
मध्य प्रदेश: दुनिया का सबसे पहला सफेद बाघ था मोहन, हर रविवार रखता था उपवास
क्या है खबर?
ऐसा माना जाता है कि देश में 16वीं शताब्दी ई. से ही सफेद बाघ अस्तित्व में है, लेकिन इन्हें देखना काफी दुर्लभ था, जिन्हें अब कई वन्यजीव अभयारण्यों में काफी आसानी से करीब से देखा जा सकता है। बता दें कि दुनिया का सबसे पहला सफेद बाघ साल 1951 में मध्य प्रदेश के रीवा जंगल में रीवा के महाराजा मार्तंड सिंह ने खोजा था, जिसका नाम उन्होंने मोहन रखा था। आइए मोहन की रोचक कहानी के बारे में जानते हैं।
राजा
मोहन के रूप से मोहित हो गए थे महाराजा मार्तंड
साल 1951 में महाराजा मार्तंड ने अपनी एक यात्रा के दौरान एक सफेद बाघ देखा, जिसके अनोखे रूप को देखकर वे मोहित हो गए और उसे पकड़कर अपने गोविंदगढ़ के शाही किले में ले गए। महल में जाने के बाद मोहन की जिंदगी पूरी तरह से बदल गई और वह महल में सभी के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया। मोहन के साथ राजसी व्यवहार किया जाता था और उसका ध्यान एक राजकुमार की तरह रखा जाता था।
आदत
महल का राजकुमार बना मोहन हर रविवार रखता था उपवास
इतिहासकारों के मुताबिक, महल के कर्मचारी मोहन को राजकुमार मोहन सिंह भी कहते थे। दिलचस्प बात ये है कि हर रविवार को मोहन उपवास रखता था और मांस से दूरी बनाकर केवल दूध पीता था और उसकी इस अनोखी आदत ने उस समय के लोगों को काफी हैरान कर रखा था। राजा के कई बार समझाने के बावजूद मोहन ने अपनी ये आदत नहीं छोड़ी।
परिवार
मोहन की थी पत्नियां और 34 शावक
ऐसा कहा जाता है कि मोहन क स्वभाव चंचल था और जैसे-जैसे वह बड़ा होता गया, उसने सफेद बाघों की नई पीढ़ी को जन्म दिया। मोहन की तीन पत्नियां थी, जिनमें से एक का नाम राधा था और दोनों के सबसे पहले 4 सफेद शावक हुए थे। इसके बाद मोहन का वंश बढ़ता गया और मोहन के कुल 34 शावक हुए, जिनमें से 21 सफेद बाघ थे। इन शावकों में से कई को देश-विदेश के चिड़ियाघरों में भेजा गया।
निधन
साल 1969 में मोहन का हो गया था निधन
मोहन का 19 दिसंबर 1969 को 19 साल की उम्र में निधन हो गया, जिसके बाद उसे गोविंदगढ़ किले के बगीचे में पूरे राजकीय सम्मान के साथ दफनाया गया और उस पर समाधि बनाई गई। मोहन की मृत्यु ने एक युग का अंत कर दिया और वर्षों बाद रीवा में उसके अंतिम वंशज विराट नामक सफेद बाघ का भी साल 1976 में निधन हो गया था, जिससे रीवा से सफेद बाघ लुप्त हो गए।
जानकारी
विंध्य से मध्य प्रदेश में मोहन की विरासत होगी पुनर्जीवित
इतिहासकार डॉक्टर मुकेश येंगल के मुताबिक, साल 2016 से मोहन की विरासत को पुनर्जीवित करने के प्रयास किए जा रहे हैं, जिसके दौरान गोविंदगढ़ में महाराजा मार्तंड सिंह चिड़ियाघर देव व्हाइट टाइगर सफारी में विंध्य नामक सफेद बाघिन को लाया गया।