम सबसे आगे रहे। NDTV ने सूत्रों के हवाले से ये जानकारी दी है। मोदी 2014 और 2019 लोकसभा चुनाव में वाराणसी से जीत दर्ज कर चुके हैं। 2019 में उन्हें 60 प्रतिशत से अधिक वोट मिले थे।
प्रियंका गांधी
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बैठक के दौरान प्रियंका गांधी को वाराणसी से मैदान में उतारने का प्रस्ताव रखा। प्रियंका ने कभी चुनाव नहीं लड़ा है। 2019 चुनाव में भी उनके वाराणसी से लड़ने की चर्चाएं थीं, लेकिन कांग्रेस ने अजय राय को मैदान में उतारा। शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) भी प्रियंका को वाराणसी से उतारे जाने का समर्थन कर चुका है। प्रियंका भी संकेत दे चुकी हैं कि उन्हें वाराणसी से चुनाव लड़ने में दिक्कत नहीं है।
नीतीश कुमार
नीतीश कुमार एक समय भाजपा के सहयोगी रहे हैं और अब उसके कट्टर प्रतिद्वंदी बन गए हैं। नीतीश INDIA के संस्थापक नेताओं में से एक हैं और प्रधानमंत्री पद के लिए संभावित उम्मीदवारों में हैं। हाल ही में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने उन्हें चुनौती दी थी कि वह वाराणसी से प्रधानमंत्री के खिलाफ चुनाव लड़कर दिखाएं। यदि वह चुनौती स्वीकार करके यहां से चुनाव लड़ते हैं तो वो प्रधानमंत्री पद के सबसे प्रबल दावेदार बन सकते हैं।
अरविंद केजरीवाल
तीसरा विकल्प आम आदमी पार्टी (AAP) के प्रमुख अरविंद केजरीवाल हो सकते हैं। केजरीवाल 2014 लोकसभा चुनाव में भी वाराणसी से मोदी के खिलाफ चुनाव लड़े थे, जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। 2019 में भी उनके इस सीट से चुनाव लड़ने की अटकलें थीं, लेकिन अंत में ऐसा नहीं हुआ। हालांकि, 2014 की हार उनके खिलाफ जा सकती है और ऐसे में INDIA गठबंधन और वे खुद भी वाराणसी से चुनाव लड़ने से बच सकते हैं।
विपक्ष की वाराणसी सीट पर क्यों नजर?
1991 के बाद से (2004 को छोड़कर) हर चुनाव में वाराणसी से भाजपा जीती है। 2014 से मोदी इस सीट से सांसद हैं। इससे आसपास की सीटों पर भी फर्क पड़ता है। INDIA की रणनीति है कि अगर मोदी को उनकी ही सीट पर घेर लिया जाए तो वे बाकी जगह प्रचार पर कम ध्यान दे पाएंगे। इसके अलावा उनके अपनी ही सीट पर घिरने का एक बहुत बड़ा संदेश जाएगा और विपक्ष चुनाव में इसका फायदा उठा पाएगा।