बिहार विधानसभा चुनाव परिणाम 2025: RJD की करारी हार के क्या रहे प्रमुख कारण?
क्या है खबर?
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के परिणाम आ चुके हैं। बिहार की जनता ने तेजस्वी यादव और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) को बड़ा झटका दिया है। अब तक घोषित किए गए परिणामों में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) कुल 243 सीटों में 200 से अधिक पर कब्जा जमाता नजर आ रहा है, जबकि महागठबंधन 32-35 सीटों पर सिमटता दिख रहा है। RJD खुद 25 सीटों पर सिमटती दिख रही है। आइए RJD की करारी हार के प्रमुख कारण जानते हैं।
लाज
तेजस्वी ने अपनी सीट जीतकर बचाई लाज
NDA की इस आंधी में तेजस्वी ने खुद की पारंपरिक राघोपुर सीट जीतकर खुद की लाज तो बचा ली, लेकिन उनकी रणनीति RJD को सत्ता की चौखट तक भी नहीं पहुंचा पाई। तेजस्वी ने भाजपा के उम्मीदवार सतीश कुमार 14,532 वोटों से हराते हुए जीत दर्ज की। यहां से तेजस्वी को कुल 1,18,597 वोट मिले, जबकि सतीश कुमार 1,04,065 वोट ही हासिल कर पाए। इसी तरह निर्दलीय उम्मीदवार बालीराम सिंह 3,086 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे।
अनदेखी
सहयोगी दलों को महत्व न देना
तेजस्वी की रणनीति में सबसे बड़ी चूक अपने सहयोगियों कांग्रेस, वाम दलों और छोटी पार्टियों को बराबर महत्व न देना साबित हुई। सीट बंटवारा विवादों ने गठबंधन को कमजोर किया और तेजस्वी की RJD केंद्रित सोच ने विपक्ष को बांटने का काम किया। इस नीति ने NDA को जनता के सामने एकजुट दिखाने का मौका दिया। तेजस्वी ने महागठबंधन के घोषणापत्र का नाम भी 'तेजस्वी प्रण' रखकर सबको पीछे किया और प्रचार में सहयोगियों को पर्याप्त महत्व नहीं दिया।
टिकट
टिकट वितरण में दिखाई जातिवाद की झलक
तेजस्वी ने 52 टिकट यादव उम्मीदवारों दिए। इसने उनकी जातिवादी छवि को उजागर किया और गैर-यादव वोट बैंक को भी नाराज कर दिया। बिहार में 14 प्रतिशत यादव आबादी है और वह RJD का कोर वोट बैंक है, लेकिन 52 टिकट यादवों को देने से जनता में यादव राज की गंध फैल गई। इसके कारण अगड़ी जाति और अति पिछड़े वर्ग महागठबंधन से दूर हो गए। भाजपा ने प्रचार में इसी को मुद्दा बनाकर तेजस्वी के खिलाफ इस्तेमाल कर लिया।
वादे
अपने वादों को पूरा करने का रास्त नहीं बता पाए तेजस्वी
तेजस्वी ने जनता से वादे तो बहुत कर दिए, लेकिन उन्हें पूरा करने का ठोस तरीका बताने में नाकाम रहे। उन्होंने हर घर एक सरकारी नौकरी, पेंशन, महिला सशक्तिकरण और शराबबंदी की समीक्षा जैसे वादे तो किए, लेकिन इसके लिए बजट, कार्यान्वयन योजना या समयबद्ध तैयारी का खाका पेश नहीं कर पाए। हर घर को सरकारी नौकरी पर वो चुनाव तक भी खुद जवाब नहीं दे सके। ऐसे में जनता की नजरों में ये केवल खोखले वादे बनकर रह गए।
छवि
महागठबंधन की मस्लिमपरस्त छवि बनी हार का बड़ा कारण
महागठबंधन की मुस्लिमपरस्त छवि RJD की हार का बड़ा कारण बनी। मुस्लिम बहुल सीटों पर RJD या महागठबंधन के अन्य सहयोगियों की जीत संभव बना ली, लेकिन पूरे प्रदेश में इसका नुकसान हुआ। यादव जाति के वोट कई जगहों पर RJD के खिलाफ चले गए। सत्ता मिलने पर बिहार में वक्फ बिल लागू नहीं करने वादा जिस तरह तेजस्वी ने किया वह बहुत से यादव बंधुओं को भी पसंद नहीं आया। भाजपा ने इसको भी RJD के खिलाफ इस्तेमाल किया।
मुद्दे
वास्तविक मुद्दे को छोड़कर वोट चोरी जैसे मुद्दे पर भटकना
तेजस्वी ने रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे असली मुद्दों को पीछे छोड़कर 'वोट चोरी', 'EVM हैकिंग' जैसे आरोपों पर फोकस किया। इससे जनता का ध्यान बंट गया और NDA ने इसे प्रचारित कर कहा कि RJD हार स्वीकार कर चुकी है। इसके उलट नीतीश कुमार की शराबबंदी, साइकिल योजना, महिला आरक्षण जैसी योजनाएं महिलाओं को मतदान के लिए बूथ तक खींच लाई। ग्रामीण महिलाएं सुरक्षा और योजनाओं के नाम पर NDA की ओर झुक गई और इसका RJD को नुकसान हुआ।