#NewsBytesExplainer: हरियाणा में हुई गलतियों को महाराष्ट्र में नहीं दोहराना चाहती कांग्रेस, ये है योजना
हरियाणा विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद कांग्रेस के सहयोगियों ने ही पार्टी पर सवाल उठाए थे और हार की वजह अति आत्मविश्वास को बताया था। इसी के चलते महाराष्ट्र में कांग्रेस फूंक-फूंककर कदम रख रही है और हरियाणा में हुई कोई भी गलतियां दोहराना नहीं चाहती। कांग्रेस सहयोगियों से ज्यादा सीटों की मांग करते हुए गठबंधन को भी साध रही है। आइए जानते हैं कांग्रेस की योजना क्या है।
सहयोगी पार्टियों को नाराज नहीं करना चाहती कांग्रेस
इंडियन एक्सप्रेस से महाराष्ट्र में कांग्रेस का कामकाज संभाल रहे एक नेता ने कहा, "महाराष्ट्र में हमारी समस्याएं हरियाणा से अलग हो सकती हैं, क्योंकि हमारे पास भूपेंद्र सिंह हुड्डा जी जैसा कोई बड़ा नेता नहीं है, जो वहां चुनाव प्रचार संभाल रहे थे। हालांकि, सहयोगी पार्टियों को खुश रखना और सीट बंटवारे पर दृढ़ रहना महत्वपूर्ण है।" अखबार ने सूत्रों के हवाले से कहा कि पार्टी दलित-मुस्लिम जनाधार वाले राज्य में कोई जोखिम नहीं लेना चाहती।
राहुल गांधी रख रहे नजर
एक कांग्रेस नेता ने कहा कि राहुल गांधी का कार्यालय महाराष्ट्र चुनाव के लिए पार्टी की तैयारियों पर कड़ी नजर रख रहा है। वहीं, एक अन्य नेता ने कहा, "बैठकों के दौरान इस बात पर चर्चा हुई कि हम हरियाणा की तरह चीजों को नहीं होने दे सकते। महाराष्ट्र में AICC विशेष रूप से इच्छुक उम्मीदवारों के प्रबंधन में शामिल होना चाहती है।" इसके अलावा बागियों को साधने के लिए भी रणनीति बनाई जा रही है।
टिकट को लेकर क्या है रणनीति?
इंडियन एक्सप्रेस से एक नेता ने कहा, "पार्टी टिकट आवंटन के लिए वस्तुनिष्ठ पद्धति का पालन करेगी। हम टिकट का निर्धारण शीर्ष नेताओं से संबद्धता के आधार पर नहीं होने देंगे जैसा कि हरियाणा में हुआ। एकमात्र मानदंड उम्मीदवार की जीत की संभावना होगी और जिन लोगों को राज्य में टिकट नहीं मिल पाएगा, उन्हें AICC के शीर्ष नेतृत्व द्वारा प्रबंधित किया जाएगा। पार्टी यह सुनिश्चित करेगी कि जिन लोगों को टिकट नहीं मिला, वे बागी न बनें।"
किसी एक समुदाय पर निर्भर नहीं होना चाहती पार्टी
हरियाणा में कांग्रेस जाट समुदाय पर काफी ज्यादा निर्भर हो गई थी। इस वजह से ध्रूवीकरण हुआ था। महाराष्ट्र कांग्रेस के एक नेता ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, "हम अपना अभियान संविधान और जाति जनगणना पर केंद्रित करेंगे। महाराष्ट्र में लोकसभा चुनावों में इसने हमारे लिए काम किया और यह एक बार फिर हमारी जीत सुनिश्चित करेगा।" महाराष्ट्र के प्रभारी कुणाल चौधरी ने कहा कि ये चुनाव दलितों, पिछड़ों और हाशिए पर पड़े लोगों के लिए लड़ रहे हैं।
5 गारंटी का वादा
AICC के एक नेता ने कहा कि पार्टी महाराष्ट्र के लोगों के लिए 5 गारंटी पर विचार कर रही है। इसमें नगद भुगतान, महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा, मुफ्त 10 किलो अनाज, सस्ती बिजली और बेरोजगारी भत्ता जैसे वादे शामिल होंगे। इसके अलावा जाति जनगणना का वादा भी किया जा सकता है। कांग्रेस का मानना है कि हरियाणा में घोषणा पत्र जारी करने में देरी हुई थी, इस वजह से लोगों तक बात पहुंचाने का समय नहीं मिला।
5 गारंटियों से कांग्रेस को कहां-कहां मिला फायदा?
कांग्रेस ने 5 गारंटी की घोषणा सबसे पहले 2018 में की थी। इस वजह से छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में उसे जीत मिली थी। इसके बाद 2022 के हिमाचल प्रदेश चुनावों में भी इसी योजना को अपनाकर पार्टी सत्ता में आई थी। 2023 में कर्नाटक विधानसभा चुनावों में भी पार्टी ने इस पर अमल किया और भाजपा से सत्ता छीन ली। दिसंबर, 2023 में तेलंगाना में भी कांग्रेस ने इस तरह के वादे किए थे।
महाराष्ट्र में कब हैं चुनाव?
महाराष्ट्र में 20 नवंबर को सभी 288 सीटों पर एक चरण में वोट डाले जाएंगे। मतगणना 23 नवंबर को झारखंड चुनावों के साथ ही होगी। फिलहाल राज्य में भाजपा, शिवसेना (एकनाथ शिंदे) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) की सरकार है। विपक्ष में कांग्रेस, उद्धव ठाकरे की शिवसेना और शरद पवार की NCP है। शिवसेना और NCP टूट के बाद पहली बार चुनावी मैदान में हैं। ऐसे में चुनावों को असली-नकली गुट पर मुहर के तौर पर माना जा रहा है।