तमिलनाडु के नाम पर छिड़े विवाद पर बोले राज्यपाल- नहीं दिया था नाम बदलने का सुझाव
तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने राज्य का नाम बदलने से संबंधित उनके बयान पर छिड़े विवाद पर बुधवार को प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि उन्होंने तमिलनाडु का नाम बदलने का सुझाव कभी नहीं दिया था और सिर्फ ऐतिहासिक परिपेक्ष में तमिलागम शब्द का इस्तेमाल किया था। गौरतलब है कि राज्यपाल के बयान का कड़ा विरोध करते हुए सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) ने उनके इस्तीफे की मांग की थी।
राज्यपाल ने अपनी सफाई में क्या कहा?
राज्यपाल ने तमिलनाडु राजभवन द्वारा जारी किए गए प्रेस नोट में कहा, "राजभवन में 4 जनवरी को काशी-तमिल संगम के स्वयंसेवकों को सम्मानित करने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में तमिल लोगों के काशी के साथ ऐतिहासिक सांस्कृतिक जुड़ाव पर विचार करते हुए मैंने तमिलागम का उल्लेख किया था। उन दिनों तमिलनाडु नहीं था, इसलिए ऐतिहासिक सांस्कृतिक संदर्भ में मैंने तमिलागम शब्द का उपयुक्त अभिव्यक्ति के रूप में इस्तेमाल किया था।"
राज्यपाल के किस बयान पर हुआ था विवाद?
राज्यपाल ने एक कार्यक्रम में कहा था, "इतने सारे शोध लिखे गए हैं, सभी झूठे और घटिया कल्पना पर आधारित हैं... इसे तोड़ा जाना चाहिए और सत्य की जीत होनी चाहिए। तमिलनाडु के लिए तमिलागम अधिक उपयुक्त शब्द है। बाकी देश ने लंबे समय तक विदेशियों के हाथों बहुत तबाही झेली है।" बता दें कि तमिलनाडु का अर्थ 'तमिलों का राष्ट्र', जबकि तमिलागम का अर्थ 'तमिल लोगों का निवास' होता है और यह तमिलनाडु का प्राचीन नाम है।
पोंगल निमंत्रण के बाद गहरा गया था विवाद
राजभवन द्वारा पोंगल के लिए भेजे गए निमंत्रण पर विवाद और गहरा गया था। इसमें तमिलनाडु की जगह तमिलागम शब्द का इस्तेमाल किया गया था। DMK और उसकी सहयोगी पार्टियों ने पोंगल के निमंत्रण में तमिलागम के इस्तेमाल को लेकर राज्यपाल पर निशाना साधते हुए कहा था कि राज्यपाल ने भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए तमिलागम नाम का इस्तेमाल किया है।
चेन्नई में लगे थे #GetOutRavi के पोस्टर
तमिलनाडु सरकार और राज्यपाल आरएन रवि के बीच विवाद बढ़ने पर चेन्नई के कई इलाकों में #GetOutRavi लिखे हुए पोस्टर लगाए गए थे। इन पोस्टर्स के जरिए राज्यपाल को हटाए जाने की मांग की गई थी। इनमें तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे और मंत्री उदयनिधि स्टालिन की फोटो भी लगी थी। इससे पहले #GetOutRavi ट्विटर पर भी ट्रेंड किया गया था। DMK और उसकी सहयोगी पार्टियों के कार्यकर्ताओं ने राज्यपाल का पुतला भी फूंका था।