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रोजाना टहलने से कम हो सकता है अल्जाइमर का खतरा, नए अध्ययन में हुआ खुलासा

रोजाना टहलने से कम हो सकता है अल्जाइमर का खतरा, नए अध्ययन में हुआ खुलासा

लेखन सयाली
Jul 29, 2025
05:24 pm

क्या है खबर?

हम सभी टहलने के फायदों से वाकिफ हैं। यह शारीरिक गतिविधि वजन घटाने में मदद करती है, बीमारियों के जोखिम को कम करती है और मूड को सुधारकर ऊर्जा के स्तर को बढ़ावा देती है। हालांकि, अब एक नए अध्ययन से सामने आया है कि रोजाना टहलने की आदत संज्ञानात्मक स्थितियों से लड़ने में भी मददगार हो सकती है। इसके मुताबिक, अगर आप हर दिन पैदल चलते हैं तो अल्जाइमर रोग का खतरा कम हो सकता है।

अध्ययन

कनाडा के एक विश्वविद्यालय में हुआ यह अध्ययन

इस अहम अध्ययन को अल्जाइमर एसोसिएशन के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में प्रस्तुत किया जाएगा। इसे अल्बर्टा के कैलगरी विश्वविद्यालय में किया गया था, जिसका नेतृत्व काइन्सियोलॉजी की सहायक प्रोफेसर डॉ सिंडी बरहा ने किया था। इसके जरिए पता चला है कि रोजाना पैदल चलने से संज्ञानात्मक गिरावट का जोखिम कम हो सकता है, खासकर अल्जाइमर रोग से पीड़ित लोगों में। इस अध्ययन को पूरा करने में 10 साल का समय लग गया, इसीलिए यह और भी ज्यादा अहम हो जाता है।

अल्जाइमर

जानिए क्या होता है अल्जाइमर रोग

अल्जाइमर एक न्यूरोडिजेनेरेटिव बीमारी है, जो सोचने की क्षमता को धीरे-धीरे कमजोर कर देती है। यह दिमाग की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाती है, जिससे याददाश्त कमजोर हो जाती है और भाषा व व्यवहार में भी बदलाव आ जाते हैं। इस रोग का अभी तक कोई इलाज नहीं खोजा गया है, लेकिन कुछ उपचार इसके खतरे को कम कर सकते हैं। अब इन्हीं उपचारों में से एक है नियमित रूप से पैदल चलने की आदत डालना।

प्रक्रिया

3,000 लोग बने थे इस अध्ययन का हिस्सा

इस अध्ययन में करीब 3,000 लोगों को शामिल किया गया था। इन सभी की उम्र 70 से 79 साल के बीच थी। प्रतिभागियों ने 10 सालों के दौरान इस बात की रिपोर्ट प्रदान की थी कि वे रोजाना कितना पैदल चलते हैं। जिन लोगों ने सालों से अपनी चलने की आदत को बनाए रखा या बढ़ाने का प्रयास किया, उनकी प्रसंस्करण गति, चीजों को याद रखने की क्षमता और संपूर्ण स्वास्थ्य में उल्लेखनीय सुधार देखे गए।

नतीजे

रोजाना कई बार पैदल चलना होगा ज्यादा फायदेमंद

अध्ययन के अनुसार, पैदल चलने के लाभ विशेष रूप से उन लोगों में ज्यादा नजर आ रहे थे, जिनमें अल्जाइमर रोग विकसित होने की ज्यादा संभावना थी। इस अध्ययन में रोजाना निर्धारित कदम चलने का परीक्षण नहीं किया गया था। हालांकि, बरहा ने सुझाव दिया कि निष्क्रिय दिनचर्या को तोड़ने के लिए प्रतिदिन कई बार पैदल चलना चाहिए और संज्ञानात्मक गिरावट को रोकने के लिए वर्ष दर वर्ष एक समान पैदल चलने की आदत बनाए रखनी चाहिए।

कदम

क़दमों की संख्या निर्धारित करने के लिए करना होगा और शोध

बरहा ने कहा, "यह निर्धारित करने के लिए अभी और शोध की जरूरत है कि वास्तव में कितने कदम चलना चाहिए। हालांकि, जितने ज्यादा कदम होंगे, उतना ही बेहतर होगा।" इसके बाद ये शोधकर्ता महिलाओं बनाम पुरुषों जैसे विभिन्न उपसमूहों के लिए चलने की न्यूनतम मात्रा का पता लगाने का प्रयास करेंगे। उन्होंने आगे कहा, "हमारा मानना है कि मांसपेशियों से निकलने वाले प्रोटीन मस्तिष्क तक पहुंचते हैं, जिससे यह प्रभाव नजर आते हैं।"