ओडिशा में विधानसभा और लोकसभा चुनाव अकेले लड़ेगी भाजपा, BJD से नहीं हुआ गठबंधन
क्या है खबर?
ओडिशा में भाजपा और बीजू जनता दल (BJD) में गठबंधन को लेकर सहमति नहीं बन सकी है। भाजपा यहां अब लोकसभा और विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेगी। ओडिशा भाजपा के अध्यक्ष मनमोहन सामल ने इसकी जानकारी दी है।
बता दें कि पहले यहां भाजपा और BJD में गठबंधन को लेकर चर्चाएं थीं। दोनों पार्टियों के नेताओं ने इस संबंध में बयान भी दिए थे, लेकिन अब सामल ने गठबंधन से इनकार कर दिया है।
बयान
सभी लोकसभा-विधानसभा सीटों पर अकेले लड़ेगी भाजपा- सामल
सामल ने कहा, '4.5 करोड़ ओडिशावासियों की आशा, अभिलाषा और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के दूरदर्शी नेतृत्व में विकसित भारत तथा विकसित ओडिशा बनाने के लिए भाजपा इस बार लोकसभा की सभी 21 सीटों और विधानसभा की सभी 147 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी।'
सामल ने कई मौकों पर भाजपा का साथ देने के लिए ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक का आभार व्यक्त किया।
वजह
सामल ने गठबंधन नहीं होने की बताई ये वजह
सामल ने कहा, 'देशभर में जहां भी डबल इंजन की सरकार रही है, वहां विकास व गरीब कल्याण के कार्यों में तेजी आई है और राज्य हर क्षेत्र में आगे बढ़े हैं। लेकिन आज ओडिशा में मोदी सरकार की अनेक कल्याणकारी योजनाएं जमीन पर नहीं पहुंच पा रही हैं, जिससे ओडिशा के गरीब बहनों-भाइयों को उनका लाभ नहीं मिल पा रहा है। ओडिशा-अस्मिता, ओडिशा-गौरव और ओडिशा के लोगों के हित से जुड़े अनेकों विषयों पर हमारी चिंताएं हैं।'
गठबंधन
पहले थीं दोनों पार्टियों में गठबंधन की चर्चाएं
पहले चर्चाएं थीं कि राज्य की 21 लोकसभा सीटों में से 8 पर भाजपा और 13 पर BJD अपने उम्मीदवार उतार सकती है। इसके अलावा विधानसभा चुनावों में 55 सीटों पर भाजपा और बाकी 92 सीटों पर BJD चुनाव लड़ेगी।
इस संबंध में चर्चा के लिए गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, ओडिशा भाजपा अध्यक्ष मनमोहन सामल और पूर्व केंद्रीय मंत्री जुएल ओराम ने बैठक की थी।
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न्यूजबाइट्स प्लस
भाजपा-BJD के बीच पहले भी गठबंधन रहा है। BJD ने 1998 में भाजपा के साथ गठबंधन किया था, जिससे उसे ओडिशा में 3 लोकसभा चुनावों और 2 विधानसभा चुनावों में सफलता मिली।
2009 में दोनों पार्टियों के बीच सीट बंटवारे पर सहमति नहीं बन सकी और BJD राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) से अलग हो गई। हालांकि, इसके बावजूद दोनों पार्टियां एक-दूसरे की सहयोगी रही हैं।
कई मुद्दों पर राज्यसभा-लोकसभा में BJD ने भाजपा के पक्ष में मतदान किया है।