
जंक फूड के कारण अधिकतर बच्चे हो रहे मोटापे का शिकार- UNICEF
क्या है खबर?
मोटापा शरीर को कई बीमारियों का घर बना देता है और इससे अब छोटी उम्र के बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) की नई रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक स्तर पर स्कूली बच्चे और किशोर सबसे ज्यादा मोटापे का शिकार बन रहे हैं और इसका कारण जंक फूड का सेवन माना जा रहा है क्योंकि किशोर और बच्चे इसका अधिक सेवन करते हैं। आइए इस रिपोर्ट के बारे में विस्तार से जानते हैं।
सर्वे
64,000 युवाओं पर किया गया सर्वे
UNICEF द्वारा 170 देशों के 13 से 24 आयु वर्ग के 64,000 युवाओं पर किए गए एक सर्वे में 75 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि मीठे पेय, स्नैक्स और जंक फूड के विज्ञापन सबसे ज्यादा आकर्षित करते हैं और किशोरों समेत बच्चों के मन में जंक फूड खाने की इच्छा को बढ़ाते हैं। UNICEF ने साल 2010 के रुझानों के आधार पर साल 2022 से अब तक क्या हुआ है, इसका अनुमान लगाने के लिए आंकड़ों का इस्तेमाल किया।
रिपोर्ट
लगभग 18.8 करोड़ स्कूली बच्चे और किशोर मोटापे से ग्रस्त
रिपोर्ट में पाया गया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानदंडों के अनुसार, 10 में से 1 यानी लगभग 18.8 करोड़ स्कूली बच्चे और किशोर मोटापे से ग्रस्त हैं, जिससे उन्हें मधुमेह और हृदय रोग जैसी आजीवन स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा रहता है। UNICEF ने कहा, "कम उम्र के बच्चों में मोटापे की दर तीन गुना से भी ज्यादा बढ़ गई है।" उन्होंने आगे कहा कि अफ्रीका और दक्षिण एशिया को छोड़कर दुनियाभर में मोटापे के मामले बढ़ गए हैं।
वजन घटाने वाली दवा
डॉक्टर्स कर रहे वजन घटाने वाली दवाओं का इस्तेमाल करने का समर्थन
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि नीयू और कुक द्वीप जैसे कुछ प्रशांत द्वीपीय देशों में 5 से 19 वर्ष की आयु के लगभग 40 प्रतिशत बच्चे मोटापे से ग्रस्त हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका जैसे कुछ देशों में डॉक्टर अब किशोरों के लिए वजन घटाने वाली दवाओं का इस्तेमाल करने का समर्थन कर रहे हैं ताकि बढ़ते वजन को रोकने में थोड़ी मदद मिल सके।
प्रतिबंध
सरकारें जंक फूड के विज्ञापन पर लगाएं रोक- UNICEF
UNICEF ने कहा कि चीनी, नमक और वसा से भरपूर अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड और अन्य जंक फूड का सेवन मोटापे को बढ़ाने का एक प्रमुख कारण है। लंदन यूनिवर्सिटी में वैश्विक स्वास्थ्य के प्रोफेसर क्रिस वैन टुल्लेकेन ने कहा, "मोटापा माता-पिता या बच्चों की विफलता नहीं बल्कि विषाक्त खाद्य पदार्थों का परिणाम है।" UNICEF ने कहा कि दुनियाभर की सरकारों को इन विज्ञापन और स्कूलों में जंक फूड पर प्रतिबंध लगाना चाहिए।