ज्योतिरादित्य सिंधिया ने संसद में संचार साथी ऐप का बचाव किया, बोले- इससे जासूसी संभव नहीं
क्या है खबर?
केंद्र सरकार के संचार साथी ऐप को लेकर खड़े हुए बवाल के बाद बुधवार को केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने संसद में इसका बचाव किया है। उन्होंने संसद में जोर देकर कहा कि इस ऐप का इस्तेमाल नागरिकों की निगरानी के लिए नहीं किया जा सकता और इससे उपयोगकर्ता के डाटा को भी कोई खतरा नहीं है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ऐप पूरी तरह से नागरिक सुरक्षा के लिए डिजाइन किया गया है।
चर्चा
जासूसी नहीं होगी और न संभव है- सिंधिया
सिंधिया ने लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान ऐप को लेकर जासूसी के आरोपों को साफतौर पर खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, "संचार साथी ऐप से ना जासूसी संभव है, ना जासूसी होगी।" सिंधिया ने कहा कि सरकार का उद्देश्य मोबाइल उपयोगकर्ताओं को मजबूत बनाना है, न कि उनकी गोपनीयता में दखल देना। उन्होंने कहा कि सरकार लोगों के हाथों में अधिकार देना चाहती है ताकि लोग अपनी सुरक्षा खुद कर सकें।
परिणाम
अगर जरूरी होगा तो आदेश में परिवर्तन करेंगे- सिंधिया
उन्होंने कहा, "संचार साथी पोर्टल 2023 में लाया गया था और अब ऐप 2025 में लाया गया है, इस ऐप से जनता अपने आप को धोखाधड़ी और मोबाइल चोरी की घटना से सुरक्षित रख सकता है।" उन्होंने कहा कि डेढ़ करोड़ ऐप डाउनलोड हो चुके हैं और 36 लाख चोरी मोबाइल हमने पकड़े हैं और 7 लाख जनता को वापस किए हैं। सिंधिया ने कहा कि अगर हमें प्रतिक्रिया मिलती है तो आदेश में भी जरूरी परिवर्तन कर सकते हैं।
ट्विटर पोस्ट
संसद में जवाब देते सिंधिया
संचार साथी ऐप से न तो snooping संभव है और न ही कभी होगी। आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी की सरकार जनता को अपनी सुरक्षा पर पूरा नियंत्रण और अधिकार देने के लिए प्रतिबद्ध है।#SancharSaathiApp की सफलता और उसका व्यापक उपयोग जनता के भरोसे और सहभागिता का परिणाम है। हम… pic.twitter.com/OUPwFtL3Uy
— Jyotiraditya M. Scindia (@JM_Scindia) December 3, 2025
जानकारी
सिंधिया ने कल कहा था कि मोबाइल से हटा सकते हैं ऐप
सिंधिया ने मंगलवार को संसद परिसर में ऐप के अनिवार्य इंस्टालेशन पर सफाई दी थी कि उपयोगकर्ता ऐप रखने के लिए बाध्य नहीं हैं। उन्होंने कहा था अगर आप इसे हटा सकते हैं। उन्होंने बताया कि उपयोगकर्ता के पंजीकरण करने तक ऐप निष्क्रिय रहता है।
विवाद
क्या है संचार साथी ऐप को लेकर बवाल?
सरकार ने संचार साथी ऐप को सभी नए मोबाइल हैंडसेट में पहले से इंस्टॉल करना अनिवार्य किया गया है, जिसका विरोध शुरू हो गया है। सरकार का कहना है कि यह ऐप मोबाइल फोन की धोखाधड़ी और चोरी को रोकता है। इस ऐप के रहने से मोबाइल चोरी होने पर उसकी जानकारी मिल सकती है। विपक्षी दलों ने ऐप को सरकारी निगरानी को बढ़ावा देने और लोगों की जासूसी करने वाला प्रयास बताया है।