#NewsBytesExplainer: भाजपा और कांग्रेस में महिला आरक्षण का श्रेय लेने की होड़ क्यों लगी हुई है?
क्या है खबर?
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने आज लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक पेश किया। इस पर कल बुधवार को लोकसभा में बहस होगी और इसके बाद इसे गुरुवार को राज्यसभा में पेश किया जा सकता है। विधेयक का पारित होना लगभग तय माना जा रहा है।
विधेयक के चर्चा में आते ही भाजपा और कांग्रेस के बीच इसका श्रेय लेने की होड़ लग गई है और सोनिया गांधी ने इसे अपना विधेयक बता डाला।
आइए इसका कारण जानते हैं।
प्रावधान
सबसे पहले जानें महिला आरक्षण विधेयक में क्या प्रावधान
महिला आरक्षण विधेयक में लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने का प्रावधान किया गया है।
विधेयक के मुताबिक, महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों में से 33 प्रतिशत सीटें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति से आने वाली महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी।
ये आरक्षण विधेयक के कानून बनने के बाद जब भी जनगणना और परिसीमन होगा, उसके बाद लागू किया जाएगा।
आरक्षण 15 साल तक लागू रहेगा और संसद इसे बढ़ा सकेगी।
विधेयक
27 सालों से लंबित है विधेयक
1996 में पहली बार से लेकर अब तक, ये विधेयक कई बार संसद में पेश किया गया है, लेकिन हर बार किसी न किसी वजह से इसे विरोध का सामना करना पड़ा।
1998 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार ने 12वीं लोकसभा में विधेयक को पेश किया था, लेकिन यह फिर से निरस्त हो गया।
विधेयक को 1999, 2002 और 2003 में भी पेश किया गया, लेकिन यह पारित होने में नाकाम रहा।
राज्यसभा
पहली बार 2010 में राज्यसभा से पारित हुआ विधेयक
2008 में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) सरकार ने महिला आरक्षण विधेयक को राज्यसभा में पेश किया और 9 मार्च, 2010 को यह भारी बहुमत के साथ पारित हो गया।
हालांकि, UPA सरकार ने इसके बाद विधेयक को लोकसभा में पेश नहीं किया।
उस समय अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) आधार वाली पार्टियों ने इसका विरोध किया था। उन्होंने महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण के भीतर OBC के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण की मांग की थी।
एक साथ
महिला आरक्षण पर भाजपा और कांग्रेस एक साथ
भाजपा ने 2014 और फिर 2019 के अपने घोषणापत्र में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण का वादा किया था, लेकिन इस संबंध में कोई कदम नहीं उठाया गया।
2017 में तब कांग्रेस की अध्यक्ष रहीं सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर इस विधेयक पर सरकार का साथ देने का आश्वासन दिया था।
अब 2024 लोकसभा चुनाव से पूर्व मोदी सरकार ने इसे लोकसभा में पेश कर दिया है तो कांग्रेस इसका समर्थन कर रही है।
बयान
विधेयक का श्रेय लेने के लिए भाजपा और कांग्रेस ने क्या कहा?
भाजपा ने 'मोदी है तो मुमकिन है' का नारा देकर महिला आरक्षण का श्रेय प्रधानमंत्री मोदी को देना शुरू कर दिया है।
दूसरी तरफ कांग्रेस का कहना है कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने सबसे पहले महिला आरक्षण के बीज बोए थे और UPA सरकार ने इसे राज्यसबा में पारित किया।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने एक्स पर लिखा, 'अगर सरकार महिला आरक्षण विधेयक पेश करती है तो यह कांग्रेस और UPA सरकार में उसके सहयोगियों की जीत होगी।'
राजनीतिक अहमियत
भाजपा और कांग्रेस में श्रेय लेने की होड़ क्यों?
दरअसल, हालिया समय में चुनावों में महिलाओं की भागेदारी बढ़ी है और 2019 में उन्होंने पुरुषों से अधिक 67.11 प्रतिशत महिलाओं ने वोट डाले थे।
महिलाओं की बढ़ती भागीदारी का असर है कि केंद्र में मोदी से लेकर बिहार में नीतीश कुमार और बंगाल में ममता बनर्जी तक, उन्होंने इन नेताओं की जीत में निर्णायक भूमिका निभाई है।
यही कारण है कि भाजपा और कांग्रेस 2024 लोकसभा चुनाव से पहले आधी आबादी को अपनी तरफ करना चाहते हैं।
आंकड़े
न्यूजबाइट्स प्लस
फिलहाल 542 सदस्यों वाली लोकसभा में 78 महिला सांसद हैं, वहीं राज्यसभा के कुल 224 सदस्यों में से 24 महिलाएं हैं।
दिसंबर, 2022 में जारी हुए आंकड़ों के मुताबिक, देश के 19 राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं की संख्या 10 प्रतिशत से भी कम है।
छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा (14.44 प्रतिशत) महिला विधायक हैं। इसके बाद पश्चिम बंगाल में 13.70 प्रतिशत विधायक महिलाएं हैं।
भारत में केवल पश्चिम बंगाल ही ऐसा राज्य है, जिसकी मुख्यमंत्री एक महिला है।