किशोरियों के टिक-टॉक से प्रेरित स्किनकेयर रूटीन त्वचा को बना रहे अस्वस्थ, अध्ययन में हुआ खुलासा
क्या है खबर?
टिक-टॉक एक ऐसा प्लेटफार्म है, जिस पर केवल वयस्क ही नहीं, बल्कि किशोरियां भी वीडियो बनाती हैं। वे मशहूर होने की होड़ में इन्फ्लुएंसर द्वारा बताए गए मेकअप और त्वचा की देखभाल वाले ट्रेंड अपनाने लगती हैं।
इससे किशोरियां समय से पहले बड़ी होने लगती हैं और उनकी मासूमियत खो-सी जाती है।
इसी बीच एक नया अध्ययन किया गया है, जिससे सामने आया है कि युवा इन्फ्लुएंसर द्वारा बताए गए स्किनकेयर रूटीन किसी काम के नहीं होते हैं।
अध्ययन
इंटरनेट वाले स्किनकेयर रूटीन नहीं होते हैं कारगर
इस अध्ययन को नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पूरा किया है और डॉ मौली हेल्स ने इसका नेतृत्व किया है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि युवा लड़कियां मॉइस्चराइजर, टोनर और सक्रीय उत्पादों के साथ जटिल स्किनकेयर दिनचर्या के वीडियो बनाती हैं।
इतना ही नहीं, वे देखा-देखी में कम उम्र में ही एंटी-एजिंग ट्रीटमेंट भी शुरू कर देती हैं। अध्ययन में खुलासा हुआ है कि इन स्किनकेयर रूटीन का न के बारब या कोई भी फायदा नहीं होता है।
तरीका
इस तरह के रूटीन से खराब हो सकती है त्वचा
शोधकर्ताओं ने बताया है कि इन स्किनकेयर रूटीन का किशोरियों पर उल्टा असर होता है। यानि कि इनसे उनकी त्वचा में जलन हो सकती है और आजीवन एलर्जी का खतरा भी बढ़ जाता है।
इस अध्ययन को पूरा करने के लिए शोधकर्ताओं ने टिक-टॉक पर मौजूद युवा लड़कियों के ब्यूटी वीडियो खोजे और उनका विश्लेषण किया।
सामने आया कि वीडियो बनाने में लड़कियां अनावश्यक मेहनत करती हैं और पैसे बर्बाद करती हैं।
प्रक्रिया
2 टिक-टॉक अकाउंट बनाकर किया गया अध्ययन
हेल्स और उनकी टीम के लोगों ने 13 साल के बच्चों के लिए 2 टिक-टॉक अकाउंट बनाए थे और युवाओं द्वारा फिल्माए गए 100 स्किनकेयर वीडियो इखट्टा किए थे।
इनमें से 82 वीडियो लड़कियों के थे, जिनकी उम्र 7 से 18 साल के बीच थी। सभी लड़कियों की त्वचा स्वस्थ, गोरी और बेदाग थी।
हालांकि, वे बड़ी इन्फ्लुएंसर से प्रेरित हो कर ऐसे उत्पाद लगा रही थीं, जिनकी उन्हें जरूरत भी नहीं है।
नतीजे
क्या कहते हैं अध्ययन के नतीजे?
अध्ययन के मुताबिक, इन वीडियो में त्वचा की देखभाल के लिए इस्तेमाल होने वाले उत्पादों में औसतन 6 उत्पाद शामिल थे।
ये सभी ज्यादातर एक ही ब्रांड के थे, जिनकी कुल लागत 14,378 रुपये थी। हालांकि, कुछ में एक दर्जन से ज्यादा उत्पाद शामिल थे, जिनकी कुल लागत 42,799 रुपये से ज्यादा थी।
शोधकर्ताओं ने पाया कि इन उत्पादों में मौजूद कई तत्व त्वचा में जलन पैदा कर सकते हैं। इनसे सनबर्न और अन्य त्वचा क्षति का खतरा रहता है।
सक्रिय उत्पाद
सक्रीय तत्व होते हैं सबसे ज्यादा नुकसानदायक
चौकाने वाली बात यह थी कि केवल 26 प्रतिशत वीडियो में किशोरियां सनस्क्रीन लगा रही थीं, जो एक सुरक्षित उत्पाद होता है।
वे सक्रिय अवयवों वाले उत्पादों को लेयर कर रही थीं, जिससे त्वचा के छिलने या एलर्जी होने का जोखिम रहता है। हेल्स ने कहा, "इन उत्पादों के उपयोग से जुड़े जोखिम इनसे मिलने वाले फायदों से कई गुना ज्यादा हैं।"
युवाओं के लिए इनके बजाय सौम्य क्लींजर, सनस्क्रीन और क्रीम लगाना काफी होता है।