पित्ताशय की पथरी से राहत दिलाने में मदद कर सकते हैं ये योगासन, ऐसे करें अभ्यास
लीवर के ठीक नीचे थैली के आकार का एक अंग होता है जिसे पित्ताशय कहा जाता है। यह अंग खाने को पचाने में मदद करता है। जब इस थैली में जरूरत से ज्यादा कोलेस्ट्रॉल जमा होने लगता है तो वह पथरी का रूप ले लेता है जिसके कारण असहनीय दर्द होने लगता है। आइए आज आपको कुछ ऐसे योगासनों के अभ्यास का तरीका बताते हैं जो पित्ताशय की पथरी को धीरे-धीरे शरीर से बाहर निकालने में मदद कर सकते हैं।
शलभासन
शलभासन का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले योगा मैट पर पेट के बल लेट जाएं और अपने दोनों हाथों को जांघों के पीछे की ओर ले जाएं। अब लंबी सांस लेते हुए अपने सिर के साथ धीरे-धीरे अपने दोनों पैरों और गर्दन को ऊपर की तरफ उठाएं, लेकिन ध्यान रहे कि आपका पेट जमीन पर ही रहना चाहिए। कुछ मिनट बाद इस मुद्रा को धीरे-धीरे छोड़ते हुए सामान्य हो जाएं। इस आसन को आप 10-12 बार दोहरा सकते हैं।
धनुरासन
धनुरासन के अभ्यास के लिए सबसे पहले योगा मैट पर पेट के बल लेट जाएं। अब अपने दोनों घुटनों को पीछे की तरफ से मोड़ें और हाथों से टखनों को मजबूती से पकड़ लें। इसके बाद सांस लेते हुए अपने पूरी शरीर को इस प्रकार ऊपर उठाने की कोशिश करें कि शरीर का आकार धनुष के समान लगे। अपनी क्षमतानुसार इस मुद्रा में बने रहकर धीरे-धीरे सांस लेते और छोड़ते रहें। कुछ सेकेंड बाद धीरे-धीरे सामान्य हो जाएं।
भुजंगासन
भुजंगासन के अभ्यास के लिए सबसे पहले योगा मैट पर अपने हाथों को अपने कंधों के नीचे रखकर पेट के बल लेट जाएं। अब अपने हाथों से दबाव देते हुए अपने शरीर को जहां तक संभव हो सके, ऊपर उठाने की कोशिश करें। इस दौरान सामान्य तरीके से सांस लेते रहें। कुछ देर इसी मुद्रा में बने रहें और फिर धीरे-धीरे सामान्य हो जाएं। कुछ देर बाद इस योगासन को फिर से दोहराएं।
पश्चिमोत्तानासन
पश्चिमोत्तानासन के लिए योगा मैट पर अपने दोनों पैरों को आपस में सटाएं और उन्हें आगे की ओर फैलाकर बैठ जाएं। अब दोनों हाथ ऊपर की ओर उठाएं, फिर धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए आगे की ओर झुकें और माथे को घुटनों से सटाते हुए हाथों से पैरों के अंगूठों को पकड़ने का प्रयास करें। कुछ सेकंड के लिए इसी अवस्था में बने रहें और सामान्य रूप से सांस लेते रहें, फिर गहरी सांस लेते हुए सामान्य हो जाएं।