अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम विधानसभा चुनावों के आज आएंगे नतीजे, मतगणना शुरू
क्या है खबर?
अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में विधानसभा चुनावों की मतगणना शुरू हो गई है।
60 विधानसभा सीटों वाले अरुणाचल प्रदेश और 32 सीटों वाले सिक्किम में 19 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के साथ ही विधानसभा चुनाव के लिए भी मतदान हुआ था।
पहले मतगणना लोकसभा चुनावों के साथ 4 जून को होनी थी, लेकिन इन दोनों राज्यों की विधानसभा का कार्यकाल आज खत्म हो रहा है। ऐसे में मतगणना की तारीखों में बदलाव किया गया है।
अरुणाचल प्रदेश
अरुणाचल प्रदेश: 10 सीटें पहले ही जीत चुकी है भाजपा
भाजपा ने राज्य की सभी 60 सीटों पर उम्मीदवार उतारे है, जबकि कांग्रेस ने केवल 19 सीटों पर ही चुनाव लड़ा है।
भाजपा ने पहले ही बोमडिला, चौखम, ह्युलियांग, ईटानगर, मुक्तो, रोइंग, सागली, ताली, तलिहा और जीरो-हापोली सहित 10 सीटें बिना किसी मुकाबले के जीत ली हैं।
यहां भाजपा उम्मीदवारों के सामने कोई भी नामांकन दाखिल नहीं होने पर निर्विरोध जीत दे दी गई है।
चुनाव से पहले कांग्रेस 4 विधायक भाजपा में शामिल हो गए थे।
निर्विरोध
निर्विरोध चुने जा चुके हैं मुख्यमंत्री खांडू
पेमा खांडू ने मुक्तो विधानसभा क्षेत्र से नामांकन दाखिल किया था। इस सीट पर किसी और उम्मीदवार ने पर्चा दाखिल नहीं किया, ऐसे में खांडू को निर्विरोध चुन लिया गया।
इसी तरह चोखाम से उपमुख्यमंत्री चाउना मेन, ताली से जिक्के ताको, इटानगर से तेची कासो, तलिहा से न्यातो डुकोम, रोइंग से मुत्चू मिथि, हयुलियांग से दासंगलू पुल, बोमडिला से डोंगरू सिओंगजू, सागली से रातू तेची और हापोली से हेज अप्पा भी निर्विरोध चुने गए हैं।
नतीजे
अरुणाचल प्रदेश में पिछले चुनावों के नतीजे
2019 के अरुणाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 41 सीटें जीती थीं और पेमा खांडू फिर से मुख्यमंत्री बने थे।
कांग्रेस ने केवल 4 सीटें जीतीं, जबकि जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने 7 और नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) ने 5 सीटें जीती थी। 2 सीट पर निर्दलीय और एक पर अरुणाचल पीपुल्स पार्टी (PPA) विजयी हुई थी।
2014 में कांग्रेस ने 42 सीटें जीती थीं, जबकि भाजपा केवल 11 सीटें जीतने में सफल रही थी।
सिक्किम
सिक्किम में क्या थे पिछले चुनावों के नतीजे?
सिक्किम में 11 अप्रैल, 2019 को मतदान हुआ था। इसमें सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (SKM) ने 17 सीटों पर जीत दर्ज की थी और पवन चामलिंग की सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (SDF) को 15 सीटें मिली थीं।
इसके बाद SKM ने प्रेम सिंह तमांग को मुख्यमंत्री बनाया था और 25 साल से सत्ता में रही SDF को विपक्ष में बैठना पड़ा। भाजपा और कांग्रेस के एक भी उम्मीदवार को जीत नहीं मिली थी।