अशोक गहलोत और सचिन पायलट दोनों कांग्रेस के लिए अहम- राहुल गांधी
राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच खुलेआम तकरार पर प्रतिकिया देते हुए कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने दोनों को पार्टी के लिए अहम बताया है। भारत जोड़ो यात्रा के मध्य प्रदेश चरण में इंदौर पहुंचे राहुल ने गहलोत और पायलट के टकराव से संबंधित मीडिया के सवाल का जवाब देते हुए कहा, "पार्टी के लिए दोनों ही नेता जरूरी हैं।" हालिया समय में ये पहली बार है जब राहुल ने इस विवाद पर कुछ बोला है।
राहुल ने तकरार का यात्रा पर असर पड़ने से किया इनकार
मीडिया के साथ बातचीत में राहुल गांधी ने गहलोत और पायलट के टकराव से राजस्थान में उनकी भारत जोड़ो यात्रा पर असर पड़ने की संभावना को खारिज किया। उन्होंने कहा, "जब भी मैं किसी नए राज्य में दाखिल होता हूं, आप लोग मुझसे कहते हैं कि समस्या आएगी। अब आप कह रहे हैं कि राजस्थान में दिक्कत आएगी। सच ये है कि यात्रा कांग्रेस से भी बड़ी हो गई है। अब ये भारत की आंतरिक आवाज है।"
गहलोत के पायलट के गद्दार बोलने से गरम है कांग्रेस की सियासत
बता दें कि राहुल ने यह बयान ऐसे समय पर दिया है जब कुछ दिन पहले ही NDTV को दिए गए एक इंटरव्यू में गहलोत सचिन पायलट पर जमकर बरसे थे। उन्होंने कहा था कि पायलट गद्दार हैं और वो कभी भी मुख्यमंत्री नहीं बन सकते। कांग्रेस ने उनके इस बयान के कुछ हिस्सों को गैरजरूरी बताया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो कांग्रेस राजस्थान में कड़े फैसले लेने से कतराएगी नहीं।
2018 से ही खराब हैं गहलोत और पायलट के संबंध
बता दें कि पायलट और गहलोत के बीच 2018 में राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से ही सहज संबंध नहीं हैं। तब पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने गहलोत को पायलट पर तरजीह देते हुए मुख्यमंत्री बना दिया था। इसके बाद से ही पायलट उन्हें मुख्यमंत्री बनाए जाने का इंतजार कर रहे हैं और जुलाई, 2020 में तो उन्होंने सरकार को गिराने के लिए बगावत भी कर दी थी। हालांकि यह बगावत असफल रही थी।
टकराव से कांग्रेस को हो सकता है विधानसभा चुनाव में नुकसान
राजस्थान में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं और पायलट और गहलोत के बीच टकराव से राज्य में कांग्रेस को नुकसान हो सकता है। राज्य में हर पांच साल में सरकार बदलने का ट्रेंंड है और कांग्रेस के लिए इस ट्रेंड को बदलते हुए दोबारा सत्ता में आना एक बड़ी चुनौती है। हालांकि अगर राज्य के उसके दो शीर्ष नेता आपस में लड़ते रहेंगे तो उसके लिए इस चुनौती से पार पाना असंभव हो जाएगा।