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अवसाद से पीड़ित स्कूली बच्चों के लिए यह नई प्रारंभिक चिकित्सा है लाभदायक, अध्ययन में खुलासा

अवसाद से पीड़ित स्कूली बच्चों के लिए यह नई प्रारंभिक चिकित्सा है लाभदायक, अध्ययन में खुलासा

लेखन सयाली
Jun 28, 2025
03:16 pm

क्या है खबर?

लोगों को यह भ्रम है कि केवल व्यसक ही अवसाद का शिकार होते हैं। असल में स्कूल जाने वाले बच्चे भी इस मानसिक विकार से पीड़ित होते हैं। दुनियाभर में 3-17 साल की आयु के 3 प्रतिशत बच्चे और किशोर अवसाद से ग्रस्त हैं। कम उम्र के चलते वे अपने माता-पिता को इसके बारे में बता नहीं पाते हैं। इसी बीच एक अध्ययन में खुलासा हुआ है कि बच्चों को प्रारंभिक चिकित्सा के जरिए अवसाद से छुटकारा मिल सकता है।

अध्ययन

जानिए किसने किया यह अध्ययन?

अमेरिका के सेंट लुइस में वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं द्वारा यह अध्ययन किया गया है। शोधकर्ताओं का नेतृत्व सैमुअल की MD जोन लुबी, वॉशू मेडिसिन में मनोचिकित्सा के प्रोफेसर मी एस लुडविग और बोस्टन मेडिकल सेंटर के विकासात्मक व्यवहार बाल रोग विशेषज्ञ मेई एलानसरी ने किया। इससे सामने आया कि प्रारंभिक चिकित्सीय हस्तक्षेप से बच्चों को अवसाद से राहत पाने में मदद मिल सकती है। बच्चों को इसका फायदा कम से कम 4 सालों तक मिलता है।

थेरेपी

अध्ययन के दौरान तैयार की गई PCIT-ED नाम की थेरेपी

इस अध्ययन को अमेरिकन एकेडमी ऑफ चाइल्ड एंड एडोलसेंट साइकियाट्री पत्रिका में प्रकाशित किया गया था। लुबी ने इसके दौरान एक खास अभिभावक-बाल संपर्क थेरेपी-भावना विकास (PCIT-ED) विकसित किया है। यह स्कूली बच्चों के अवसाद के इलाज के लिए बनाई गई पहली और एकमात्र मनोचिकित्सा थेरेपी है, जिसका बड़े पैमाने पर परीक्षण किया गया है। इसे PCIT से संशोधित किया गया है, जो व्यवहार संबंधी कठिनाइयों का सामना करने वाले बच्चों के इलाज के लिए एक मानक हस्तक्षेप है।

प्रक्रिया

105 बच्चों की जांच के साथ पूरा हुआ अध्ययन

यह बच्चों और उनके परिवारों के लिए PCIT-ED के दीर्घकालिक प्रभावों की जांच करने वाला पहला अध्ययन है। इसमें 105 बच्चे शामिल थे, जिन्हें पहले परीक्षण में PCIT-ED का पूरा कोर्स दिया गया था। उपचार खत्म होने के 4 साल बाद उनकी जांच की गई, जिस समय वे 8-12 साल के थे। अवसाद को मापने के लिए शोधकर्ताओं ने बच्चों और उनके माता-पिता के इंटरव्यू लिए। इस दौरान उदासी, आक्रामकता और नींद जैसे लक्षणों पर ध्यान दिया गया था।

नतीजे

क्या रहे इस अध्ययन के नतीजे?

अध्ययन से पता चला कि अवसाद से पीड़ित 3-7 साल की आयु के 57 प्रतिशत बच्चों में 4 साल बाद सुधार देखा गया। नतीजे अवसाद से ग्रस्त छोटे बच्चों के लिए जल्द निदान और इलाज के महत्व पर प्रकाश डालते हैं। बोस्टन विश्वविद्यालय और एवेडिशियन स्कूल ऑफ मेडिसिन में बाल रोग की प्रोफेसर एलनसरी ने कहा, "हमारे परिणाम इस बात के प्रमाण प्रस्तुत करते हैं कि PCIT-ED किशोरावस्था से पहले मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों के जोखिम को कम कर सकता है।"

लुबी

माता-पिता को भी हुआ इस थेरेपी से लाभ

अध्ययन के मुताबिक, इस नई थेरेपी से केवल बच्चों को ही लाभ नहीं हुआ। इससे बच्चों की देखभाल को लेकर माता-पिता को जो तनाव होता था, वह काफी हद तक कम हो गया। इससे परिवारों के बीच खुशी बढ़ गई और बच्चे भी चिंता मुक्त रहने लगे। भविष्य में लुबी ऐसे लोगों की मदद के लिए अतिरिक्त मॉड्यूल विकसित करने की योजना बना रही हैं, जिन्हें ज्यादा मदद की जरूरत हो सकती है।