ओणम कब है? जानिए 10 दिन तक चलने वाले इस त्योहार से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
केरल का प्रमुख त्योहार ओणम के आने में कुछ दिन ही बचे हैं। इसे थिरु-ओणम या थिरुवोनम के नाम से भी जाना जाता है। यह एक फसल उत्सव है, जो 10 दिनों तक चलता है और हर दिन का बहुत महत्व होता है। पहले दिन को अथम कहा जाता है, उसके बाद चिथिरा, चोडी, विशाकम, अनिजम, थ्रीकेट्टा, मूलम, पूरदम, उथ्राडोम और थिरुवोणम कहा जाता है। आइए आज इस त्योहार से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें जानते हैं।
कब से शुरू है यह त्योहार?
इस साल ओणम 20 अगस्त से शुरू होगा और थिरुवोणम 31 अगस्त को पड़ेगा। ड्रिक पंचांग के अनुसार, थिरुवोणम नक्षत्रम 29 अगस्त को सुबह 2:43 बजे शुरू होगा और रात 11:50 बजे समाप्त होगा। बता दें कि थिरुवोणम 10 दिनों तक चलने वाले उत्सव का सबसे शुभ दिन है क्योंकि यह ओणम उत्सव के अंत का प्रतीक है। ओणम मलयालम वर्ष की शुरुआत का भी प्रतीक है, जिसे कोल्ला वर्षम कहा जाता है।
फसलों की सुरक्षा के लिए मनाया जाता है ओणम
यह त्योहार फसलों से जुड़ा है और आपको बता दें कि इस समय तक दक्षिण भारत में चाय, इलायची, अदरक और धान जैसी फसलें पककर तैयार हो जाती हैं। इस अवसर पर किसान फसलों की सुरक्षा और इच्छाओं की पूर्ति के लिए ओणम के दिन श्रावण देवता और पुष्पदेवी की पूजा-अर्चना करते हैं। इसके अतिरिक्त इस त्योहार को मनाने के पीछे एक पौराणिक मान्यता भी है।
देवराज इंद्र को हराकर महाबली ने किया स्वर्ग पर कब्जा
पौराणिक कहानियों के मुताबिक, केरल के राजा महाबली ने अपनी साधना से कई शक्तियां प्राप्त कीं। इसके बाद उन्होंने स्वर्ग पर हमला किया और देवराज इंद्र को परास्त करके स्वर्ग पर अपना कब्जा कर लिया। यह देखकर इंद्र की माता अदिति ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की और राजपाठ लौटाने के लिए कहा। कुछ समय बाद अदिति के गर्भ से भगवान विष्णु ने वामन रूप में अवतार लिया और इंद्र का खोया हुआ राजपाठ लौटाने का काम शुरू किया।
वामन ने महाबली से भेंट में 3 कदम मांगे
स्वर्ग पर अधिकार प्राप्त करने के बाद महाबली अश्वमेध यज्ञ करा रहे थे, तभी वहां वामन पहुंचे। महाबली ने स्वागत करने के बाद उनसे भेंट मांगने के लिए कहा तो वामन ने उनसे 3 कदम मांगे। महाबली ने उनकी मांग स्वीकार कर ली। इसके बाद वामन ने अपने एक कदम से पृथ्वी, दूसरे से आकाश नाप लिया। बचा तीसरा कदम, जिसके लिए महाबली के पास कुछ नहीं बचा था।
प्रजा से मिलने के लिए साल में 1 बार पाताल से पृथ्वी पर आते हैं महाबली
जब महाबली के पास कुछ नहीं बचा उन्होंने अपना सिर वामन के आगे झुका दिया। वामन ने जैसे ही अपना तीसरा कदम महाबली के सिर पर रखा, वो पाताल लोक चले गए। इसके बाद महाबली की प्रजा व्याकुल हो गई। महाबली के प्रति प्रजा का प्रेम देखकर भगवान विष्णु ने महाबली को वरदान दिया कि वो साल में 1 बार प्रजा से मिलने के लिए जा सकते हैं। उसके बाद से केरल में ओणम का त्योहार मनाया जा रहा है।
कैसे मनाया जाता है यह त्योहार?
ओणम पर खान-पान की पारंपरिक चीजे बनाई जाती हैं। नृत्य, लोकगीत और खेलों का आयोजन किया जाता है। ओणम के दौरान होने वाली नौकादौड़ देखने के लिए दुनियाभर से लोग आते हैं। ओणम में घरों के आंगन में फूलों के पंखुड़ियों से रंगोली बनाई जाती है, जो प्रतिदिन बड़ी होती जाती है। इसे पूकलम कहा जाता है। पूकलम के बीच में महाबली और उनके अंगरक्षकों की मिट्टी की मूर्तियां बनाई जाती हैं और महिलाएं इसके चारों तरफ नृत्य करती हैं।