मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव: इन 10 सीटों और चेहरों पर रहेगी सबकी नजर
मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होने के साथ ही राजनीतिक पार्टियों ने विभिन्न सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नामों पर चर्चा शुरू कर दी है। प्रदेश में मुख्य और सीधी टक्कर भाजपा और कांग्रेस के बीच है और कुछ ऐसी सीटें हैं जो काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही हैं। आइए एक नजर इन सीटों और इन पर उतरने वाले बड़े चेहरों पर डालते हैं।
बुधनी
बुधनी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का गढ़ माना जाता है। उन्होंने 1990 के बाद 2006 , 2008 और 2013 के विधानसभा चुनावों में बुधनी सीट पर जीत दर्ज की। 2018 विधानसभा चुनाव में उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री सुभाष यादव के बेटे और पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव को 58,000 से अधिक वोटों से हराया था। इस बार भी वो इस सीट से चुनावी मैदान में हैं। इस सीट पर कांग्रेस पिछले 20 वर्षों से जीत की प्रतीक्षा कर रही है।
छिंदवाड़ा
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ पार्टी का मुख्यमंत्री चेहरा हैं। उन्होंने छिंदवाड़ा उपचुनाव में 25,000 से अधिक वोटों से जीत हासिल की थी। 2018 चुनाव के बाद कांग्रेस के ही दीपक सक्सेना ने ये सीट उनके लिए खाली की थी। इस सीट पर कमलनाथ 9 बार जीत दर्ज कर चुके हैं। 2013 में इस सीट से भाजपा ने जीत दर्ज की थी। इस बार इस सीट से भाजपा ने नत्थन शाह को मैदान में उतारा है।
दिमनी
मुरैना क्षेत्र की दिमनी सीट पर मुकाबला दिलचस्प हो गया है क्योंकि भाजपा ने केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को मैदान में उतारा है। 2018 चुनाव में कांग्रेस के गिर्राज दंडोतिया ने इस सीट पर 10,000 से अधिक वोटों से जीत दर्ज की थी, लेकिन बाद में दंडोतिया बगावत कर ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भाजपा में शामिल हो गए। 2020 उपचुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार रवींद्र सिंह तोमर ने उन्हें हरा दिया, जिसके बाद अब तोमर को उतारा गया है।
नरसिंहपुर
इस सीट से भाजपा ने केन्द्रीय मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल पर भरोसा जताया है। ये उनका गृहनगर भी है और वो पहली बार इस सीट से चुनावी मैदान में हैं। 2018 विधानसभा चुनाव में उनके भाई जालम सिंह पटेल ने इस सीट पर 37,000 से ज्यादा वोटों से जीत हासिल की थी। सीट पर दोनों पार्टियों के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है। ये पहले कांग्रेस का गढ़ मानी जाती थी, लेकिन धीरे-धीरे भाजपा का गढ़ बन गई।
इंदौर-1
भाजपा ने अपने वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को इंदौर-1 सीट से मैदान में उतारा है। विजयवर्गीय इंदौर-2 से 4 बार और महू से 2 बार विधायक रहे हैं। भाजपा ने इस सीट पर 2008 और 2013 के चुनावों में जीत दर्ज की थी और अब विजयवर्गीय के जरिए उसकी एक बार फिर से सीट को जीतने की योजना है। 2018 में इस सीट को कांग्रेस नेता शुक्ला ने 8,000 मतों के अंतर से जीता था।
दतिया
दतिया सीट पर भाजपा का 2003 से ही कब्जा है। मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा इस सीट से फिर से चुनावी मैदान में हैं। वे अक्सर अपने विवादित बयानों के कारण सुर्खियों में रहते हैं। इस सीट पर वो 2008 से जीत हासिल कर रहे हैं। 2018 में उन्होंने कांग्रेस के राजेंद्र भारती को 2,656 मतों से हराया था। इस सीट पर राजेंद्र भारती और मिश्रा में चौथी बार सीधा मुकाबला होगा।
ग्वालियर
ग्वालियर सीट से राज्य ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर विधायक हैं। उन्होंने 2018 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था और भाजपा उम्मीदवार जयभान सिंह पवैया को 21,044 मतों से हराया था। इसके बाद वो 2020 में भाजपा में शामिल हो गए और फिर उपचुनाव में कांग्रेस के सुनील शर्मा को 33,123 मतों से हराया। अब एक बार फिर वो यहां से मैदान में हैं। 2008 में भी उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में यहां जीत दर्ज की थी।
लहार, शिवपुरी, झाबुआ
लहार सीट: नेता प्रतिपक्ष कांग्रेस के गोविंद सिंह डोटासरा 1990 से यहां से विधायक हैं। उन्होंने 2018 में 9,000 के मतों के अंतर से यहां जीत दर्ज की थी। शिवपुरी सीट: यह ग्वालियर के शाही परिवार की पारंपरिक सीट है, जिसका प्रतिनिधित्व यशोधरा राजे सिंधिया करती हैं। भाजपा इस सीट से ज्योतिरादित्य सिंधिया को उतार सकती है। झाबुआ सीट: भाजपा ने यहां से निर्मला भूरिया को मैदान में उतारा है। इस सीट को कांग्रेस ने भाजपा से छीना था।
न्यूजबाइट्स प्लस
चुनाव आयोग मध्य प्रदेश समेत 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर चुका है। सबसे पहले 7 नवंबर को मिजोरम में विधानसभा चुनाव का मतदान होगा और इसी दिन छत्तीसगढ़ में पहले चरण का मतदान होगा। इसके बाद 17 नवंबर को मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में दूसरे चरण का मतदान होगा। राजस्थान में 23 नवंबर और तेलंगाना में 30 नवंबर को मतदान होगा। सभी राज्यों के चुनावी नतीजे एक साथ 3 दिसंबर को आएंगे।