क्या बंगाल में असफल हुआ भाजपा का 'ऑपरेशन कमल'?
ऑपरेशन कमल- भाजपा की राजनीति से परिचित शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जिसे इस शब्द के मायने नहीं पता होंगे। भाजपा ने 'ऑपरेशन कमल' के जरिए विपक्षी विधायकों को पार्टी में शामिल कर कई राज्यों में विपक्ष की सरकारें गिराई हैं और राजनीतिक समीकरणों को बदलने की कोशिश की है। पश्चिम बंगाल में भी भाजपा ने तृणमूल कांग्रेस (TMC) के साथ ऐसा ही कुछ करने की कोशिश की थी, लेकिन उसकी यह योजना पूरी तरह फेल हो गई है।
2017 में शुरू हुआ था भाजपा का 'ऑपरेशन कमल'
बंगाल में भाजपा का 'ऑपरेशन कमल' 2017 में शुरू हुआ था। TMC सांसद और ममता बनर्जी के करीबी सहयोगी मुकुल रॉय पहले ऐसे बड़े नेता थे जो TMC छोड़ भाजपा में शामिल हुए। उनके बाद TMC के अन्य कई नेता भी भाजपा में शामिल हुए। 2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा को इसका फायदा भी हुआ और वह राज्य में 42 में से 18 सीटें जीतने में कामयाब रही। इस समय लगा कि भाजपा का 'ऑपरेशन कमल' सफल हो रहा है।
दिसंबर में 'ऑपरेशन कमल' को मिली एक और बड़ी सफलता
पिछले साल दिसंबर में भाजपा के 'ऑपरेशन कमल' को एक और सफलता मिली और ममता बनर्जी के एक और करीबी नेता सुवेंदु अधिकारी TMC छोड़ भाजपा में शामिल हो गए। वह अपने साथ TMC के अन्य कई विधायकों और नेताओं को भी भाजपा में लाए और एक बड़ी संख्या में TMC नेता भाजपा में शामिल हुए। इस समय ऐसा लगा कि हर कोई "डूबते जहाज" को छोड़ कर भाग रहा है और भाजपा अपने प्रयासों में सफल हो रही है।
विधानसभा चुनाव में भाजपा के TMC को कड़ी टक्कर देने की थी उम्मीद
इस साल मार्च में राज्य में विधानसभा चुनाव की शुरूआत के समय लग रहा था कि भाजपा अपने 'ऑपरेशन कमल' की बदौलत सत्तारूढ़ TMC को कड़ी चुनौती देने में कामयाब रहेगी। इस बीच TMC लगातार कहती रही कि इन नेताओं के जाने से उसे कोई फर्क नहीं पड़ा है और खराब प्रदर्शन के कारण इन नेताओं को टिकट मिलना मुश्किल था, इसलिए वे भाजपा में गए हैं वह लगातार अपनी बड़ी जीत की बात भी कहती रही।
चुनाव में TMC की बड़ी जीत, 'ऑपरेशन कमल' की पहली हार
चुनाव के नतीजों में भी TMC की बात सच साबित हुई और उसने राज्य की 292 सीटों में से 213 पर कब्जा किया। TMC के तमाम बागियों को शामिल करने और 200 से अधिक सीटें जीतने के दावों के बावजूद भाजपा मात्र 77 सीटें जीतने में कामयाब रही। यह 2017 के बाद बंगाल में भाजपा के 'ऑपरेशन कमल' को लगा पहला बड़ा झटका था और यहीं से इसके असफल होने की शुरूआत हो गई।
मुकुल रॉय की TMC में वापसी की अटकलें तेज
अब चुनावी नतीजों के एक महीने के अंदर ही 'ऑपरेशन कमल' उल्टा होने लगा है और मुकुल रॉय के TMC में वापस आने की अटकलें हैं। रॉय वही नेता हैं जो सबसे पहले TMC छोड़ भाजपा में शामिल हुए थे। हाल ही में ममता के भतीजे अभिषेक बनर्जी रॉय से मिले थे और इसके बाद वह कोलकाता में भाजपा की एक अहम बैठक में शामिल नहीं हुए। TMC सांसद सौगत रॉय ने भी रॉय की वापसी का इशारा किया है।
35 नेता करना चाहते हैं TMC में वापसी
NDTV के सूत्रों के अनुसार, पार्टी छोड़ भाजपा में शामिल होने वाले कम से कम 35 नेता मुकुल रॉय के साथ TMC में वापस आना चाहते हैं। अगर ऐसा होता है तो यह माना जाएगा कि बंगाल में भाजपा का 'ऑपरेशन कमल' असफल हुआ।